बाल यौन शोषण रैकेट

इस मामले के एक आरोपित रेमंड वेर्ली के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन में मुकदमा चल रहा है.

भारत में ऐसी कई आपराधिक घटनाएं हुई हैं जिनके बाद कानूनों में बदलाव हुए या नए कानून बने. गोवा में उजागर हुआ बाल यौन शोषण रैकेट का मामला भी ऐसा ही था. 1991 में गोवा अचानक उस समय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया जब पुलिस ने गुरुकुल नाम के एक अनाथाश्रम में छापा मारकर यहां रहने वाले बच्चों के यौन शोषण का मामला उजागर किया. इस अनाथाश्रम का संचालक जर्मन मूल का एक नागरिक फ्रेडी अल्बर्ट पीट्स था. पीट्स इस रैकेट का मुखिया था. इस प्रकरण के दुनियाभर में चर्चित होने की वजह यह थी कि इसके सातों मुख्य आरोपित विदेशी थे. ये लोग स्वीडन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड जैसे विकसित देशों से थे इसलिए सभी जगह इस मामले की चर्चा हुई. भारत में भी यह अपनी तरह का पहला मामला था. जांच आगे बढ़ने के साथ-साथ यह भी साफ हुआ की कुछ बच्चों को आरोपितों के साथ कई बार विदेश भेजा गया और कई दिनों तक उनका वहां शोषण किया गया. यह रैकेट 1989 से चल रहा था.

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