जजों की नियुक्तिः बदलाव जरूरी हैं

img
इलस्ट्रेशनः ऋषभ अरोड़ा

सर्वोच्च न्यायालय का कोई जज कैसे नियुक्त होगा इसके बारे में संविधान के अनुच्छेद 124 में लिखा है. इस अनुच्छेद के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति, जितने उन्हें जरूरी लगें उतने, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से सलाह के बाद करेंगे और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के अलावा बाकी सभी जजों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश से सलाह करना अनिवार्य होगा. मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को जितने जरूरी हों उतने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से सलाह करनी होगी.

सन 1993 से पहले तक जजों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका प्रधान थी. वह जिसे चाहती थी नियुक्त कर देती थी. तब की कुछ सरकारों ने संविधान के लिखे को कुछ इस तरह से लिया था कि जजों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश से विचार-विमर्श करना भले आवश्यक हो, लेकिन उसकी सलाह से पूरी तरह सहमत होना सरकार के लिए अनिवार्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की इस सोच का समर्थन 1982 में ‘फर्स्ट जजेज़’ वाले मामले में कर दिया था.

मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के संदर्भ में आज की तरह पहले भी थोड़ी निश्चितता थी. उस समय भी परंपरा यह थी कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को ही देश का मुख्य न्यायाधीश बनाया जाता था. हालांकि कांग्रेस की इंदिरा सरकार ने इस परिपाटी को भी अपनी मनमर्जी से खूब तोड़ा-मरोड़ा. 1973 में उसने तीन जजों – जेएम शेलत, केएस हेगड़े और एएन ग्रोवर – की वरिष्ठता को लांघकर जस्टिस एएन रे को मुख्य न्यायाधीश बना दिया. इन जजों ने केशवानंद भारती के मामले में सरकार के खिलाफ जाने वाला फैसला दिया था. जस्टिस रे की नियुक्ति के बाद तीनों जजों ने सर्वोच्च न्यायालय से अपना इस्तीफा दे दिया था.

1977 में एक बार फिर से वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस एचआर खन्ना को नियुक्त करने के बजाय इंदिरा सरकार ने एमएच बेग को मुख्य न्यायाधीश बना दिया. जस्टिस खन्ना ने भी आपातकाल के दौरान एक ऐसा फैसला दिया था जो सरकार को पसंद नहीं आया था. जस्टिस खन्ना ने भी इसके बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

1993 और 1998 में ‘सेकंड’ और ‘थर्ड जजेज़’ वाले मामलों में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों ने जजों की नियुक्ति वाली वर्तमान व्यवस्था को जन्म दिया. इसके मुताबिक यह अनिवार्य हो गया कि सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश केवल वरिष्ठता के आधार पर ही बनाया जाएगा और बाकी न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों का एक कॉलेजियम करेगा. इस कॉलेजियम की सिफारिशों को मानना सरकार के लिए अनिवार्य होगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here