रिश्वत दो, नक़्शा पास

उत्तराखण्ड की तबाही की जड़ में भ्रष्टाचार हाल के वर्षों में पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में क़ुदरत ने बड़ी तबाही की है। जोशीमठ सबसे ताज़ा उदाहरण है, जहाँ हज़ारों मकानों में दरारें आने के बाद लोगों को सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा है। ‘तहलका’ एसआईटी की छानबीन से ज़ाहिर होता है कि राज्य में पैसे के ज़ोर पर आपको तमाम क़ायदे-क़ानून ताक पर रख मकान या अन्य निर्माण का नक़्शा मिल जाएगा। इस भ्रष्टाचार को चिन्ताजनक मानते हुए नैनीताल, मसूरी, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी, गुप्तकाशी और ऋषिकेश के लोग भी अपने लिए आने वाले ख़तरे से भयभीत हैं। कुछ दलालों और अधिकारियों को रिश्वत देकर नियमों के ख़िलाफ़ वहाँ कुछ लोग अवैध निर्माण कर रहे हैं। तहलका एसआईटी की रिपोर्ट :- ‘झील विकास प्राधिकरण (एलडीए) नैनीताल के अधिकारियों की जेब गर्म कर दो और नैनीताल ज़िले में रिसॉर्ट बनाने के लिए ज़मीन से जुड़ी तमाम मंज़ूरियाँ हासिल कर लो। भले इसके लिए आप सरकार के ज़रूरी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हों या नहीं।’ यह दावा है करण साह का। हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के एक रियल एस्टेट एजेंट करण साह नैनीताल ज़िले के भवाली में काम कर रहा है। करण ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि उसने ख़ुद एलडीए को रिश्वत देकर पहाड़ी में एक घर के निर्माण का नक़्शा पास करवाया था। करण ने हमें एलडीए के एक अधिकारी का नंबर भी दिया और उसके मुताबिक, जिसके ज़रिये पहाड़ी में हमारे घर के नक़्शे के अनुमोदन का काम उसे तमाम उल्लंघनों के बावजूद नक़द भुगतान करके किया जा सकता है। जोशीमठ संकट के मद्देनज़र, जहाँ कुछ महीने पहले हज़ारों घरों में दरारें आयी हैं। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने उत्तराखण्ड के नैनीताल की यात्रा करने का फ़ैसला किया, ताकि इसका पर्दाफाश किया जा सके कि कैसे अनियोजित और अवैध निर्माण, जो विशेषज्ञ के अनुसार जोशीमठ संकट का प्रमुख कारण है; पहाड़ी राज्य में अभी भी बदस्तूर जारी है। यह सिर्फ़ जोशीमठ नहीं है, जहाँ घरों और गलियों में दरारें आ गयी हैं। विशेषज्ञ यह मानने लगे हैं कि न केवल पवित्र शहर अवैध और अनियोजित निर्माण के कारण धीरे-धीरे धँस रहा है, बल्कि नैनीताल, मसूरी, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी, गुप्तकाशी और ऋषिकेश भी ख़तरे में है। उत्तराखण्ड के अन्य पहाड़ी शहरों के निवासियों का भी कहना है कि वे भी इमारतों और सडक़ों में दरारों के कारण ख़तरे से घिरे हैं।
जोशीमठ की ही तरह उत्तराखण्ड के एक अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल भी कुछ ऐसी ही स्थिति दिख रही है। नैनीताल के माल रोड पर दरारें आना ज़िला प्रशासन के लिए ख़तरे की घंटी की तरह है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दरारों को भर दिया और सीमेंट लगाकर दरारों की जगह को समतल कर दिया। यह पहली बार नहीं है, जब नैनीताल के माल रोड में दरारें आयी हैं। पिछले दिनों मल्लीताल इला$के में ग्रैंड होटल के पास लोअर मॉल रोड पर कई जगह दरारें देखी गयी थीं। पीडब्ल्यूडी ने सभी दरारों को मिट्टी और बालू से भर दिया, जो बारिश में बह गयी थी। इससे पहले भी अगस्त, 2018 में माल रोड का एक हिस्सा टूटकर झील में गिर गया था। दरार की तस्वीरें सामने आने के बाद एक बार फिर निचले माल रोड पर ख़तरा मँडराने लगा है। इसके अलावा कुछ मामूली दरारें भी देखी गयी हैं। विभाग ने इसे प्राथमिकता के आधार पर गारे, मिट्टी और बालू से भर दिया है। इस बार माल रोड पर दरारें पिछली बार से ज़्यादा लम्बी और चौड़ी हैं। विशेषज्ञों ने 10 साल से भी पहले क्षेत्र में ज़मीन धँसने की आशंका जतायी थी। जोशीमठ शहर धँस रहा है, यह चौंकाने वाली बात नहीं; क्योंकि इसमें सुधार के लिए वहाँ कुछ नहीं किया गया। कहा जाता है कि न सिर्फ़ जोशीमठ में कई बहु-मंज़िला निर्माण हाल के वर्षों में हुए थे, बल्कि उत्तराखण्ड के सभी पहाड़ी क़स्बों में ऐसा हुआ है, जहाँ अब इमारतों और गलियों में दरारें आ रही हैं। अगस्त, 2022 में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की मीडिया में प्रकाशित एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ की कमज़ोर ढलान की समस्या अनियोजित निर्माण के परिणामस्वरूप बदतर हो गयी है, क्योंकि इससे इसकी वहन क्षमता पर विपरीत असर पड़ा है। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में रिटेनिंग वॉल्स (प्रतिधारक / सुरक्षा दीवार) बनाकर कई अतिरिक्त इमारतों को खड़ा किया जा सकता है। नतीजतन, वहाँ अब कमज़ोर ढलान पर दबाव बढ़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि समुचित योजना के बिना बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाएँ, जनसंख्या वृद्धि, पर्यटक भीड़, अवैध निर्माण और वाहनों का दबाव एक ऐसी स्थिति पैदा कर रहा है, जिससे उत्तराखण्ड में पहाड़ी शहरों को नुक़सान पहुँच रहा है। ‘तहलका’ ने उत्तर भारत के प्रसिद्ध हिल स्टेशन नैनीताल में स्थिति का जायज़ा लेने का निर्णय किया। वहाँ हर नुक्कड़ पर आपको ऐसे एजेंट मिल जाएँगे, जो दावा करते हैं कि वे नैनीताल के ज़िला स्तरीय विकास प्राधिकरण, जिसे झील विकास प्राधिकरण (एलडीए) के नाम से जाना जाता है; से तमाम ज़रूरी मंज़ूरियाँ दिलाने के बाद नैनीताल ज़िले में आपके घर या रिसॉर्ट का निर्माण करने में आपकी मदद कर सकते हैं। एलडीए अधिकारियों को कैसे रिश्वत दी जा सकती है? इसके लिए भी वे आपका ‘मार्गदर्शन’ करेंगे, जिसके बाद हम पर कोई निर्माण नियम लागू नहीं होता। और ये सब जोशीमठ और अन्य पहाड़ी नगरों के संकट के बाद हो रहा है। इससे यह भी ज़ाहिर होता है हमने अपनी ग़लतियों से कुछ नहीं सीखा है। इस सिलसिले में ‘तहलका’ की पहली मुलाक़ात ज़िला नैनीताल के भवाली में एक रियल एस्टेट एजेंट करण साह से हुई। करण उत्तराखण्ड के रहने वाले हैं। हमने करण से एक काल्पनिक सौदे की बात की कि हम भवाली में एक कॉटेज बनाना चाहते हैं और जोशीमठ संकट के बाद हमें एलडीए से कॉटेज निर्माण के लिए नक़्शे सहित सभी स्वीकृतियाँ चाहिए। अन्यथा यदि हम भवन निर्माण के नियमों का उल्लंघन करते हैं तो हम कठिनाई में फँस जाएँगे। इस पर करण ने भरोसा दिलाया कि रिश्वत और उसकी फीस चुकाकर एलडीए से हमारा काम करवा दिया जाएगा। इसके बाद करण ने हमें अपने जानकार एलडीए अधिकारी का नंबर दिया, जो उसके अनुसार कुछ पैसे लेकर हमारा काम कर देगा। रिपोर्टर : अच्छा ये बता, एलडीए का नक़्शा अगर पास करवाना हो, तो ख़र्चा कितना आएगा? करण : 1 से 1.25 लाख। रिपोर्टर : इतना क्यूँ? करण : आता ही है सर! रिपोर्टर : रिश्वत कितनी होगी इसमें? करण : रिश्वत पूछकर बताऊँगा। रिपोर्टर : बताना, …जोशीमठ के बाद डर लगने लगा है। करण : नहीं ऐसा नहीं है सर! …हाँ, खड़ा प्लॉट लेने में ऐसा रहता ही है। रिपोर्टर : ये एलडीए के अंडर ही काम करते हैं?
करण : एलडीए के अंडर के ही हैं, नक़्शा पास करवा देंगे। …थोड़ा आप इनका बढिय़ा करवा देना। …ये कम में भी करवा देंगे। …इनको ख़ुश करते रहना। करण के मुताबिक, एलडीए के अधिकारी भवन निरीक्षण के लिए आते हैं और निर्माण में किये गये सभी उल्लंघनों को नज़रअंदाज़ करके पैसा लेकर वापस चले जाते हैं। और उसके बाद पाँच महीने तक निरीक्षण के लिए नहीं लौटते हैं। करण ने कहा कि एलडीए के जिस अधिकारी का फोन नंबर उन्होंने हमें दिया है, वह सबसे भ्रष्ट व्यक्ति है। वो वह व्यक्ति है, जो एलडीए के अस्तित्व में आने से पहले ग्रामसभा के समय में बने भवन का सारा निरीक्षण करता है। करण : आपको तो ज़्यादा पैसा लगेगा ना जाने में, इनसे डायरेक्ट करवा लीजिएगा काम…। अब जितने भी ग्राम पंचायत से बने हैं ना, ये बिल्डिंग्स का निरीक्षण ऐसे ही करते हैं। अपना पैसा लेकर चले जाते हैं, …तो 5-6 महीने तक शान्त रहता है मामला; …अब आप इनसे डायरेक्ट बात करके नक़्शा पास करवा लीजिएगा। रिपोर्टर : अच्छा ग्राम पंचायत की जो बिल्डिंग बनी हैं। …अपार्टमेंट्स बने हैं, …उनका इंस्पेक्शन (निरीक्षण) करते हैं एलडीए वाले? करण : हाँ, करते हैं; कुछ नहीं करते, बस पैसा लेकर चले जाते हैं। रिपोर्टर : पैसा लेकर, मतलब रिश्वत लेकर? करण : रिश्वत लेकर, यही तो लेकर जाते हैं ङ्गङ्गङ्गङ्गङ्ग जी, …रिश्वत खाऊ हैं। आदमी अच्छे हैं वैसे। रिपोर्टर : इंस्पेक्शन यही करते हैं ङ्गङ्गङ्गङ्गङ्ग जी…? करण : हाँ, इंस्पेक्शन यही करते हैं…। अब करण ने हमें फिर से आश्वासन दिया कि वह एलडीए से हमारे घर के निर्माण का नक़्शा मंज़ूर करवा देगा। अपनी बात को पुख़्ता साबित करने के लिए उसने यह भी बताया कि उसने ख़ुद 1.50 लाख रुपये देकर एलडीए से एक घर का नक़्शा मंज़ूर करवाया था, जिसमें रिश्वत की रक़म भी शामिल थी। रिपोर्टर : एलडीए से नक़्शा पास हो जाएगा? करण : मैं करवा दूँगा, पक्का। रिपोर्टर : रिश्वत कितनी होगी? करण : रिश्वत वग़ैरह आप बात कर लेना। रिपोर्टर : तूने करवाये हैं पहले? करण : हाँ, करवाये हैं; …इनसे नहीं करवाये; जिनसे करवाये हैं, वो अब वहाँ पर हैं…ये रुद्रपुर। रिपोर्टर : तूने करवाया है नक़्शा पास?
करण : नक़्शा करवाया है पास; जिनका करवाया था, उनके लगभग डेढ़ लगे थे (1.5 लाख)। रिपोर्टर : रिश्वत मिलाके? करण : सब मिलाके, …सिम्प्लेक्स बनवाया था उन्होंने। यह पूछे जाने पर कि क्या निर्माण दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर भी हमें एलडीए से अपने निर्माण की मंज़ूरी मिल जाएगी, करण ने कहा कि पैसे देने के बाद हमें तमाम मंज़ूरियाँ मिल जाएँगी। उसने हमें सीधे एलडीए अधिकारी से पैसे के बारे में बात करने को कहा, जिसका नंबर उसने हमें दिया है। रिपोर्टर : अच्छा चाहे पूरी चीज़ें फुलफिल न होती हों, तब भी हो जाएगा? करण : मतलब? रिपोर्टर : जैसे एलडीए की कोई गाइडलाइंस हैं कि ये चीज़ें होनी चाहिए और वो अगर नहीं भी हों हमारे प्लॉट में तब भी नक़्शा पास कर देंगे? करण : नहीं, ऐसा कुछ नहीं है; …तब भी कर देंगे। …उसमें सर ऐसा करवा देंगे, …ये ङ्गङ्गङ्गङ्गङ्ग जी। करवा देंगे आपका सारा काम। रिपोर्टर : ङ्गङ्गङ्गङ्गङ्ग जी, …इनको कितना पैसा देना पड़ेगा? करण : मैं इनको बोल दूँगा, आप बात कर लेना; करवा देंगे। क्या पता 1 लाख से कम में ही करवा दे! रिपोर्टर : 50के – 1 लाख में? (50,000 से 1,00,000 में) करण : हाँ, …एक बार आप बात कर लेना; …आपको ख़ुश कर दूँगा, ऐसे करके बात कर लेना। रिपोर्टर : मैं डायरेक्ट बोल दूँ? करण : बोल दो, अभी पहले प्लॉट की बात कर लो। ऐसा लगता है कि जोशीमठ संकट ने उत्तराखण्ड में बेईमान सम्पत्ति एजेंटों पर बहुत कम प्रभाव डाला है। वे अपने ग्राहकों को अनियोजित और अवैध निर्माण के विभिन्न सौदे इस वादे के साथ बाज़ार में दे रहे हैं कि वे एलडीए से हमारे लिए निर्माण का सौदा करवाएँगे। ‘तहलका’ की मुलाक़ात नैनीताल ज़िले के भवाली में एक अन्य रियल एस्टेट एजेंट मोहम्मद ओसामा उर्फ़ चिराग़ से हुई। ओसामा उत्तराखण्ड की एक प्रतिष्ठित निर्माण कम्पनी के साथ बिक्री प्रमुख के रूप में काम कर रहा है। ओसामा को भी हमने एक काल्पनिक सौदा दिया और कहा कि हम नैनीताल में ज़मीन ख़रीदकर इस मशहूर पर्यटन स्थल में एक कॉटेज का निर्माण करना चाहते हैं। हमने एलडीए से निर्माण नक़्शे पास करवाने सहित सभी अनुमोदनों में उसकी मदद माँगी। ओसामा ने हमारी माँग मान ली और हमें बताया कि सभी अनुमोदन के लिए हमें रिश्वत के रूप में कितनी राशि देनी होगी। रिपोर्टर : और एलडीए से नक़्शा पास? ओसामा : सारी चीज़ करवा दूँगा। रिपोर्टर : एलडीए से करवा दोगे नक़्शा पास, कितना ख़र्चा आ जाएगा उसमें? ओसामा : फॉर एग्जांपल मानकर चलिए 1 लाख रुपये के आस-पास। रिपोर्टर : उसमें क्या-क्या होगा? ओसामा : ये मैं लमसम बता रहा हूँ। रिपोर्टर : मतलब 1-1.25 लाख का रिश्वत होगी? ओसामा : हाँ, मतलब ये आपका जाएगा पैसा।
रिपोर्टर : मतलब रिश्वत के होंगे ना? ओसामा : हाँ, अगर जल्दी काम करवाना है। रिपोर्टर : ये फीस है एलडीए की, या रिश्वत है? ओसामा : रिश्वत है…। आपका कम भी हो सकती है, 50-60 हज़ार में भी काम हो सकता है। इसके बाद ओसामा ने एक रियल एस्टेट एजेंट के रूप में अपनी उपलब्धियों का बखान किया, दुर्भाग्य से जिन्होंने उत्तराखण्ड के भीमताल में कई ज़िन्दगियों को ख़तरे में डाला होगा। उसने ख़ुलासा किया कि कैसे घूस देकर उसने एलडीए अधिकारी से एक ऐसी जगह पर आवासीय निर्माण की मंज़ूरी हासिल कर ली, जिसके ऊपर से हाईटेंशन बिजली के तार गुज़र रहे थे। उसने बताया कि उसने ढाई साल पहले एलडीए अधिकारियों को 1.20 लाख रुपये रिश्वत देकर यह डील करवायी थी। ओसामा ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी जगह की मंज़ूरी लगभग नामुमकिन है; लेकिन उसने फिर भी यह करवा दिया। रिपोर्टर : आपने कराये हैं ऐसे नक़्शे पास? ओसामा : हाँ, बहुत करवाये हैं; भीमताल में हाई टेंशन वायर जाती है ना, वो वाले भी हमने करवाये हैं। रिपोर्टर : एलडीए से? ओसामा : एलडीए से। रिपोर्टर : होता नहीं है वैसे? ओसामा : होता नहीं है; …जुगाड़ की बात है; टाइम-टाइम की बात है। रिपोर्टर : अभी है बंदा आपका एलडीए में, …हो जाएगा सारा काम? ओसामा : हो जाएगा।