1. यदि शरीर में सूजन रहने लगे. विशेष तौर पर यह सूजन चेहरे से शुरू हो रही हो. आंखों के नीचे हल्की सूजन को भी नजरअंदाज न करें. यदि चेहरे पर न होकर मात्र पांवों पर हो या चेहरे और पांव दोनों पर हो तब भी तुरंत ही डॉक्टर से मिलकर अपना संदेह बताएं. खास तौर पर यदि आप पहले ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप, प्रोस्टेट आदि के रोगी हों या आपकी उम्र साठ-सत्तर वर्ष हो रही है तो सूजन होते ही जांच करा लें.
2. तो क्या सूजन न हो तो किडनी डिजीज की आशंका समाप्त हो जाती है? सूजन का न होना कोई गारंटी नहीं है. किडनी की बहुत-सी अन्य भूमिकाएं भी हैं. सो इनकी तकलीफें भी हो सकती हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है खून का बनना. यदि आपको खून की कमी (अनीमिया) के लक्षण हैं, जांच में हीमोग्लोबिन भी कम है तो सतर्क हो जाएं. विशेष तौर पर तब तो जरूर जब पूरे इलाज के बाद भी लौट-लौट कर पुन: अनीमिया हो जाता हो. ऐसे में किडनी की जांच की आवश्यकता है. कितने ही ऐसे मरीज आते हैं जो ‘बड़ी कमजोरी लगती है डाक्टर साहब, मेहनत करने पर हांफ जाता हूं’ कहते हुए आते हैं और जब डॉक्टर जांच करके उनको बताता है कि यह सब आपकी किडनी खराब हो जाने के कारण हो रहा है तो मरीज को विश्वास ही नहीं होता.
3. यदि भूख खत्म हो गई हो, वजन गिर रहा हो, बेहद थकान लगी रहती हो तो यह किडनी फेल्योर से भी हो सकता है.
4. भूख एकदम गायब, बार-बार उल्टियां हो जाती हैं तो यह गैस्ट्रिक या पीलिया के कारण ही नहीं, गुर्दों की बीमारी से भी हो सकता है.
5. यदि आपको उच्च रक्तचाप की बीमारी हो, आजकल ब्लड प्रेशर भी बहुत बढ़ा रहता हो और डॉक्टर द्वारा दवाइयां बढ़ा-बढ़ा कर देने के बाद भी कंट्रोल न हो रहा हो तो ऐसा किडनी के काम न करने के कारण भी हो सकता है.
6. यदि बहुत छोटी-सी चोट या मामूली स्ट्रेस से ही आपकी हड्डी चटक या टूट जाए, यदि हड्डियों में बहुत दर्द रहता हो तो भी यह किडनी की बीमारी का लक्षण हो सकता है. किडनी विटामिन डी तथा कैल्शियम की मेटाबोलिज्म में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है.
7. यदि पेशाब की मात्रा पानी पीने के बावजूद बहुत कम होने लगे तो भी जांच करा लें. पेशाब की मात्रा नापने का सीधा तरीका है पूरे चौबीस घंटे में पेशाब को किसी बर्तन में इकट्ठा करते जाना. यदि इसकी मात्रा आधा लीटर से कम हो तो जांच की जरूरत है. जब भी पेशाब का ऐसा हिसाब रखें तो उस दौरान पिए गए पानी, दूध, चाय आदि द्रव्य की मात्रा का भी हिसाब लिखकर डॉक्टर के पास ले जाएं, इससे बीमारी को समझने में मदद मिलेगी.
तो किडनी के फेल्योर की आशंका के प्रति हमेशा सतर्क रहें. जितनी जल्दी पता लगे उतना ही इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.