चैनलों का ‘ओमेर्ता कोड’

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मनीषा यादव

वैसे तो न्यूज चैनल हर छोटी-बड़ी घटना और मुद्दे को रिपोर्ट करने, उसे ‘खींचने और तानने’ और उसपर ‘बड़ी/महाबहस’ करने को तैयार रहते हैं लेकिन उनके लिए एक विषय/मुद्दा अभी भी ‘टैबू’ बना हुआ है जिसपर रिपोर्ट करने और चर्चा करने पर चैनलों में अघोषित पाबंदी-सी लगी हुई है. वह विषय है: चैनलों में काम करनेवाले पत्रकारों खासकर महिला पत्रकारों और उनकी कामकाज की परिस्थितियां, सेवाशर्तें और न्यूजरूम का माहौल. इससे संबंधित किसी घटना/मुद्दे पर चैनलों की चुप्पी और आपसी एकता हैरान करनेवाली होती है.

ताजा उदाहरण है- ‘इंडिया टीवी’ की एंकर तनु शर्मा की आत्महत्या की कोशिश का मामला. एंकर तनु शर्मा ने बाकायदा फेसबुक पर स्टेट्स अपडेट करके चैनल के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर परेशान और उत्पीड़ित करने का आरोप लगाते हुए चैनल के दफ्तर में जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की. शुक्र है कि वे बच गईं और पुलिस चैनल के कुछ अधिकारियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करके छानबीन कर रही है. चैनल का सफाई में कहना है कि तनु शर्मा ने खुद को परेशान करने की कभी कोई शिकायत किसी वरिष्ठ अधिकारी या चैनल की यौन उत्पीड़न समिति को नहीं कराई और उनके आरोप झूठे और मनगढंत हैं.

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