सामाजिक प्रगतिशीलता के बहुत से प्रश्नों पर संघ और बाबा साहेब में समानता रही है

Rakesh Sinha Article web

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आजादी से पहले मुख्य प्रभाव क्षेत्र महाराष्ट्र में था और सामाजिक रूढ़िवादिता के बीच में संघ ने प्रतिक्रियावादी सामाजिक प्रथाओं का जमकर विरोध किया. उसके दो उदाहरण हैं. पहला, जब महात्मा गांधी कौतूहलवश 1934 में संघ के शिविर में आए तो उन्होंने पाया कि ब्राह्मण और महार जाति के स्वयंसेवक एक साथ सहजता के साथ शिविर में रह रहे हैं. बाबा साहेब इसी महार जाति से थे. इसी कारण से बाबा साहेब का भी संघ के प्रति आकर्षण हुआ और वे 1938 में पुणे में संघ के शिविर में आए भी थे. उनके सामाजिक प्रगतिशीलता के बहुत से प्रश्नों पर संघ और बाबा साहेब में समानता रही है. इसी कारण संघ ने बाबा साहेब को साठ के दशक में ही महापुरुषों के प्रातः स्मरणीय नामों में जोड़ा है. जब उन पर अरुण शौरी ने ‘वर्शिपिंग फॉल्स गॉड’ नामक पुस्तक लिखी तो संघ के बड़े सिद्धांतकार दत्तोपंत ठेंगड़ी ने ‘डॉ. आम्बेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ नामक पुस्तक लिखी. इसी प्रकार जब बाबा साहेब की 125वीं जयंती आई तो संघ ने उसे बड़े पैमाने पर मनाने का निर्णय लिया. सामाजिक अंतर्विरोधों और प्रतिक्रियावाद का विरोध संघ के सामाजिक दर्शन का अंग रहा है. यही कारण है कि संघ अंतरजातीय विवाहों और जातिविहीन समाज के लक्ष्य के प्रति हमेशा सकारात्मक रहा है. बाबा साहेब की विचारधारा में अनेक ऐसी बातें हैं जो उन्होंने तात्कालिक राजनीति और समकालीन सामाजिक प्रतिक्रियावाद के प्रत्योत्तर में कहा था. लेकिन उनमें जो मूलदृष्टि है उसकी दीर्घकालिक उपयोगिता है और उसके भाव से संघ की विचारधारा की निकटता है.

इसका दूसरा उदाहरण संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का यह कथन है जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक शास्त्रों को वैज्ञानिक मूल्यों और मापदंड के आधार पर देखा जाना चाहिए. संघ की सामाजिक प्रगतिशीलता का एक और उदाहरण है. संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने स्वयंसेवकों के साथ जाकर एक शादी के मंडप में हो रहे बेमेल विवाह को रोका और लड़की को मंडप से उठाकर बाल विवाह से बचा लिया था. संघ महापुरुषों को जाति या राजनीति की सीमा में नहीं देखकर उनके मूल्यों का उपयोग सामाजिक समरसता के लिए करता है. फिर चाहे वे आम्बेडकर हों, गांधी हों या नारायण गुरु.

(लेखक संघ विचारक हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here