पटेल और सोनिया के बीच मजबूत संबंधों की चर्चा करते हुए कांग्रेस के एक नेता कहते हैं, ‘कांग्रेस में राहुल और प्रियंका के बाद यही हैं जिनकी शिकायत मैडम (सोनिया) से कोई नहीं कर सकता. क्योंकि अगर कोई अहमद पटेल का विरोध करेगा तो फिर वह पार्टी में नहीं रह पाएगा. किसी को याद नहीं कि पिछली बार कब कांग्रेस अध्यक्ष पटेल से किसी विषय पर सख्ती से पेश आई थीं.’
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि कैसे पिछले 10 सालों में सोनिया गांधी द्वारा लिए गए हर निर्णय के पीछे अहमद पटेल का ही दिमाग रहा. पार्टी के एक पूर्व महासचिव कहते है, ‘पिछले 10 सालों में पार्टी में कोई भी ऐसा निर्णय नहीं हुआ जिसमें पटेल की सहमति ना हो. जब भी मैडम ने यह कहा कि वे सोच कर बताएंगी कि इस विषय पर क्या करना है तो पार्टी के लोग समझ जाते थे कि अब वे अहमद पटेल से सलाह लेंगी फिर फैसला करेंगी.’
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई सोनिया के अहमद पटेल पर भरोसे की वजह बताते हुए कहते हैं, ‘पटेल की कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है. राजनीति में ऐसा होना बहुत दुर्लभ है. वफादारी में भी इनका कोई मुकाबला नहीं है. लो प्रोफाइल रहते हैं, खामोश रहते हैं. एक बेहतरीन पॉलिटिकल मैनेजर हैं.’
सोनिया के पटेल पर अति विश्वास का एक कारण यह भी माना जाता है कि उतार-चढ़ाव के दौर में जब तमाम नेता पार्टी छोड़कर यहां वहां जा रहे थे तब भी अहमद पटेल ने पार्टी से दूरी बनाने की कोशिश नहीं की.
आज जब पार्टी लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद राज्यों में भी हारती चली जा रही है. और कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेता नेतृत्व को सीधे या घुमा फिराकर पार्टी की फजीहत का दोषी ठहरा रहे हैं वहीं किसी ने अहमद पटेल को कुछ बोलते हुए शायद ही सुना होगा. इससे पता चलता है कि कैसे यह जोड़ी (सोनिया-पटेल) अन्य जोड़ियों से अलग हटकर राजनीतिक हैसियत के कमजोर या मजबूत होने के चंगुल से आजाद है.