उनके राजनीतिक विरोधी उन्हें बिना किसी करिअर प्लान का उत्तराधिकारी बताते हैं. शायद यही कारण है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्थी चिदंबरम, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की तरह अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाल नहीं पाए. तमिलनाडु में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के बावजूद लोग उनके बारे में कम ही जानते हैं, साथ ही उनकी गतिविधियां भी हमेशा एक परदे में ही रही हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के ‘मसीहा’ के ये इकलौते पुत्र आजकल गलत कारणों से ही सही, सुर्खियों में हैं. मशहूर दक्षिणपंथी नेता और कूटनीतिज्ञ सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोप है कि कार्थी विवादित एयरसेल-मैक्सिस अनुबंध में एक लाभार्थी हैं. इसके बाद कार्थी पर राजस्थान एम्बुलेंस स्कैम में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगे, जिसने उन्हें मीडिया और जनता के सामने सवालों के घेरे में ला दिया. आरोपों का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा. आरएसएस के विचारक एस. गुरुमूर्ति ने हाल ही में पी. चिदंबरम और कार्थी चिदंबरम पर हेल्थकेयर चेन वासन आई केयर से काला धन लेने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. दोनों पर वासन आई केयर के बेनामी मलिक होने का भी आरोप है. चिदंबरम का कहना है कि ये आरोप गलत हैं और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं. पर इससे आरोप लगाने वाले गुरुमूर्ति और ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ पर कोई फर्क नहीं पड़ता. गुरुमूर्ति ने चेन्नई के एक पूर्व आयकर कमिश्नर एम. श्रीनिवास राव के शपथ पत्र का हवाला भी दिया है. राव ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में दर्ज एक शिकायत में कहा था कि उनके वरिष्ठों के ‘नाजायज’ आदेश न मानने की सजा के बतौर उनका ट्रांसफर किया गया.
इस दैनिक अखबार में लिखे लेख में गुरुमूर्ति ने दावा किया है कि कार्थी की कंपनियों के वासन आई केयर के साथ संभावित संबंध के परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी उपलब्ध हैं. गुरुमूर्ति आगे ये भी कहते हैं कि ये हेल्थकेयर चेन जेडी ग्रुप नाम की एक कंपनी और किन्ही डॉ. एएम अरुण के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों में भी शामिल है.
‘न मैं, न मेरा बेटा और न ही मेरे परिवार का कोई सदस्य ‘कथित’ कंपनी में किसी भी प्रकार के निवेश या आर्थिक लाभ के भागीदार हैं’
राव द्वारा दायर याचिका बताती है कि जेडी ग्रुप ने वासन ग्रुप को लगभग सौ करोड़ रुपये का भुगतान काले धन से किया था. गुरुमूर्ति लिखते हैं, ‘राव की याचिका पर कैट द्वारा की गई जांच बताती है कि जेडी ग्रुप द्वारा वासन ग्रुप को 223 करोड़ रुपये नकद दिए गए हैं.’ कहा जा रहा है कि इस बात के सबूत आयकर विभाग के पास हैं.