यासिर अराफात की मौत पर क्यों विवाद हो रहा है?
1996 में फिलिस्तीनी प्राधिकरण के प्रथम राष्ट्रपति रहे यासिर अराफात ने 35 वर्षों तक फिलिस्तीन मुक्ति संगठन का नेतृत्व किया. फिलिस्तीन के इस लोकप्रिय नेता को 1994 में नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया था. फिलिस्तीनियों के हितों के लिए लड़ने वाले अराफात को 2001 में इजरायल द्वारा उनके ही मुख्यालय में नजरबंद कर दिया गया था. अक्टूबर, 2004 में अचानक उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए पेरिस के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया. वहीं कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई. उनकी मौत का कारण हमेशा ही विवादों में घिरा रहा. कई लोगों का मानना था कि उनकी मौत के पीछे इजरायल का ही हाथ है.
मौत के आठ साल बाद उनके शव का परीक्षण करने की जरूरत क्यों आन पड़ी?
अरब के समाचार चैनल अल जजीरा द्वारा एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के दौरान यासिर अराफात के कपड़ों और अन्य वस्तुओं की जांच में रेडियोधर्मी पोलोनियम 210 पाया गया. स्विट्जरलैंड के विशेषज्ञों द्वारा की गई इस जांच से अराफात की मौत पर सवाल खड़े हो गए. इसी साल अगस्त में फ्रांस ने इस मामले में नए सिरे से हत्या की जांच शुरू कर दी. अराफात की पत्नी सोहा अराफात के आग्रह पर फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने जांच के लिए अराफात के शव के पुन:परीक्षण की अनुमति दे दी है.
कौन करेगा शव का पुन:परीक्षण?
27 नवंबर को फिलिस्तीन के रमल्लाह नगर स्थित अराफात की कब्र से उनका शव निकाले जाने के बाद इसके नमूने फ्रांस, स्विट्जरलैंड और रूस के वैज्ञानिकों को दिए गए हैं. इन तीनों दलों द्वारा शव के नमूनों की स्वतंत्र रूप से जांच की जानी है. निष्पक्ष जांच हेतु रूस को विशेष रूप से इस जांच में शामिल किया गया है. कई लोगों का मानना है कि अराफात की हत्या इजरायल द्वारा इसलिए की गई कि वे शांति स्थापित करने में बाधा बन रहे थे. हालांकि इजरायल इस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार कर चुका है.
-राहुल कोटियाल