हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला  को नजरबंद किए जाने का दावा

अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद से रोजाना नया कलेवर देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां तालिबान के बदलाव की बात कही जा रही है तो दूसरी ओर उसकी कार्रवाई से शंका भी पैदा हो रही है। उसने भारत और पाकिस्तान को लेकर भी अपनी राय जाहिर की है।
पाकिस्तान और चीन तो शुरू से ही साथ हैं। ईरान ने तो अपना व्यापार बंद ही नहीं किया और अब सामान्य हालात में पहुंचने की बात कही है। तेल की आपूर्ति पहले ही शुरू कर चुका है। अब ताजा खबर जो अमेरिकी एजेंसियों के हवाले से सामने आ रही है उसने चौंका दिया और तालिबान को लेकर फिर से पुराने किस्से याद आने लगे हैं।
कुछ समय पहले तक तालिबान जिन नेताओं के साथ बातचीत के जिरये शांति की ओर जाने की बात कर रहा था, उन्हें ही प्रभावी तौर पर नजरबंद किया जा रहा है। अमेरिकी मीडिया ग्रुप सीएनएन ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि तालिबान ने पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई और विपक्ष के पूर्व मुखिया अब्दुल्ला-अब्दुल्ला से सारी सुरक्षाएं छीन ली हैं और उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया गया है।
अफगानिस्तान में तालिबान और वहां की सरकार के बीच बातचीत कराने में अहम भूमिका निभा रहे राष्ट्रीय सुलह परिषद के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को आतंकियों ने करजई की हथियारबंद सुरक्षा टीम के सभी हथियार और गाड़ियां छीन लीं। इतना ही नहीं, तालिबान ने बाद में अब्दुल्ला-अब्दुल्ला के घर पर भी छापेमारी की और उनकी सुरक्षा और गाड़ियां भी जब्त कर ली गई हैं।
इस बीच, ज्यादातर जेलों में बंद तालिबानी नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया है। इसके बाद यूरोपीय देशों  ने आतंकी हमले का अलर्ट जारी कर दिया है। काबुल एयरपोर्ट पर भी हमले की आशंका जताई जा रही है। इसके लिए बचाव अभियान रोकने की बात भी कई देश कर चुके हैं। इनमें पोलैंड ने विदेशियों को ले जाने का अभियान बंद कर दिया है। नीदरलैंड और हंगरी ने भी जल्द बंद करने का ऐलान किया है। ब्रिटेन और अमेरिका भी 31 अगस्त तक इसे बंद करने वाले हैं। इससे पहले ही वहां पर खास सतर्कता बरती जा रही है।
बता दें कि पिछले ही हफ्ते तालिबान के प्रवक्ता ने कहा था कि उनका संगठन अफगानिस्तान में समावेशी सरकार चाहता है। तबसे तालिबान ने करजई से लेकर अब्दुल्ला तक से बात की थी। ये दोनों नेता तालिबान से बातचीत के लिए पिछले कई दिनों से काबुल में ही ठहरे थे। इससे पहले दोहा में भी ये वार्ताओं पर शिरकत कर चुके हैं।  दोनों पक्षों की चर्चा के बाद अब्दुल्ला ने तो यहां तक कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि तालिबान सभी को साथ लेकर चलने वाली सरकार का गठन करेगा। लेकिन दिन बीतने के साथ ही तालिबान अपने असली रूप में सामने आ रहा है।