शोभन सरकार

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अक्टूबर 2013 की बात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (जो उस वक्त भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे) ने चेन्नई में एक चुनावी सभा में उन्नाव जिले के डौंडिया खेड़ा में की जा रही खुदाई का मजाक उड़ाते हुए कहा था ‘किसी ने सपना देखा और सरकार ने वहां सोने की तलाश में खुदाई शुरू करवा दी. चोरों और लुटेरों ने देश का जितना धन विदेशों में छिपा रखा है वह 1,000 टन सोने से ज्यादा कीमती है. अगर सरकार उसे वापस ले आए तो सोने के लिए खुदाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सारी दुनिया हम पर हंस रही है.’ इस बयान के बाद संत शोभन सरकार तथा उनके शिष्यों ने मोदी को आड़े हाथों लिया. शोभन सरकार के प्रवक्ता ओम बाबा ने तो यहां तक कह दिया कि जब राजग की सरकार थी तो विदेशी बैंकों से धन वापस क्यों नहीं लाया गया? उन्होंने यह भी कहा कि जब आप सत्ता से बाहर हों तो दूसरों को भाषण देना आसान हो जाता है.

बहरहाल बाद में शोभन सरकार तथा उनके भक्तों की नाराजगी के बाद मोदी ने उनसे क्षमा याचना भी कर डाली. मोदी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘संत शोभन सरकार के प्रति अनेक वर्षों से लाखों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है. मैं उनकी तपस्या और त्याग को प्रणाम करता हूं.’

हालांकि सरकार ने कभी यह नहीं माना कि वह खुदाई शोभन सरकार के सपने के आधार पर की जा रही है लेकिन वहां कोई सोना भी नहीं निकला. लेकिन शोभन सरकार के करीबी सूत्रों की मानें तो शोभन सरकार ने डौंडिया खेड़ा में सोना निकलने की उम्मीद अभी छोड़ी नहीं है. अब उनकी उम्मीदें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार पर टिक गई हैं.

शोभन सरकार के एक अत्यंत करीबी और विश्वस्त सहयोगी नाम न बताने की शर्त पर तहलका को बताते हैं, ‘बाबा लगातार मोदी सरकार के मंत्रियों के साथ संपर्क में हैं ताकि मोदी सरकार डोंडिया खेड़ा में नए सिरे से खुदाई करवाए. यह मामला केवल बाबा के स्वप्न पर आधारित नहीं है बल्कि उनके पास कुछ नक्शे भी हैं जो उनकी बात को प्रमाणित करते हैं. पिछली सरकार ने उस स्तर तक खुदाई नहीं करवाई जितनी सोना निकालने के लिए जरूरी थी. बाबा खुदाई के तौर तरीकों से भी संतुष्ट नहीं हैं.’

खबरों के मुताबिक डौंडिया खेड़ा के राजा  राव राम बख्श सिंह ने खुद बाबा के सपने में आकर स्थान विशेष पर 1000 टन सोना गड़ा होने की बात उन्हें बताई थी. राव राम बख्श सिंह को सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने और ब्रिटिश सैनिकों को मारने के इल्जाम में अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था.

शोभन सरकार के करीबी ओम बाबा का भी एक आश्रम है जानकारी के मुताबिक वहां भी एक बार खजाने की तलाश में निजी स्तर पर खुदाई की जा चुकी है

सूत्रों के मुताबिक इस बार शोभन सरकार डौंडिया खेड़ा के साथ-साथ कानपुर के परेड व चौबेपुर गांव तथा फतेहपुर के आदमपुर गांव में भी खजाने की तलाश में खुदाई करवाना चाहते हैं. बाबा का कहना है कि परेड और चौबेपुर में जहां अरबों रुपये का खजाना गड़ा है वहीं आदमपुर में कम से कम 2,500 टन सोना निकलेगा. बाबा ने डौंडिया खेड़ा में 1,000 टन सोना निकलने का सपना देखा था.

इस वक्त शोभन सरकार कानपुर देहात के शिवली स्थित शोभन आश्रम से करीब 6-7 किलोमीटर दूर जादेपुर में देवी के एक मंदिर के जीर्णोद्धार के काम में लगे हुए हैं. उनकी सुबहें इस समय वहीं बीतती हैं जबकि शाम का समय वह अपने आश्रम में बिताते हैं. लोगों से मिलने-जुलने का उनका क्रम पूर्ववत जारी है. बाबा अपने करीबी लोगों के अलावा हर गुरुवार को आम लोगों से भी मुलाकात करते हैं. इस दौरान शक्ति (तकरीबन 27 वर्ष) नामक उनका निकटस्थ सहयोगी साये की तरह बाबा के साथ रहता है. उसे शोभन सरकार का सुरक्षा प्रभारी भी कहा जा सकता है क्योंकि उनसे मिलने वाले हर व्यक्ति को सुरक्षा जांच से गुजरना होता है जिसकी जिम्मेदारी शक्ति के पास ही है.

बाबा के सलाहकारों में सबसे बड़ा ओहदा ओम बाबा का है. डोंडिया खेड़ा खुदाई प्रकरण के दौरान बाबा के तमाम बयान खुद ओम बाबा जारी करते थे. ओम बाबा का पूरा नाम ओम अवस्थी है. युवावस्था में वह जिला स्तर पर कांग्रेस के नेता रह चुके हैं. आपातकाल के बाद कांग्रेस की पराजय के बाद ओम बाबा ने शपथ ली थी कि वह कांग्रेस की जीत होने तक आधे वस्त्र ही धारण करेंगे. उसके बाद से कांग्रेस तो कई बार हारी और जीती लेकिन ओम बाबा ने अपने आधे वस्त्र धारण करना जारी रखा. ओम बाबा की कई बड़े कांग्रेस नेताओं से नजदीकी है. चित्रकूट में ओम बाबा का एक आश्रम भी है जो 70 बीघे में फैला हुआ है. जानकारी के मुताबिक वहां भी एक बार खजाने की तलाश में निजी स्तर पर खुदाई की जा चुकी है हालांकि वहां भी कोई खजाना नहीं निकला. ओम बाबा उस खुदाई से इनकार करते हुए कहते हैं कि वहां ऊबड़-खाबड़ जमीन को समतल किया गया था.

बाबा लगातार मोदी सरकार के मंत्रियों के साथ संपर्क में हैं ताकि मोदी सरकार डोंडिया खेड़ा में नए सिरे से खुदाई करवाए

शोभन सरकार के इर्दगिर्द रहस्य का गहरा आवरण है. उनसे मिलने जुलने वालों का दायरा बहुत सीमित है तथा उनकी तस्वीर उतारने की भी इजाजत नहीं है. उनके परिचय के बारे में उनके करीबी लोग यही कहकर बच निकलते हैं कि संतों का कोई नाम या घर नहीं होता. बाबा के सर्वाधिक करीबी लोगों की बात करें तो उनमें उनके सुरक्षा प्रभारी शक्ति और प्रवक्ता ओम बाबा के अलावा मोनू शुक्ला, रामू, श्री चरण शुक्ला आदि शामिल हैं.

शोभन आश्रम की बात करें तो कानपुर देहात में शिवली के निकट स्थित यह भव्य आश्रम करीब 90 वर्ष पुराना है. उस वक्त यहां जंगल हुआ करता था. स्वामी रघुनंदन दास महाराज ने शिवली के निकट शोभन आश्रम की नींव रखी थी. शोभन गांव में जन्मे रघुनंदन दास ने 15 वर्ष की आयु में वैराग्य ले लिया था. करीब 40 साल पहले स्वामी रघुनदंन दास का देहांत हो गया. उसके बाद पास में स्थित शुक्लनपुरवा में पं. कैलाश नाथ तिवारी के घर जन्मे परमहंस स्वामी विरक्तानंद जी महाराज (वर्तमान शोभन सरकार) मंधना स्थित ब्रह्मावर्त कॉलेज से इंटरमीडिएट तक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात वैराग्य लेकर यहां आ गए थे. अब यही इस आश्रम के महंत हैं. शोभन सरकार ने आश्रम के पास करीब 100 बीघे भूमि पर एक झील और पांडु नदी से पंप से सिंचाई की व्यवस्था भी कराई है जिससे आसपास के गांवों के किसानों के खेतों की सिंचाई की जाती है. शोभन सरकार शिवली क्षेत्र के जुगराजपुर, गौरी तथा निगोहा गांव के पास पांडु नदी में पुल बनवाकर सरकार को सौंप चुके हैं.