

निर्देशक : विशाल भारद्वाज
लेखक : बशारत पीर, विशाल भारद्वाज
कलाकार : तब्बू, के के, शाहिद कपूर, नरेंद्र झा, इरफान खान, श्रद्धा कपूर
हैदर’ गोल-गोल कंटीली बाड़ों से हर तरफ लिपटा हुआ एक इंद्रधनुष है. वो कंटीले तार जो उन शहरों में बिछते हैं जिन्हें आर्मी अपना घर बना लेती है. कश्मीर में. हर तरफ. फिल्म के पास हर वो रंग है जो जिंदगी के साथ आता है, लेकिन क्योंकि कश्मीर है, त्रासदी की कंटीली तारों से झांकने को हर वो रंग मजबूर है. वो फिर भी खूबसूरत है, रिसता है, बदले की बात करता है, खून के छींटे उछालता है, मगर खालिस सच दिखाता है.
फिल्म के पास क्या नहीं है. कब्रों को खोदते फावड़ों का शोर, कब्रों को दड़बे बनाने का हुनर, झेलम की रक्तरंजित गाथा, श्रापित इंसानियत, और सच दिखाने का साहस. हैदर का साहस देखिए, पागलपन को जो आवाजें राष्ट्रभक्ति कहती हैं उन्हीं की दुनिया में वो बन रही है, हमें उधेड़ रही है, कुरेद रही है. वो फिल्म के रूप में भी उत्कृष्ट है और जो बात कहना चाहती है उसमें भी गजब की ईमानदार. वो कभी जिंदगी की खाल खींचती है कभी खींची खाल वापस लगाकर सहलाती है. वापस खींचने के लिए उसे फिर तैयार करती है.