संयुक्त राष्ट्र का 1945 का तंत्र वर्तमान चिंताओं से निपटने में अक्षम: जयशंकर

भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र का 1945 में तैयार किया गया तंत्र अपनी सदस्यता की व्यापक चिंताओं को सामने रखने में अक्षम हो रहा है। भारत के विदेश मंत्री इस जयशंकर ने कहा कि कुछ शक्तियां अपने लाभ पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं और जब जी20 की बात करें तब अपनी सदस्यता के स्वरूप को देखते हुए इसके अपने विषय है और इसलिए हम बदलाव की मांग कर रहे हैं।

विदेश मंत्री ने यह बात वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ डिजिटल शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन के एक सत्र को संबोधित करते हुए कही। अपने संबोधन में उन्होंने अवहनीय कर्ज, कारोबारी बाधा, अनुबंधित वित्तीय प्रवाह और जलवायु दबाव जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया जिनका विकासशील देशों को सामना करना पड़ रहा है।

जयशंकर ने इस अवसर पर एक नये वैश्वीकरण प्रारूप की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा – ‘एक अधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक विश्व का निर्माण वृहद विविधीकरण और क्षमताओं के स्थानीयकरण के आधार पर ही हो सकता है।’