हम सब हिंदू, लेकिन कांग्रेस की प्राथमिकता गरीब और युवा

देश में आम चुनाव 2019 की तैयारियां अब ज़ोर पकड़ रही हैं। मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से एनडीए से कांग्रेस का है। विपक्ष की अलग-अलग पार्टियों जनादेश पाने के बाद ही कांग्रेस के साथ महागठबंधन करेंगी। तभी आपस में आम राय कर प्रधानमंत्री का भी चयन करेंगी। उनका यह तौर-तरीका भाजपा और उसके सहयोगी दलों को रास नहीं आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो इस गठबंधन को महामिलावटी कहते हैं।

भाजपा नेतृत्व का 29 दलों का गठबंधन एनडीए देश की सुरक्षा, देशभक्ति, हिंदू और हिंदूत्व को ज़रूरी मुद्दा मानता है। बाकी अपने पांच साल के दौरान उन्होंने जो उपलब्धियां देश को गिनाई हैं वे देश की जनता जानती और समझती है। वहीं मुकाबले में आई कांग्रेस ने भाजपा को एकदम खास झटका दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, हिंदुस्तान में सभी हिंदू हैं। आज की असली लड़ाई गरीबी हटाने की है। गरीब के साथ होने की है उसे खाने-पीने की चिंता से मुक्त करने भी है। सभी किसानों के चेहरे पर छाई हुई निराशा दूर करने की है। उनके लिए एक अलग बजट का प्रावधान अब ज़रूरत है। देश में बेरोज़गारी 45 साल में  सबसे ज्य़ादा ऊंचाई पर है। नए मतदाताओं को अच्छी नौकरी आज उनकी पहली ज़रूरत है। कांगे्रस इनके लिए काफी कुछ सोच रही है और करने को है। महिलाओं  को भी रोज़गार में आरक्षण दिया जाएगा। कांग्रेस के चुनावी मैनीफोस्टो को पढ़ कर जनता कितनी उसके साथ होती है यह तो 23 मई के बाद ही पता चलेगा।

यह ज़रूर है कि पिछले पांच वर्षों में भाजपा के नेतृत्व की एनडीए सरकार ने गरीबी को देश में और बढ़ाया। बेरोज़गारी इतनी बढ़ी कि 45 साल का आंकड़ा पार कर गई। रु पए के रातों-रात विमुद्रीकरण के नाम पर नोटबंदी हुई जिससे देश की जनता को अपनी बचत को बैंकों से निकालने की कोशिश में जान भी गंवानी पड़ी। पूरे देश में लघु-मझोले और हथकरघा ठहर गए। इसके बाद लागू हुई जीएसटी से सब से छोटे व्यवसाइयों का काम-धम बंद हो गया। पूरे देश में आर्थिक आधार अस्तत्यस्त हो गया। देश की बीस करोड़ की आबादी जो पहले से बदहाल थी और बदहाल हो गई। देश में किसानों, आदिवासियों, दलितों और भूमिहीन मज़दूरों की आर्थिक हालत और खराब हो गई। जिन्हें अब एक फैसला सोच-समझ कर लेना है।

देश में मझोली आयवर्ग के लोग, छोटे किसान, मज़दूर और बेरोज़गार युवक बेहद हताश हैं। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने 2019 के आम चुनाव में एक मजबूत सामूहिक विकल्प की बात की है। इनका विकल्प वादों से भरा है। लेकिन इस विकल्प से उम्मीद बढ़ती है। इनके विकल्प में मंदिर, धर्म, जाति, देश प्रेम आक्रामक नहीं है। आर्थिक बदहाली दूर करने की कोशिश के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार देने की योजना, पर्यावरण की सुरक्षा, और देश की सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया है। विपक्ष जनता को उसकी आर्थिक ज़रूरतों पर सोच समझ कर मतदान अपने भविष्य के लिहाज से करने की अपील में जुटा हुआ है।

यह अच्छी बात है कि देश की जनता में एक बहुत बड़ा हिस्सा एक दूसरे को समझाते हुए अपने नेताओं से अपनी समास्याओं पर सवाल पूछते हुए अपने और परिवार के भविष्य की चिंता के साथ मत देने की तैयारी में सघनता से जुटा है। नेताओं से चुनावी रणक्षेत्र में मुकाबला करने की बात उसकी समझ में अब आ गई है। कांगे्रस और दूसरे  विपक्षी दल इस सच्चाई को भांप गए हैं।

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने चुनावी घोषणापत्र को जारी करते हुए चुनाव को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया है। उन्होंने देश में रहने वाले हर व्यक्ति को हिंदू बताया है। साथ ही कहा कि आज ज़रूरी है कि आर्थिक तौर पर उसे सफल बनाया जाए। सारी समस्याओं का मुकाबला उनसे किया जा सकता हैं।

कांग्रेस ने मंगलवार दो अपै्रल को देश में अपने चुनावी दस्तावेज ‘हम निभाएगें’ जारी रखते हुए यह बताया गया है कि देश की गरीब जनता को आर्थिक तौर पर सहयोग देने के लिए इस पार्टी ने ही मनरेगा योजना से लागू की थी। जिससे हर हाथ को साल भर में सौ दिन का कम मिला था। भाजपा ने इसकी खूब आलोचना की थी। लेकिन सत्ता मेें आने के बाद उसे जारी रखा। हालांकि वह योजना धूर्त सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और भ्रष्ट स्थानीय नेताओं के चलते चौपट कर दी गई। इसका मुकाबला लोकतंत्र में संवाद करके और सवाल पूछ कर ही होता है इसमें शिक्षित पढ़े लिखे लोगों में से कुछ ने सहयोग भी किया।

राहुल गांधी ने कांग्रेस के मैनीफेस्टों ‘हम निभाएंगे’ को जारी करते हुए यह साफ किया कि देश के गरीबों की चिंता, मझोले वर्ग की चिंता सिर्फ कांगे्रेस ने ही की है। कांग्रेस का हाथ गरीबों के हाथ में है। हम मिल कर गरीबी पर वार करेंगे, 72 हजार से जि़ंदगी बेहतर बनाएंगे। उन्होंने कहा यह सिर्फ वादा नहीं है। देश और दुनिया के अर्थशास्त्रियों से बातचीत करके यह योजना बनाई है जिससे गरीब जनता हर महीने छह हजार रु पए से अपने जीवन संघर्ष को सहज सकें और ज्य़ादा विकास अपना और परिवार का कर सकता है। यह योजना तब अमल में आएगी जब कांगे्रस की सरकार केंद्र में आएगी। राज्यों की सरकारें यह जिम्मेदारी लेंगी कि गरीब को आर्थिक तौर पर सबल बनाने में पूरा योगदान करेंगी। गरीबी पर बार, 72 हजार योजना के केंद्र और राज्य सरकारें अमली जामा पहनाएगी। एक निर्दलीय समिति बनाई जाएगी जिसमें अर्थशास्त्री समाजसेवी सारी योजना एक चरण से दूसरे चरण से तीसरे चरण में अमल में लाएंगे।

कांगे्रस पार्टी इस बात की गारंटी देती है कि अगली लोकसभा फिर चुनने का समय आएगा तो देश के बेहद गरीब परिवारों में रु पए तीन लाख साठ हजार मात्र सीधे उसके खाते में पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश की जिस अर्थ व्यवस्था को भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों नें देश में नोटबंदी और जीएसटी पर अमल करते हुए चौपट कर दिया उसे दुरूस्त करने के लिए अब कदम उठाना ही होगा। इसमें कांगे्रस के हाथ को मजबूत करना है देश के गरीब को।

देश में बढ़ रही गरीबी और बेरोज़गारी को सबसे बड़े मुद्दे बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इन दोनों समस्याओं का निदान करने की पहल करने का बीड़ा उठा लिया है। आज केेंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों में तकरीबन बाइस लाख पद खाली पड़े हैं। जो इन पदों के उपयुक्त होंगे और जो मेहनती होंगे उन्हें मार्च 2020 तक काम का ज़रूर मौका मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की ग्राम पंचायतें और म्यूनिसपैलिटीज में भी दस लाख नौजवानों को रोज़गार मिल सकता है। उस पर भी कांग्रेस की योजना है। देश केंद्र सरकार, न्यायपालिका, संसद और निजी क्षेत्रों में ऐसी जगहें हैं जिन्हें देश के बेरोज़गारों को काम का मौका दिया जा सकता है। कांग्रेस जो कहती है वह करती भी है।

देश में शिक्षा पर कांगे्रस की केंद्रीय और राज्य सरकारें देश की सकल आय का छह फीसद खर्च करेंगी। शिक्षा का विकास एक गरीब देश की प्रगति के लिए बेहद ज़रूरी है। इस काम को 2023-24 तक ज़रूर पूरा कर लिया जाएगा। पूरे देश में सबको सहज-सुलभ स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए कांग्रेस सरकार छह फीसद खर्च करेगी। चिकित्सकों की शिक्षा-बढ़ाने, प्रशिक्षण देने पर कांग्रेस से एक पहली योजना तैयार की है। कांग्रेस सरकार बनते ही जल्दी से जल्दी राइट टू हेल्थ केआर एक्ट संसद में लाएगी। इसमें बीमारियों की छानबीन, ओपीडी गरीबों की देखरेख, दवाओं और चिकित्सा के लिहाज से ज़रूरी तमाम मशीनों उनके रख-रखाव और हाइजिन, दवाओं के लिए पूरी योजना होगी जिस पर अमल किया जाएगा।

बुनियादी ज़रूरतों पर कांग्रेस ने अपने मैनीफेस्टो में ज़ोर दिया है। इसमें बदलते मौसम और पर्यावरण संबंधी कठिनाइयों को हल करने का निश्चय अपने चुनावी दस्तावेज में जताया है। देश की रक्षा मामलों की ज़रूरतों पर विचार और कार्रवाई पर भी मैनीफेस्टों में बातचीत ख्ुाल कर की गई है। राफेल जैसे रक्षा सौदो मामले फिर न हों। उस पर भी ध्यान देने की बात कही गई है।

राहुल गांधी ने कहा कि किसानों की कृषि संबंधी परेशानियों के संबंध में कांगे्रस ने सोचा है कि एक तो यह कृषि उपज विपणन समिति (एग्रीकल्चरल प्रेडय़ूस मार्केट कमेटी) के कानून को खत्म कर देगी। यह कृषि उपज में व्यापक चाहे वह अंतरराष्ट्रीय से या विदेश के लिए हो उसे सारी पाबंदियों से मुक्त कर देंगी। यह आवश्यक वस्तु अधिनियम ला सकती है यदि कभी देश में कृषि उत्पादों को लेकर कोई ऐसी स्थिति पैदा होती है।