‘मुस्लिम मर्दों को अगर कोई चिंता है तो यह कि पत्नी पिटाई और महिला उत्पीड़न के नाजायज हक में कहीं कोई कमी न आ जाए’

Muslim brides sit as they wait for the start of a mass marriage ceremony in Ahmedabad

मुस्लिम महिलाएं सड़क-मुहल्लों से लेकर देश के स्तर तक मर्दों को मारने-पीटने वाले गिरोहों से लंबी लड़ाई लड़ रही हैं, और दूसरी तरफ मुसलमान मुल्ला-मर्द हैं जो घर के अंदर महिलाओं को पीटने और पीड़ित करने के हक को जारी रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं. मुजफ्फरनगर से लेकर गुजरात तक बलात्कार हुए लेकिन ये मुल्ला गिरोह इस मुद्दे पर कभी सड़कों पर नहीं उतरे, लेकिन तीन तलाक और बहुविवाह के अधिकार में कमी आए तो इनकी बर्दाश्त जरूर जवाब दे जाती है.

मुस्लिम मर्दों को अगर कोई चिंता एकजुट कर रही है तो यह कि घर में पत्नी पिटाई और महिला उत्पीड़न के नाजायज हक में कहीं कोई कमी न आ जाए. कहीं कोई ऐसा कानून न बन जाए जिससे उन्हें पत्नी उत्पीड़न के अधिकार से वंचित होना पड़े. तीन तलाक, हलाला, पत्नी पिटाई, पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध, बहुपत्नी प्रथा, लड़कियों का बाल विवाह जैसे मर्दवादी विशेषाधिकार पर चिंतित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत, जमात, तंजीमें- सब मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म को जारी रखने पर एकमत हैं. ये चालाक-चतुर सुजान टीवी की बहसों में गाल बजाते है कि तीन तलाक अपराध है, लेकिन इस अपराध को रोकने के किसी भी कदम का विरोध भी उसी सांस में करते हैं. तीन तलाक देने वाले पति की पिटाई कभी नहीं करते, लेकिन पत्नी पिटाई पर मूक सहमति जारी रखते हैं.

लेकिन हर खास-ओ-आम से मेरी गुजारिश है कि आप इन मुस्लिम मर्दों के गिरोहों से सिर्फ एक सवाल पूछिए कि भाईजान, आज तक आप लोगों ने मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न के विरुद्ध कोई लड़ाई लड़ी है क्या? क्या तलाकशुदा बेसहारा महिलाओं के लिए कोई सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम शुरू किया है? या आपने सिर्फ पतियों को एकतरफा तीन तलाक पर समर्थन दिया है? क्या अधिक बच्चे पैदा करके अपनी सेहत गंवा रही मुस्लिम महिलाओं को फैमिली प्लानिंग अपनाने पर भी समर्थन दिया है? क्या एक पत्नी के रहते दूसरी-तीसरी शादी करने वाले अय्याश-संवेदनहीन पतियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है कभी? क्या तलाकशुदा पत्नी का हलाला के नाम पर पुनर्विवाह कराके उसे बार-बार नए मर्दों के हाथों में सौंपने के विरुद्ध कानून बनाने की बात की है आपने? क्या 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी पर कानूनी रोक की मांग की है? क्या कभी आपकी तंजीम ने मुस्लिम महिलाओं को घर के अंदर हक दिलाने की कोई लड़ाई लड़ी है?

तो सवाल ये है कि घर के बाहर इन्हें पीटने वालों से भी हम लड़ें और घर के अंदर हमें पीटने वालों से भी हम ही लड़ें? तो पहले किससे लड़ें?

(लेखिका सामाजिक कार्यकर्ता हैं)