‘मामला आगे बढ़ाया तो ग्रीनपीस को एक वालंटियर कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा’

    मैंने 2014 की शुरुआत में ग्रीनपीस जॉइन किया था. ये मई का महीना था जब हमारी ट्रेनिंग बेंगलुरु ऑफिस के वेयरहाउस में चल रही थी. ट्रेनिंग का आखिरी दिन था और सबने ट्रेनिंग पूरी होने की खुशी में सेलीब्रेट करने के लिए बियर मंगाई. मेरी तबीयत उस दिन ठीक नहीं थी इसलिए मैं इसमें शामिल नहीं हुई और सोने चली गई. वालंटियर्स के सोने का इंतजाम वेयरहाउस में ही था. कुछ देर बाद एक वालंटियर आया और मुझे ठीक से याद नहीं कि उसने क्या कारण बताया और पूछा कि क्या मैं अपना बिस्तर इस तरफ शिफ्ट कर सकता हूं. मैं और मेरी एक दोस्त साथ थे तो हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं हुई. लगभग आधी रात को अचानक मेरी आंख खुली. वो लड़का मुझे अनुचित ढंग से छू रहा था. मैं घबरा गई. तबीयत भी ठीक नहीं थी तो मैं बाथरूम चली गई. वो वहां भी मेरे पीछे-पीछे आया और मुझसे बात करने की कोशिश करता रहा. मैंने खुद को अंदर बंद कर लिया था. मैं घबराई हुई थी, असहज थी. वो लड़का काफी देर तक बाहर खड़ा रहा. जब मुझे लगा कि वो चला गया होगा मैं वापस आ कर सो गई. उसने अगले दिन मुझसे बात करने की कोशिश की, मुझे बाद में भी कॉल और मैसेज करता रहा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here