‘तकलीफ हो, न हो फिर भी बीपी की दवायें लें?’

इस बार हम ब्लड प्रेशर की बीमारी के कुछ ऐसे पक्षों की बातें करेंगे जिनके बारे में आपको लगता है कि हमें सब पता है पर वास्तव में कुछ भी पता नहीं रहता. कदाचित, हायपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) ही एक ऐसी बीमारी है जिसके विषय में सभी को अपनी-अपनी तरह की इतनी गलतफहमियां हैं कि गिनाना कठिन. बहरहाल मैं तनिक कोशिश करके देख लेता हूं.

थोड़ा-बहुत हाई बीपी के विषय में

हाई बीपी बहुत कॉमन बीमारी है. हो सकता है कि आपको भी निकल आए. आपको अभी नहीं है क्योंकि आपने कभी चेक ही नहीं कराया. कभी कराया तो एकाध बार ज्यादा तो निकला था. पर दूसरे डॉक्टर ने बाद में नार्मल नापा और दोनों ने नापकर या तो कुछ ठीक से बताया नहीं, या दवाएं लिख दीं या कहा कि आपको कुछ नहीं है, या कहा कि इत्ता बीपी तो इस उम्र में रहता ही है. जान लें कि लगभग सात से सैंतीस प्रतिशत तक लोगों को यह बीमारी भारत में बताई जाती है. सो, बहुत कॉमन बीमारी है. जरूर चेक कराते रहें. यदि आपके परिवार में किसी को हाई बीपी है, या आप मोटे हैं, पड़े-पड़े खटिया या बैठे-बैठे कुर्सी तोड़ते रहते हैं, निष्ठापूर्वक दारू-सिगरेट आदि पीते हैं और आपकी कमर फैलती जा रही है (औरतों में 80 सेंटीमीटर, आदमियोंे में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा हो गई हो) तो अपना बीपी नियमित चेक कराते रहें. इसी ग्रुप में हाई बीपी ज्यादातर पाया जाता है. ‘मेंटल टेंशन’ बहुत हल्का है सर – मुझे बीपी तो नहीं हो जाएगा? ऐसा कहने वाले मिलते हैं. ऐसे भी मिलते हैं जो विश्वास ही नहीं करते कि उन्हें बीपी हो सकता है क्योंकि, ‘मैं तो टेंशन पालता ही नहीं सर.’ मित्रों, ‘टेंशन’ (मानसिक तनाव) का हाई बीपी करने में सीधा कोई रोल नहीं होता है. बस, इतना जान लें कि हाई बीपी बहुत कॉमन बीमारी है.

पर मुझे तो कोई तकलीफ ही नहीं?

डॉक्टर साहब, आप बता रहे हैं कि तुम्हें हाई बीपी है पर मुझे तो कोई कष्ट ही नहीं? मैंने तो यूं ही मेडिकल चेकअप करा लिया और फंस गया. न सिर दर्द, न चक्कर, न छाती में दर्द, न और कुछ. अरे, यदि 160/100 बीपी है तो कुछ तो हो? जरूर, आपका बीपी यंत्र खराब है. मरीज को भ्रम है. कई बार उसे डॉक्टर पर ही संदेह होता है. पर याद रखें कि हाई बीपी से कोई तकलीफ हो ही, यह आवश्यक नहीं.

जब तकलीफ ही नहीं तो दवाएं/परहेज क्यों?

बात ऊपर से एकदम सही लगती है. तकलीफ नहीं है, तब भी दवाई खाते जाएं, बल्कि आपकी सलाह तो है कि जीवन भर खाते चले जाएं तो ऐसे निपट बेवकूफ तो हम हैं नहीं. जब तकलीफ होगी, खा लेंगे. जब कभी सिर दर्द वगैरह लगता है तो आपकी बताई बीपी की दवाएं दो-तीन दिन खा लेते हैं, बस. माना कि हाई बीपी रहता है पर रोज-रोज दवाएं क्यों खाएं साहब?
कठिन है यह समझा पाना कि अभी कुछ नहीं लगे तो भी दवाएं लें. इसे यूं समझें कि आज जो आप दवाएं ले रहे हैं वह जीवन बीमा की किस्त चुकाने जैसा है. चुकाने में कष्ट होता है, चुकाते हैं न मालूम है कि कभी मुसीबत से बचाएगी. जीवन बीमा में तो फिर भी वैसी मुसीबत शायद ही कभी आती हो परंतु हाई बीपी की दवाइयों की किस्त आपको निश्चित ही बहुत-सी मुसीबतों से बचाएगी. क्या आपको पता है कि यदि आप बीपी की दवाइयां लेकर अपना हाई बीपी कंट्रोल में नहीं रखते हैं तो कितना बड़ा खतरा उठा रहे हैं? बीपी कंट्रोल में न रहने पर आपको हार्ट अटैक की आशंका दो गुनी, लकवे की सात गुनी, हार्ट फेल्योर की तीन गुनी तथा किडनी फेल होने की दोगुनी बढ़ जाती है – और इनमें से ज्यादा चीजों का कोई खास इलाज उपलब्ध ही नहीं.

तो क्या करूं

यदि डॉक्टर ने हल्का -सा, बार्डर लाइन (सीमा रेखा को छूता हुआ) हाई बीपी भी बताया है तो आपको नियमित दवाएं लेकर, नियमित जांचें कराके पक्का कर लेना चाहिये कि बीपी हमेशा 140/90 के नीचे ही रहे. यदि साथ में मधुमेह वगैरह भी है तो बीपी और भी कम रहना चाहिए. कुछ बातें और याद रखें. दवाएं लगभग जीवन भर चलनी हैं परंतु उनका डोज, मात्रा आदि आवश्यकतानुसार बदल सकती है. इसीलिए नियमित बीपी जांच आवश्यक है. बीपी का व्यवहार बदलता रहता है. जीवन भर डॉक्टर से चेक कराते रहना पड़ेगा. एक बार जो दवा या डोज फिक्स हो गया, यदि मैं उसी को खाता रहूं तो? नहीं, आप यह न करें क्योंकि आगे का हर डोज अगली जांच से तय होगा. जब डॉक्टर बुलाए तो तकलीफ हो, न हो जाकर अवश्य दिखाएं. वजन कम करें. सिगरेट (या किसी भी तरह का भी तंबाकू) का सेवन एकदम बंद कर दें. दारू या तो बंद कर दें, या इतनी कम तो कर दें जो शराफत तथा बीपी का तकाजा होता है. कई बार हल्का बीपी तो इतना करने से ही कंट्रोल हो जाता है. नियमित व्यायाम करें. मुगदर घुमाने को नहीं कह रहा. नियमित चालीस मिनट घूम लिया करें बस. बैठे न रहें. एेक्टिव रहें. क्या मैं नमक पूरा बंद कर दूं? कतई नहीं. नमक भी शरीर के लिए जरूरी है. हां, ज्यादा न लें. सलाद में न डालें. अचार-चटनी-पापड़ में नमक होता है – बस, कभी-कभी लें. क्या होम्योपैथी या आयुर्वेदिक या योग थैरेपी ट्राई करें? मैंने इनसे कभी किसी का ठीक होते तो देखा नहीं. पर कभी ट्राई करें भी तो किसी दूसरे डॉक्टर से बीपी चेक करवा लें. यदि आपका बीपी 140/90 के नीचे रहता है तो जो ले रहे हैं, ले सकते हैं. मूल मुद्दा आपका हाई बीपी कंट्रोल में रखने का है. वह जिससे भी हो.