लेखकों के साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने और अकादमी पर चुप रहने का आरोप लगाना गलत है. अकादमी ने जिन लेखकों को पुरस्कृत किया है, वह उनके साथ नहीं है, वह लेखकों पर हो रहे हमलों पर खामोश है, यह एक झूठ है. तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जबकि हमने एमएम कलबुर्गी की हत्या के बाद बंगलुरु में अकादमी की तरफ से शोकसभा करके इस कृत्य की निंदा की थी. बढ़ती असहिष्णुता और सांप्रदायिकता को लेकर अगर आप सरकार का विरोध कर रहे हैं तो इसके लिए अकादमी का पुरस्कार लौटाने से भ्रम फैल रहा है. ऐसा लग रहा है कि आप साहित्य अकादमी का ही विरोध कर रहे हैं. यह स्पष्ट कर दूं कि अकादमी पुरस्कार देने में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता और जो लोग इसे सरकारी पुरस्कार मानते हैं, तो उन्होंने लिया ही क्यों था?