मीडिया वेबसाइट ‘न्यूजलॉन्ड्री’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदी न्यूज चैनल इंडिया टीवी ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपने पूर्व संपादकीय निदेशक कमर वहीद नकवी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. चैनल का आरोप है कि उन्होंने चैनल से अपने इस्तीफे की खबर उसके स्वीकार होने से पहले लीक करके चैनल की छवि धूमिल करने की कोशिश की. चैनल ने सबूत के तौर पर ‘टाइम्स आफ इंडिया’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी खबरों का हवाला दिया है जिनमें कहा गया था कि नकवी ने आम चुनावों के दौरान चैनल पर नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के स्वरूप और लहजे से असहमति में इस्तीफा दिया है.
नकवी ने न्यायालय में चैनल के आरोपों का सिलसिलेवार और तथ्यपूर्ण जवाब दाखिल कर दिया है. फिलहाल चैनल ने उनके अध्ययन और अपने जवाब के लिए कोर्ट से समय मांगा है. इस मामले ने न्यूजरूम में आंतरिक लोकतंत्र, असहमतियों के प्रति असहिष्णुता, एक पत्रकार/संपादक की पत्रकारीय मूल्यों और अंतरात्मा के प्रति जवाबदेही जैसे अहम सवाल उठा दिए हैं. सवाल यह है कि क्या एक पत्रकार/संपादक की अगर संस्थान की किसी नीति से असहमति है तो उसे यह जताने और उसके लिए इस्तीफा देने का अधिकार नहीं? दूसरे, क्या उसे अपनी असहमति सार्वजनिक तौर पर उजागर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए?
याद रहे कि चुनावों के दौरान इंडिया टीवी पर दिखाए गए मोदी के उस इंटरव्यू और उसमें प्रश्नों की प्रकृति, लहजे और प्रस्तुति को लेकर पत्रकारीय स्वतंत्रता, वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता के आधार पर कई सवाल उठे थे. खासकर सोशल मीडिया में उस इंटरव्यू की बहुत आलोचना हुई थी. नकवी उस समय चैनल के संपादकीय निदेशक थे और रिपोर्टों के मुताबिक, वे उस इंटरव्यू से असहमत थे. यह भी कहा गया कि वे उस दौरान चैनल पर आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल की कवरेज पर प्रतिबंध और तोड़मरोड़ कर हो रही कवरेज से भी सहमत नहीं थे.
nice
This is the unconstitutional attitude of india
TV towards Mr Nakvi he is always free to express his views about his employer if he is not agree with any decisions of the channel and what will happen with the freedom of expression if any media channel would organise any interview of any leader as per the terms and conditions of the interviewee leader? In my opinion this type of paid media channels must be banned immidately.