असम देश का अकेला ऐसा राज्य है जिसका अपने ज्यादातर पड़ोसी राज्यों से सीमा विवाद है. इन विवादों का एक बुनियादी पहलू यह है ये सभी असम से काटकर ही बनाए गए हैं. 1972 में मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को असम से अलगकर केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था तो वहीं मेघालय को इसी साल पूर्ण राज्य बनाया गया. इस कड़ी में नागालैंड पहला राज्य था जिसे असम से अलग किया गया. और यही वह राज्य है जिसके साथ असम का सीमा विवाद कई बार हिंसक संघर्षों के कारण चर्चा में रहा है.
नागालैंड का गठन 1963 में हुआ था. तत्कालीन नागालैंड सरकार का दावा था कि असम की जिन नगा पहाड़ियों के क्षेत्र को मिलाकर राज्य बना है उसका एक बड़ा हिस्सा उसे नहीं दिया गया. इस दावे के पीछे तर्क था कि अंग्रेजों के असम पर शासन से पहले ऐतिहासिक रूप से नागा आबादी एक विस्तृत भूभाग में रहती थी इसलिए यह नए राज्य में शामिल होना चाहिए. जबकि असम सरकार का कहना था कि संवैधानिक रूप से जो सीमा तय की गई है, दोनों राज्यों को उसका सम्मान करना चाहिए. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. नागालैंड के गठन के साथ ही असम के सीमावर्ती जिलों (जिनके कुछ इलाकों पर नागालैंड अपना अधिकार जताता है) में नगा विद्रोहियों द्वारा छिटपुट हमले की घटनाएं होने लगीं. इस दौरान केंद्र सरकार ने कई बार दोनों राज्यों को बातचीत से सीमा विवाद हल करने के लिए कहा लेकिन कोई समाधान न निकलते देख 1971 में वीके सुंदरम को विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी दे दी. सुंदरम तब विधि आयोग के अध्यक्ष थे. उन्होंने सुझाव दिया कि सीमा तय करने के लिए दोनों राज्यों को संयुक्त सर्वेक्षण करना चाहिए लेकिन नागालैंड सरकार ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया. हालांकि इसके बाद दोनों राज्यों के बीच चार बार अंतरिम समझौते हुए. इनके चलते कुछ समय तक सीमा पर शांति रही लेकिन 1979 की एक घटना ने इन समझौतों को पूरी तरह महत्वहीन बना दिया. उस साल नगा विद्रोहियों ने असम के गोलघाट जिले के गांवों पर हमला कर 60 लोगों की हत्या कर दी थी. इस माहौल में 25,000 लोगों को इन इलाकों से पलायन करना पड़ा. केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद यहां बमुश्किल शांति स्थापित हुई लेकिन 1985 में ठीक ऐसी ही एक और घटना हो गई जिसने इस सीमा विवाद की एक अलग जटिलता उजागर कर दी. इस बार गोलघाट के मेरापानी में असम पुलिस की चौकी पर हमला किया गया था और कहा जाता है कि यह हमला नागालैंड पुलिस के सिपाहियों ने किया था. उधर नागालैंड पुलिस का कहना था कि उनके सिपाहियों पर असम के पुलिसकर्मियों ने फायरिंग की है. भारत के इतिहास में शायद यह पहली घटना थी जहां दो राज्यों के पुलिस बलों के बीच मुठभेड़ हुई. इसमें तकरीबन 100 लोग मारे गए थे जिनमें 28 असम के पुलिसकर्मी थे.
इसी घटना के बाद 1988 में असम सरकार ने सीमा विवाद के निपटारे के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. 2006 में न्यायालय के निर्देश के बाद सीमा निर्धारण के लिए एक स्थानीय आयोग बनाया गया लेकिन इसकी अंतिम रिपोर्ट आने के बाद भी आज तक सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर कोई आखिरी फैसला नहीं सुनाया है.