जल सत्याग्रह: ‘लड़ेंगे-मरेंगे, जमीन नहीं छोड़ेंगे’

देश में भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर खूब बहस हो रही है, इधर मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने को लेकर करीब एक पखवाड़े से किसान खंडवा जिले के घोघल गांव में जल सत्याग्रह कर रहे हैं. लगातार पानी में खड़े होने से सत्याग्रही किसानों के पैरों की त्वचा भी गलने लगी व खून का रिसाव शुरू हो चुका है. इतना सब होने के बावजूद प्रदेश सरकार उदासीन नजर आ रही है, लेकिन जल सत्याग्रही ‘लड़ेंगे, मरेंगे जमीन नहीं छोड़ेंगे’ के नारों के साथ डटे हुए हैं.
पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बांध का जलस्तर 189 से बढ़ाकर 191 मीटर कर दिया गया है जिससे क्षेत्र के किसानों की कई एकड़ उपजाऊ जमीन डूब क्षेत्र में आ गई है. किसानों का कहना है कि उनकी उपजाऊ जमीनों के बदले जो जमीन दी गई है वह किसी काम की नहीं है. बीते 11 अप्रैल को नर्मदा बचाओ आंदोलन और ‘आप’ के नेतृत्व में यह जल सत्याग्रह शुरू किया था. मांग है कि पुनर्वास नीति के तहत जमीन के बदले जमीन और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मुआवजा दिया जाए. आंदोलनकारियों के समर्थन में दिल्ली और प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिख चुके हैं जिसमें उचित पुनर्वास की मांग की गई है.

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