30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद 4 फरवरी 1948 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस प्रतिबंध के पीछे कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे. वही सरदार पटेल, जिनके गौरवगान में आज संघ परिवार कोई कसर नहीं छोड़ता और सरकार भी उनके सम्मान में गुजरात में सरदार सरोवर बांध पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के नाम से दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनवा रही है.
प्रतिबंध के बाद आरएसएस ने पटेल को लिखित रूप में यह आश्वासन दिया था कि वे अपना एक संविधान बनाएंगे जिसमें खास तौर पर ये दर्ज होगा कि आरएसएस का राजनीति से कोई संबंध नहीं होगा और ये सिर्फ सांस्कृतिक कार्यों से जुड़ी संस्था होगी. इस मामले को और स्पष्ट रूप से जानने के लिए आरएसएस पर लगे प्रतिबंध से जुड़ीं फाइलें मददगार साबित हो सकती थीं, जो न सिर्फ आरएसएस के इतिहास के इस काले पन्ने को दिखातीं बल्कि वर्तमान में इस ‘संस्था के प्रिय’ बनते जा रहे पटेल का आरएसएस के प्रति नजरिया भी दर्शातीं. हालांकि ‘तहलका’ को मिली जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय की ‘आरटीआई’ विंग केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के पास भी आरएसएस पर लगे प्रतिबंध के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
पीपी कपूर नाम के शख्स द्वारा गृह मंत्रालय में इस विषय से जुड़ी जानकारी के लिए दायर आरटीआई याचिका के जवाब में सीपीआईओ ने बताया, ‘यह दोहराया जाता है कि सीपीआईओ के अंतर्गत उपलब्ध किसी भी दस्तावेज या फाइल में महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर जानकारी नहीं है.’ सीपीआईओ ने ये भी कहा कि जानकारी जुटाने के लिए समुचित प्रयास भी किए गए हैं.
आरटीआई के नियमों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति उसकी याचिका को मिले जवाब से संतुष्ट न हो तो वह गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव के पास अपील कर सकता है. जब ‘तहलका’ ने इस बारे में संयुक्त सचिव रश्मि गोयल से संपर्क किया तब उन्होंने कहा, ‘मैं इस पर जवाब देने के लिए अधिकृत व्यक्ति नहीं हूं.’
केंद्र की भाजपा सरकार के ‘पटेल एजेंडा’ के चलते गुजरात के सरदार सरोवर बांध पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के नाम से पटेल की प्रतिमा लगवाई जा रही है
ऐसे जवाब से कई संभावनाएं उठती हैं. क्या गृह मंत्रालय ऐसी कोई जानकारी छिपा रहा है? या फाइलें सचमुच खो गईं हैं? अगर ऐसा हुआ है तो इसका जिम्मेदार कौन है? भाजपा या कांग्रेस?
हरियाणा के आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने गृह मंत्रालय को पहली बार जनवरी 2014 में लिखा था, फिर जनवरी 2015 में, फिर अगस्त 2015 में. हालांकि जवाब हर बार एक ही रहा कि उनके पास उपलब्ध दस्तावेजों में इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. कपूर का कहना है, ‘सरकार अपने पटेल एजेंडे और ब्रांड को बचाने के लिए जानकारी छुपा रही है, क्योंकि अगर पटेल के समय में आरएसएस पर लगे प्रतिबंध के बारे में कोई बात सामने आती है तो उनके लिए पटेल को सामने रखकर प्रचार करना शर्म की बात होगी.’
वैसे केंद्र की भाजपा सरकार के ‘पटेल एजेंडा’ के चलते गुजरात के सरदार सरोवर बांध पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के नाम से सरदार पटेल की प्रतिमा बनवाई जा रही है. विश्व की इस सबसे बड़ी प्रतिमा की लंबाई लगभग 182 मीटर होगी. इसके अलावा पिछले आम चुनावों के समय जनसभाओं में प्रधानमंत्री मोदी भी ‘लौह पुरुष’ की तारीफ करते नजर आते थे.