बर्लिन की दीवार : 45 वर्ष बाद मिटी दीवार

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घंटियों की आवाज, जर्मन प्रार्थनाओं के उच्चार और बीते जमाने के जर्मन संगीत उम-पा-पा के कानफोड़ू शोर के बीच हार और अपमान का लंबा अतंराल झेल चुके दो अलग-अलग जर्मनी 45 वर्षों बाद आज आधी रात को फिर से एक हो गए.

मंगलवार की ठीक मध्यरात्रि में अमेरिका के लिबर्टी बेल की एक नकल, जो उसने शीत युद्ध के चरमोत्कर्ष वाले दिनों में उपहार के तौर पर भेंट की थी, टाउन हॉल से बजने लगी. और उस ऐतिहासिक रिकस्टॉग (जर्मन संसद भवन) के ऊपर फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी का काला, लाल व सुनहरे रंगोंवाला झंडा लहराने लगा, जहां जर्मनी के सांसद बैठा करते थे.

उसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड वॉन वीजसैकर ने रिकस्टॉग की सीढ़ियों से घोषणा की- ‘स्वतंत्र आत्मनिर्णय के जरिए हम जर्मनी की एकता हासिल करना चाहते हैं. ईश्वर और लोगों को ध्यान में रखते हुए हम इस काम  के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह वाकिफ हैं. एक संयुक्त यूरोप के जरिए  हम दुनिया में शांति स्थापित करना चाहते हैं.’

दस लाख लोगों ने साथ गाया राष्ट्रगीत 
इसके साथ ही लगभग 10 लाख लोगों की भीड़ ने एक साथ मिलकर पश्चिमी जर्मनी का राष्ट्रगीत गाया, जो अब संयुक्त जर्मनी का राष्ट्रगीत बन गया है. ‘एकता और न्याय और स्वतंत्रता, जर्मन फादरलैंड के लिए…’ ये शब्द युद्ध से पहले के राष्ट्रगीत के तीसरे अनुच्छेद से लिए गए हैं. इसकी शुरुआती पंक्तियों को अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. ये पंक्तियां कुछ इस तरह शुरू होती थीं- ‘डॉयचलैंड, डॉयचलैंड उबर एलेस.’

इस एक पल ने उस राष्ट्र की वापसी का बिगुल बजा दिया है, जिसे कभी पूरब और पश्चिम के बीच विभाजित कर दिया गया था. यह वापसी एक आर्थिक शक्ति के रूप में है. इस बार इसने शपथ ली है कि यह अपने महाद्वीप को फिर से उस दुख और संताप में नहीं धकेलेेगा, जिसका सामना इसे बीती पूरी सदी के दौरान करना पड़ा था.

इस तरह प्रशियन राज के तहत ओट्टो वॉन बिस्मार्क द्वारा जर्मनों को पहले-पहल एक छाते के नीचे इकट्ठा करने के बाद से पिछले 119 सालों में खड़ा होनेवाला यह सबसे छोटा संयुक्त जर्मन राज्य बन गया है.

और उत्सव बदल गया उन्माद में  
देखते ही देखते जर्मनी के सैकड़ों झंडे लहराने लगे और पतझड़ की वह सर्द रात पटाखों की आवाज में खो गई. बियर और शराब सड़कों पर पानी की तरह बहाई जा रही थी. अलग-अलग बैंड की धुन एक साथ मिलकर एक अजीब-सा कोलाहल पैदा कर रही थी. फिर जल्दी ही बोतलें सड़कों पर तोड़ी जाने लगीं और उत्सव को उन्माद में बदलते देर नहीं लगी. सुबह होते-होते नई राजधानी की सड़कें शराब की टूटी बोतलों से भरी हुई नजर आने लगीं थी.

उत्साही लोगों को उत्सव में बाधा डालने से रोकने के लिए 5,000 पुलिस अधिकारियों का सैन्य बल तैनात किया गया था और पुलिस ने सात लोगों की गिरफ्तारी की. लेकिन जो भी थोड़ी बहुत अराजकता पैदा हुई वह बिना किसी बड़ी दुर्घटना के गुजर गई.

इस एकता का मतलब यह हुआ कि जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक का अपने 1.6 करोड़ नागरिकों के साथ फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी में विलय हो गया. इस तरह फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी 137,900 वर्ग मील क्षेत्रफल और 7.8 करोड़ नागरिकों वाला राष्ट्र बन गया. इस विलय का मतलब यह भी हुआ कि फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी का नाम, राष्ट्रगीत, संविधान और सरकार ही अब पूरी जर्मनी का नाम, राष्ट्रगीत, संविधान और सरकार बन गए हैं. चांसलर हेलमुट कॉल फिर से एक हुए जर्मनी के पहले चांसलर बने, जबकि वॉन वीजसैकर पहले राष्ट्रपति.

बर्लिन बनी राजधानी 
बर्लिन एक बार फिर जर्मनी की राजनीतिक और आध्यात्मिक राजधानी बन गई है. कुछ समय पहले तक यह एक कुख्यात दीवार की वजह से कम्युनिस्ट राजधानी और पूंजीवादी राजधानी के बीच बंटी हुई थी.

फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइना अखबार के लिए लिखे गए एक विशेष आलेख में हेलमुट कॉल ने इन शब्दों में एकीकृत जर्मनी के प्रति अपना समर्पण जाहिर किया, ‘सभी लोग जान लें कि जर्मनी अब न तो एकपक्षीय राष्ट्रवाद का समर्थन करेगा न ही वह साम्राज्यवादी जर्मनी के रूप में आगे बढ़ेगा.’

एकीकरण का अवसर अंत में कुछ निराश क्षणों का गवाह भी बना. जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, जिसकी स्थापना सोवियतों ने ‘जर्मन धरती पर कामगारों और किसानों के पहले देश’ के तौर पर की थी, दीवालिया होकर खत्म हो गया. कुछ लोगों ने इसके गम में भी आंसू बहाए.

नागरिक आंदोलनों के एक नेता जेन्स रॉइश, जिन्होंने एक साल पहले कम्युनिस्टों का तख्ता पलटने के लिए किए गए प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था, ने संसद के आखिरी सत्र में पूर्वी जर्मनी की पहली और एकमात्र लोकतांत्रिक सभा का नेतृत्व किया, ताकि इसे पश्चिम जर्मनी में समाहित किया जा सके. रॉइश ने कहा, ‘अंत समय में एकता पीठ में छुरा घोंपने की घटना नहीं होनी चाहिए.’

विदाई बगैर आंसुओं के
लेकिन इन सबसे अधिक प्रासंगिक बात पूर्वी जर्मनी के प्रधानमंत्री रहे लोथार डे मैजेरे ने आलीशान शॉसपिलहॉस कन्सर्ट हॉल में पूर्वी जर्मनी की सरकार की आखिरी कार्यवाही के दौरान कही. उस सभा में देश के राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण हस्तियां उपस्थित थीं.

लोकतांत्रिक रूप से चुने गए पूर्वी जर्मनी के इस पहले और आखिरी नेता ने इन शब्दों के साथ अपने देश को इतिहास को समर्पित किया, ‘कुछ ही पलों में जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक का विलय फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी में हो जाएगा. इसी के साथ हम जर्मन लोग आजादी के साथ एकता हासिल कर लेंगे. यह हर्ष और उल्लास की घड़ी है. यह कई दुविधाओं का अंत है. यह बगैर आंसुओं की विदाई है.’

उसके बाद कुर्ट मैजू, जो पिछले पतझड़ में चले शांतिपूर्ण विरोधों के अगुवा रहे थे, आखिरी क्षणों में बीथोविन की नाइन्थ सिंफनी को संचालित करने के लिए उठे, शानदार ‘ओडे टू जॉय’ के साथ, यह संगीत जर्मनों के लिए उम्मीद के आध्यात्मिक मंत्र की तरह है.

मध्यरात्रि में अमेरिका के लिबर्टी बेल की एक नकल टाउन हॉल से बजने लगी, और रिकस्टॉग के ऊपर फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी का काला, लाल व सुनहरे रंगोंवाला झंडा लहराने लगा

हेलमुट कॉल का भाषण 
राजनीतिक सफलताओं के एक साल को सारबद्ध करते हुए कॉल ने एकीकरण से पहले अपने देश को कई घंटों तक टेलीविजन पर संबोधित किया.

उन्होंने कहा, ‘एक सपना कुछ ही घंटों में हकीकत में तब्दील हो जाएगा. विघटन के 45 कड़वे वर्षों के बाद हमारा फादरलैंड जर्मनी फिर से एक हो जाएगा. यह मेरे जीवन के सर्वाधिक खुशी भरे लम्हों में से एक है. आपसे मिले खतों और बातचीत के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि आप लोगों में से भी अधिकांश को अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है.’ कोल जब यह बोल रहे थे, उनकी आंखों में नमी थीं.

एक सच यह भी है कि कुछ जर्मन पिछले कुछ हफ्तों से इस एकीकरण और विस्थापन पर आनेवाले खर्च की शिकायत करते पाए जा रहे थे. लेकिन एकता के इस क्षण में कॉल की नजरों ने यह पहचानने में कोई भूल नहीं की कि यह वास्तव में उत्सव मनाने का अवसर है, गम का नहीं.

आगे बढ़ रहा है देश
चांसलर कॉल ने इस मौके पर जर्मनी के मित्रों और पड़ोसियों को धन्यवाद तो दिया ही, उन्हें आश्वस्त भी किया. उन्होंने कहा, ‘खास तौर पर हम संयुक्त राज्य अमेरिका को धन्यवाद देते हैं और उससे भी अधिक प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश को. दरअसल दुनिया-भर के प्रमुख नेताओं में बुश वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने जर्मनी की एकता से जुड़ी दिक्कतों को अधिक महत्व नहीं दिया था और कॉल की कोशिशों का समर्थन किया था.

पिछले कुछ हफ्तों में पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही भागों से एकीकरण की प्रक्रिया के खिलाफ नाराजगी बढ़ती दिखी थी क्योंकि जर्मनों को यह पता चल चुका था कि इस विलय की लागत काफी अधिक थी. लेकिन उन हजारों सैकड़ों लोगों के लिए, जो जर्मनी के अलग-अलग भागों और विदेशों से वहां एकत्र हुए थे, यह दुखी होने की नहीं, बल्कि उत्सव मनाने की रात थी.

बर्लिन के एक दुकानदार हॉइन्ज शोबर, जो अपनी पत्नी के साथ आए थे, ने कहा, ‘चीजें आगे बढ़ रही हैं. हम यहीं थे, जब दीवार बनाई गई, हम यहीं थे, जब दीवार गिरा दी गई और अब हम कुछ ऐसा देख रहे हैं जिसके बारे में हमारे बच्चे इतिहास की किताबों में पढ़ेंगे.’

तेज बदलावों का एक साल 
उन घटनाओं को एक साल भी नहीं हुआ था जब पूर्वी जर्मनी के काफी लोग हंगरी और चेकोस्लोवाकिया के साथ नई बनी सीमाओं से उस पार जाने लगे थे, जिसकी वजह से पूर्वी जर्मनी के नेता एरिक हॉनेकर को ऐसे वक्त में संकट का सामना करना पड़ा, जब वह देश की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर होनेवाले आयोजनों की अध्यक्षता की तैयारी कर रहे थे.

एकीकरण से एक साल पहले, 3 अक्टूबर 1989 को, पूर्वी जर्मनी के शरणार्थियों का एक भारी हुजूम चेकोस्लोवाकिया के पश्चिमी जर्मनी के दूतावास पहुंच गया था और पूर्वी जर्मनी की सरकार को आखिरकार इन लोगों को पश्चिमी जर्मनी जाने की अनुमति देनी पड़ी थी. इसके साथ ही इसने अपनी सीमाओं को भी बंद कर दिया, जिसकी वजह से नए झगड़े और अव्यवस्थाएं पैदा हुईं.

पूर्वी जर्मनी की वर्षगांठ के चार दिनों बाद इसके विलय की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई. सोवियत नेता मिखाइल एस गोर्बाचेव ने पहली बार ये संकेत दिए कि वह पूर्वी जर्मनी की सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार नहीं हैं. पूर्वी बर्लिन व अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों के कई समूहों से पुलिस की झड़पें हुईं.

इस तरह के प्रदर्शनों की संख्या तेजी से बढ़ी, जिसकी वजह से सरकार अस्थिरता की तरफ बढ़ने लगी. फिर प्रदर्शनकारियों ने नौ नवंबर 1989 को एक ऐतिहासिक घटना को अंजाम दे डाला. इन लोगों ने बर्लिन की दीवार में दरार पैदा कर दी. यह जर्मनी की एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटना साबित हुई. 18 मार्च तक पूर्वी जर्मनी के पहले लोकतांत्रिक चुनाव हुए और एक जुलाई तक इसकी अर्थव्यवस्था को पश्चिमी जर्मनी की अर्थव्यवस्था के साथ मिला दिया गया. गर्मियों के दौरान इसकी गति और तेज हो गई. तीन अक्टूबर को इनका औपचारिक विलय हो गया, जिसकी वजह से उत्सव का यह दृश्य बन सका.

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इन घटनाओं के क्रम में यह भी जरूरी था कि दोनों ही जर्मनी और बर्लिन अपनी पुरानी चली आ रही व्यवस्थाओं को जल्द खत्म करें. एकता के इस क्षण से पहले कई सारी व्यवस्थाएं और कार्रवाइयां की गईं ताकि सहयोगी देशों के नियंत्रण को खत्म किया जा सके.

पश्चिमी मित्र देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के कमांडर आखिरी बार मिले और पश्चिमी बर्लिन पर अपने अधिकार को त्यागने की घोषणा कर दी. इन देशों की सेनाओं ने युद्ध के बाद अपने कार्यभार को बांटकर पश्चिमी बर्लिन बनाया था और उसके बाद के वर्षों में कम्युनिस्टों से इसकी रक्षा की थी.

मित्र देशों के मुख्यालय पर एक जोरदार मुनादी के साथ एक ब्रिटिश कमांडर मेजर जनरल रॉबर्ट कॉर्बर्ट ने कहा, ‘मैं मित्र कोमांदातुरा की इस अंतिम बैठक को अब एक जबरदस्त उद्घोष के साथ खत्म करता हूं.’