
भारत ने कोरोना-टीके (वैक्सीन) की 100 करोड़ ख़ुराकें लगाने का महत्त्वपूर्ण पड़ाव हासिल करके विश्व का दूसरा ऐसा देश बन गया है, जो इसमें बड़े पैमाने पर सफल हुआ है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विशेष मौक़े पर कहा- ‘भारत ने इतिहास रच दिया। यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि भारतीय विज्ञान, उद्यमों और 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक भावना की जीत है। डॉक्टरों, नर्सों और यह उपलब्धि हासिल करने के लिए काम करने वाले सभी लोगों का आभार।’
ग़ौरतलब है कि इसी साल 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण के बाद यह पड़ाव पाने में देश को 279 दिन लगे। देश में वयस्कों में से 75 फ़ीसदी को पहला टीका और 31 फ़ीसदी को दोनों टीके लग चुके हैं। इस मौक़े पर भारत को बधाई विश्व भर से मिल रही है। यूनिसेफ भारत की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक़ ने कहा-‘यह उपलब्धि शानदार है। जब भारतीय परिवार कोरोना की हालिया विनाशकारी लहर से उबर रहे हैं। ऐसे में कई लोगों के लिए इस उपलब्धि का अर्थ उम्मीद है।’
दक्षिण-पूर्व एशिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा- ‘यह मज़बूत राजनीतिक नेतृत्व के बिना सम्भव नहीं था।’
100 करोड़ यानी एक अरब टीकाकरण में देश के किन-किन प्रदेशों ने अच्छा प्रदर्शन किया और कौन-से राज्य पिछड़ गये? इसका विश्लेषण करना भी ज़रूरी है। अब तक केरल, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। नौ राज्य और केंद्रशासित क्षेत्र- अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, गोवा, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, सिक्किम, उत्तराखण्ड और दादर-नागर हवेली अपनी पूरी वयस्क आबादी को टीके की पहली ख़ुराक दे चुके हैं। इन राज्यों में हिमाचल शीर्ष पर है। इस राज्य की पात्र पूरी वयस्क आबादी को पहला कोरोना टीका लग चुका है और उसमें से आधी को दोनों टीके लग चुके हैं। हिमाचल जैसे पहाड़ी इलाक़े में यह करके दिखाना आसान नहीं था। लेकिन राजनीतिक प्रतिबद्धता और स्वास्थ्य विभाग की कर्मठता ने हर बाधा का समाधान निकालकर इसे सम्भव करके दूसरों के सामने एक मिसाल क़ायम की है।
केरल में इस साल के मध्य में कोरोना वायरस के मामले काफ़ी बढ़े और पूरे देश का ध्यान वहाँ चला गया था, मगर वहाँ टीकाकरण की गति बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया। आबादी के हिसाब से टीकों का वितरण नहीं होने के चलते भी कई राज्य पीछे रह गये हैं। जैसे- उत्तर प्रदेश की आबादी 23 करोड़ से अधिक है और देश की कुल आबादी में इसकी हिस्सेदारी 17.4 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 11.9 फ़ीसदी है। पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में हिस्सेदारी 7.3 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 6.7 फ़ीसदी है। बिहार की कुल आबादी में हिस्सेदारी 9.1 फ़ीसदी है, मगर टीके 6.2 फ़ीसदी लगे हैं। तमिलनाडु का हिस्सा कुल आबादी में 5.7 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 5.3 फ़ीसदी है।
वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने आबादी के अनुपात से अधिक टीके लगाये हैं। दिल्ली की कुल आबादी में हिस्सेदारी 1.4 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 2.0 फ़ीसदी और केरल की कुल आबादी में भागीदारी 2.6 फ़ीसदी, मगर टीकाकरण में हिस्सेदारी 3.7 फ़ीसदी है। हरियाणा का हिस्सा कुल आबादी में 2.1 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 2.2 फ़ीसदी है। पंजाब की कुल आबादी में 2.2 फ़ीसदी है, मगर टीकों में 2.1 फ़ीसदी हिस्सेदारी है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु टीकाकरण में पीछे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की स्थिति इस सन्दर्भ में सबसे ख़राब है, यानी देश का सबसे अधिक आबादी वाला यह प्रदेश सबसे पीछे नज़र आ रहा है।