आप इन्हें ओमकारा के रज्जू के रूप में बेहतर जानते होंगे जो अपने आसपास के बड़े सितारों के बीच जब यह कहकर नदी में कूदता है कि उसे तैरना नहीं आता तो दरअसल एक्टिंग के पानी का वह खूबसूरत तैराक है. रज्जू की मंगेतर को नायक ने मंडप से उठा लिया है और दीपक डोबरियाल के अभिनय में यह दोहरी खूबी है कि उसे कुशलता से निभाते हुए भी वे किसी भी पल उस किरदार से सहानुभूति नहीं जगने देते. हां, वे अपने ‘अजी हां’ और ‘चल झुट्टा’ के साथ याद पक्का रहते हैं.
यूं तो यह फिल्मी व्याकरण की एक घिसी-पिटी कहावत है कि अच्छे अभिनेता एक सीन से भी आपको याद रह जाते हैं लेकिन बहुत सारे प्रतिभावान अभिनेताओं के साथ दीपक के लिए भी इस कहावत का इस्तेमाल जरूरी है. फिर वह चाहे ‘दिल्ली 6’ का हलवाई हो, ‘शौर्य’ का चुप्पा कैदी कैप्टन हो, ‘ब्लू अम्ब्रेला’ के भला अंग्रेजी में भी कोई झूठ बोलता है? वाले कुछ सेकंड हों या गुलाल का एक दृश्य जिसमें पान की दुकान पर खड़े दीपक एक शब्द भी नहीं बोलते और उनकी हल्की मुस्कुराहट और आंखों की हरकत का कॉम्बिनेशन दिल जीत लेता है. ऐसी ही दिल जीतने पारी उन्होंने फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ के दोनों भागों में खेली है.
काफी पुराना लेख है लेकिन दीपक डोबरियाल की काबिलियत आज भी वही है।