‘सरकार ही लाए कानून, मंदिर निर्माण हो’

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि मंदिर तत्काल बनाया जाए। केंद्र कानून लाकर तमाम बाधाएं दूर करे। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) में भी केंद्र सरकार के कानून लाने की बात कही है। उसका कहना है कि मंदिर निर्माण का इंतजार शाश्वत नहीं हो सकता। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि राम मंदिर मुद्दे पर हिंदू अब बेसब्र हो रहे हैं। मुझे तो डर है कि यदि  ंिहंदुओं ने धैर्य खो दिया तो क्या होगा?

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा मामले की सुनवाई टालने से हमारा इरादा और पुख्ता हुआ है कि यह कोई समाधान नहीं है कि बरसों पहले दायर  याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शाश्वत इंतजार करना पड़े। हमने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाए। यह संसद के वर्तमान सत्र में ही किया जाए। विहिप इसके लिए प्रचार करेगी और सभी दलों के सांसदों से संपर्क रखेगी। फिर ये सांसद भी जो एनडीए के बाहर है। वे भी कानून बनाने का समर्थन करेंगे।

उन्होंने कहा,’हमको भी लगता है कि प्रधानमंत्री को अब कानून लाकर दिखाना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि वे ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि संसद के शीत सत्र में राम  राम मंदिर निर्माण संबंधी कानून नहीं पास हुआ तो 31 जनवरी को कुंभ में धर्म संसद यह कानून पास करेगी। नवंबर में तीन और चार तारीख को अखिल भारतीय संत सम्मेलन भी हो रहा है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूत्रों का कहना है कि यदि अयोध्या मुद्दे को अदालतों के भरोसे ही छोड़ा गया तो भाजपा के लिए 2019 में लोकसभा चुनाव जीत कर जनजीवन की तमाम व्याधियों को निर्मूल करने के मिशन 2022 को पूरा कर पाना कठिन हो जाएगा। ऐसी हालत में ज़रूरी है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने पर जल्द फैसला लिया जाए। इसी साल नवंबर -दिसंबर  में संघ परिवार का इरादा कानून या अध्यादेश का इसलिए है क्योंकि इस साल पांच राज्यों में चुनाव नवंबर-दिसंबर में ही हंै।

राजस्थान और तेलंगाना में सात दिसंबर को ही चुनाव है। लोकसभा चुनाव अप्रैल मई 2019 में हैं। छह दिसंबर को भव्य समारोह भी होने हैं।

आरएसएस और संघ परिवार पहले ही इसी आशय के प्रस्ताव पास कर चुका है। अब भाजपा नेतृत्व मंदिर समर्थक चेतना को और अधिक व्यापक करने पर जुट गया है।

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद केंद्र में विधिमंत्री भी हैं उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि (अयोध्या मामलों) सुनवाई जनवरी में होगी। विधिमंत्री होने के कारण मुझे कुछ भी और नहीं कहना चाहिए। क्योंकि सीमाएं हैं। देश में ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है जो इस मुद्दे पर सुनवाई जल्द खत्म होने की दुआ करते हैं।

भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कहा,’यह सारा मामला भरोसे का है। अकेले अदालत के बस में इस मुद्दे पर फैसला ले पाना कठिन है। केंद्र सरकार को इस संबंध में अध्यादेश जारी करना चाहिए। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी इस पक्ष में है कि उचित कानून लाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू किया जाए।

‘राम मंदिर मुद्दे पर क्यों आना चाहिए अध्यादेश’

भाजपा हर बार पांच साल पर चुनाव के ऐन मौके पर उठाती है राममंदिर का मुद्दा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा व संघ परिवार ने मांग भी की है कि केंद्र सरकार इस संबंध में अध्यादेश या कानून लेकर आए। इस मांग पर कांग्रेस और वामपंथियों ने पूछा है कि भारत क्या एक धार्मिक देश है।

कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य पी चिदंबरम ने कहा कि यह भाजपा की चिरपरिचित कहानी है  जिसमें हर पांचवें साल राम मंदिर को लेकर भाजपा और संघ परिवार देश में ध्रुवीकरण करता है। जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में जब तक सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं लेता तब तक इंतज़ार किया जाना चाहिए। उन्होंने  कहा,’कांग्रेस का मानना है कि जब राम मंदिर का मामला अदालत में है तो उसके फैसले के आने तक हर किसी को इंतजार करना चाहिए। जब उनसे अयोध्या  में राम मंदिर निर्माण के लिए

‘अध्यादेश’ लाने की मांग पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, इसे लाने का फैसला नौकरशाही सरकार करती है। यदि कोई अध्यादेश लाने की मांग कर रहा है तो उस पर प्रधानमंत्री को फैसला करना है। वामपंथी नेता डी राजा ने कहा हम धर्म निरपेक्ष लोकतंात्रिक देश है। अध्यादेश लाना यों भी संविधान विरूद्ध है और संसदीय लोकतंत्र के भी।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने कहा कि धर्म निजी आस्था का मुद्दा है। इसे वोट बैंक की राजनीति से जोडऩा देश के खिलाफ जाता है। संवैधानिक तौर पर हम धर्म निरपेक्ष राष्ट्र हैं। जिन्होंने भी शपथ लेकर सरकार में भागीदारी की है, चाहे वे केंद्रीय मंत्री हों, मुख्यमंत्री हों उन्हें शपथ और संविधान को आदर देना चाहिए। उन्हें संतुलित होकर बात कहनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को आदेश नहीं देने चाहिए।