जब दौलताबाद में सिमटी थी ‘दिल्ली’

daulatabad

आपने बातों ही बातों में कभी न कभी ‘दिल्ली से दौलताबाद’ वाले जुमले का जिक्र जरूर सुना होगा. मगर शायद ही कभी सोचा न हो कि शहरों की दूरियों को लेकर ये मुहावरा कैसे उपजा और क्यों? दरअसल, दिल्ली से दौलताबाद के बीच की वर्तमान में सड़क मार्ग से दूरी लगभग 2100 से 2400 किमी. के बीच है. जिसे 1300 ईस्वी में मोहम्मद बिन तुगलक ने पूरी प्रजा के साथ तय किया था, जिसे भारतीय इतिहास में चीन के ‘लाॅन्ग मार्च’ की तरह भी देखा जाता है. दौलताबाद या देवगिरी महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद जिले से 13 किमी. की दूरी पर है, जहां कभी पूरी दिल्ली को राजधानी के तौर पर बसाया गया.

स्थानीय इतिहासकार डॉ. शेख रमजान की मानें तो दक्कन के पठार में सबसे पहले मुगल आक्रमणकारी के रूप में अलाउद्दीन खिलजी ने सन 1295 से 1298 तक देवगिरी किले (अब दौलताबाद किला) पर हमला बोला था. इस अभेद किले को जीतने के लिए उसने रसद (दाना-पानी) तक बंद करा दिया था, जिसके बाद यादव वंश के राजा रामदेव ने हार स्वरूप राजस्व देना स्वीकार किया. कहा जाता है कि राजस्व में मिली अकूत दौलत को लादने के लिए खिलजी के बेड़े में शामिल हाथी-घोड़े और ऊंट कम पड़ गए थे.

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