एलबमः फाइंडिंग फैनी

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एलबमः फाइंडिंग फैनी
गीतकार » मुख्तियार अली, ऐलन मर्सर, मयूर पुरी
संगीतकार » मठियास डप्ल्सी, सचिन-जिगर

गाना है या सराय! संगीतकार फ्रेंच, गायक राजस्थानी लोकगीतों की आवाज, म्यूजिक अरेंजमेंट यूरोपियन लोकसंगीत वाला, और लिखाई पंजाबी से लबरेज. और जिस सराय में ये सब ठहरे, वह गोवा में. लेकिन ये सब जब सराय की बैठक के मूढ़ों पर बैठते हैं, गजब कर जाते हैं. गोवा की मधुशालाओं के मशहूर द्रव को इंसान बना जब गाकर उसे ढूंढते हैं, ‘ओ फैनी रे’, रेमो फर्नांडिस वाले गोवा से अलग एक गोवा दिल में जगह बनाता है. मुख्तियार अली गाते-गाते कई बार ऑफ-नोट होते हैं, ऑटो ट्यून के बिना उनकी आवाज सफर करती है, लेकिन यह सबकुछ फ्रेंच संगीतकार मठियास डप्ल्सी जानबूझकर करते हैं. कंप्यूटर निर्मित संगीत को इत्र की तरह हर लिखे गाने पर छिड़कने की बॉलीवुड की संस्कृति से खिलवाड़ करने का यह उनका पहला कदम है. शुरू-शुरू में दूसरे अंतरे में जब आवाज तयशुदा रस्ता छोड़ती है, आंखें चढ़ती हैं, लेकिन गाने के दो-चार दौर हो जाने के बाद रस्ता छोड़ना और रस्ते पर वापस आना मजेदार हो जाता है.

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