दिल्ली विधानसभा चुनावः आप की चुस्ती, भाजपा की सुस्ती

 arvind kejriwal
तीन अगस्त को जंतर-मंतर पर पार्टी की रैली में अरविंद केजरीवाल और दूसरे नेता. फोटो: विकास कुमार

पिछले कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी के बार-बार बयान आ रहे हैं कि दिल्ली की विधानसभा भंग होनी चाहिए और तुरंत चुनाव कराए जाने चाहिए. अपनी मांग को लेकर वे हाल ही में दिल्ली के उपराज्यपाल से भी मिले. इस पर पार्टी ने अदालत में एक याचिका भी दायर की है और तीन अगस्त को जंतर-मंतर पर एक रैली भी आयोजित की गई. उसके नेताओं के व्यवहार से भी लग रहा है कि वे बड़ी जल्दी में हैं.

लेकिन वे इतनी जल्दी में क्यों हैं?

ऊपर से देखने में तो लगता है कि यदि आप को चुनावों के लिए थोड़ा समय मिल जाता है तो यह उसके लिए अच्छा ही होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद उसकी हालत थोड़ी खराब है, उसके पास संसाधनों की कमी है, कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी नीचे है और लगातार संघर्षों से वे कुछ थक भी चुके हैं.

लेकिन सतह को जरा खुरचें तो कई ऐसी कई वजहें हैं जो आम आदमी पार्टी को ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही होंगी. पहली तो यही कि आप के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि यदि चुनाव जल्दी न हुए तो कहीं उनके विधायकों में से कुछ को भाजपा अपने पाले में न कर ले. ऐसा होने की आशंका लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद बहुत ज्यादा थी. उस वक्त पार्टी में पूरी तरह से निराशा का माहौल था और विधायक दुबारा चुनाव में जाने को लेकर हर तरह की आशंकाओं से घिरे हुए थे. अब इस तरह की आशंकाएं उस परिमाण में न भी हों तो भी इतनी तो हैं ही कि हर दो-चार दिन में नेतृत्व की नींद उड़ाती रहें.

दूसरी चिंता आप को कांग्रेस के विधायकों के भाजपा में मिल जाने को लेकर भी है. उन्हें लगता है कि इस समय उससे कहीं ज्यादा निराशा का माहौल कांग्रेस में है और उसके कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो ही जाते अगर आप इसे लेकर हाल ही में जबर्दस्त हो-हल्ला न मचाती. आगे ऐसा नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है.

आप के नेताओं को लगता है कि अभी भाजपा उनकी पार्टी या फिर कांग्रेस में तोड़-फोड़ इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि दो राज्यों –हरियाणा और महाराष्ट्र – में इसी साल चुनाव होने हैं और इसका असर उन पर पड़ सकता है. चूंकि ये चुनाव लोकसभा चुनावों और अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद होने वाले पहले चुनाव हैं इसलिए भाजपा इनसे पहले अपनी छवि खराब करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती. एक बार चुनाव हो गए तो हो सकता है कि वह अपनी हिचक को उठाकर खूंटी पर टांग दे. उस हालत में अगर भाजपा ने किसी तरह की तोड़-फोड़ करके सरकार बना ली तो फिर केंद्र में भी उसकी मजबूत सरकार होने की स्थिति में उसका समय से पहले गिरना बड़ा मुश्किल होगा. तब दिल्ली में चार साल का इंतजार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकता है. दिल्ली के अलावा पंजाब में भी आप के लिए थोड़ी संभावनाओं का जन्म हुआ है लेकिन वहां पर भी चुनाव होने में अभी तीन साल का समय है.

क्या आप की आशंका सही है कि भाजपा चुनाव जीतकर दिल्ली में सरकार बनाने के बजाय जोड़तोड़ की सरकार बनाने में ज्यादा इच्छुक है? अगर ऐसा है तो भाजपा के ऐसा चाहने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

आप के सामने एक और समस्या यह भी हो सकती है कि तहलका की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक उसके कार्यकर्ताओं ने पिछले दिनों बड़ी संख्या में उसका साथ छोड़ा है. ऐसे में सालों तक संघर्ष के लिए हजारों कार्यकर्ताओं को जोड़े रखना उसके लिए आसान नहीं होगा.

लेकिन अगर पूरी तरह तैयार न होते हुए भी आप तुरंत चुनाव करवाना चाह रही है तो भाजपा इसका फायदा उठाने को तैयार क्यों नहीं है? क्या आप की आशंका सही है कि भाजपा चुनाव जीतकर दिल्ली में सरकार बनाने की बजाय जोड़ तोड़ की सरकार बनाने में ज्यादा इच्छुक है? अगर ऐसा है तो भाजपा के ऐसा चाहने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here