लोहा भी भस्म कर देने वाली साँस बचाइए

हम गहरी साँस लेते हैं और धीरे-धीरे छोड़ते हैं। हर पल, चाहे दिन हो या रात हमारे फेफड़े वायु ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। इस पूरी क्रिया का लक्ष्य होता है- शरीर के अंगों-प्रत्यंगों को ऑक्सीजन पहुँचाकर उन्हें सक्रिय रखना। शरीर में जो कोशिकाएँ होती हैं, वे ऑक्सीजन से ऊर्जा का निर्माण करती हैं। यह पूरी प्रक्रिया शरीर के विकास के लिए ज़रूरी होती है, जो जीवन रहने तक अनवरत चलती रहती है। ऑक्सीजन जब फेफड़ों में पहुँचती है, तो वो छोटे गुब्बारे की तरह फूल जाते हैं। वायु न पहुँचने पर  सिकुड़ जाते हैं, फिर पानी और ग्लूकोज से कोशिकाएँ सक्रिय होती हैं और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

इंसान को ताज़ा हवा के लिए खिड़कियों को खुला रखने और बाहर जाकर टहलने की सलाह दी जाती है। उसे पानी पीते रहने को कहा जाता है, ताकि शरीर को ऑक्सीजन मिलती रहे और कार्बन डाइऑक्साइड निकलती रहे। शरीर में पर्याप्त पानी होने से ऑक्सीजन का स्तर दुरुस्त रहता है। उसे आयरन युक्त भोजन लेने और व्यायाम करते रहने, योग करने की राय दी जाती है। ऑक्सीजन को उपलब्ध कराने मेें पेड़-पौधों की भी भारी उपयोगिता है। इनसे सुबह से शाम तक शुद्ध वायु मिलती है। ये दिन में कार्बनडाई ऑक्साइड वातावरण से लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। लेकिन विकास के चलते हरीतिमा अब घट गयी है। इस कारण तरह-तरह की व्याधियों में बढ़ोतरी हुई है।

ऐसी ही भयावह व्याधि कोरोना वायरस है, जिसकी चपेट में आज पूरी दुनिया है। मानव शरीर में ऑक्सीजन की कमी न केवल कोरोना वायरस, बल्कि बदलते मौसम और खेतों मेें पराली जलाये जाने से अब ज़्यादा महसूस होने लगी है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद कारखानों से दूषित वायु से पूरे वातावरण में प्रदूषण फैलता है। साथ ही कचरा जलाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। मानसून के समापन के बाद वायु की गति भी 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा हो गयी है। इसमें घटाव अभी रहेगा। हवा में विषैले तत्त्व वायुमंडल में घुलमिल जाते हैं। जब आकाश में बादल होते हैं। तब तापमान कम होता है और शान्त वायु अपनी गति से बहती है, तो विषैले तत्त्व भी ज़मीन की ओर आने लगते हैं। लेकिन जब हवा की गति तेज़ होती है और तापमान ज़्यादा होता है, तो हवा से विषैले पदार्थ इधर-उधर हो जाते हैं। एअर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च के अनुसार, तापमान में कमी और हवा की गति में घटाव इधर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में दिख रहा है। इस बार की सर्दियों में न केवल कोराना वायरस, बल्कि मौसम परिवर्तनों के चलते सारी दुनिया में पड़ रहे प्रभावों का भारत पर भी असर पड़ सकता है। दिल्ली और आसपास के राज्यों में खेतों में पराली जलाने के कारण और कारखानों से दूषित वायु साफ करके वायुमंडल में छोडऩे की प्रक्रिया के अभाव में बढ़ रहे खतरों के प्रति मौसम वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं। देश में ऑक्सीजन बनाने वाले कारखाने पूरे देश में खासे कम हैं, इस कारण हर प्रदेश में सहज़ व्याकुलता है। कर्नाटक में तो प्रदूषण के चलते ऑक्सीजन के छोटे-छोटे कैफे भी खुले थे, जो लॉकडाउन में बन्द हो गये, जो अब भी बन्द हैं; क्योंकि उन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कोराना वायरस के मरीज़ों तक को अब तय मात्रा में ऑक्सीजन दी जा रही है। ऑक्सीजन खास तौर पर अस्पतालों और कुछ आद्यौगिक कारखानों को ही अमूमन दी जाती रही है; लेकिन अब खपत बढऩे के साथ उत्पादन नहीं होने से परेशानी बढ़ी है। फिलहाल राज्य सरकारें अस्पतालों को  ऑक्सीजन देने में प्राथमिकता दे रही हैं। लेकिन अभी बढ़ी माँग के अनुरूप ऑक्सीजन का उत्पादन देश में नहीं है। मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की माँग 120 मीट्रिक टन प्रतिदिन की है; लेकिन बमुश्किल 65 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाती है। उत्तर प्रदेश और गुजरात से लिक्विफाइड ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी पड़ती है, जिसे सिलिंडर में भरकर अस्पतालों में भेज जाता है। इस प्राथमिकता से उन औद्योगिक इकाइयों की मुसीबत बढ़ गयी है, जिन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है। ज़्यादातर फाम्र्यास्यूटिकल और फ्रैब्रिकेशन कम्पनियों के कारखानों में ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है। प्रदेश में लॉकडाउन के चलते छ: संयंत्र बन्द हो गये जहाँ ऑक्सीजन बनती थी। ऑक्सीजन बनाने वाले कुछ कारखाने माँग के अभाव में पिछले पाँच साल से बन्द पड़े हैं। मध्य प्रदेश के राज्य के उद्योग सचिव एसके शुक्ल के अनुसार, ऑक्सीजन प्लांट के लगाने और उसके मेंटिनेंस मेें काफी खर्च आता है, इसलिए यह काम चंद लोग ही हाथ में लेते हैं।

ऑक्सीजन की बढ़ती िकल्लत को देखते हुए तमाम अस्पतालों में आईसीएमआर का ताज़ा निर्देश है कि कोविड मरीज़ों में ऐसे मरीज़, जिनके सिम्टम मॉडरेट हों उन्हें 7.14 लीटर प्रति मिनट और जो गम्भीर हों उन्हें 11.9 लीटर प्रति मिनट के आधार पर ऑक्सीजन दी जाए। इसके लिए वार्ड ब्वायज को प्रशिक्षित भी किया गया है। पूरे देश में आईसीएमआर के इस निर्देश का पालन हो रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का परामर्श है कि इस बार की सर्दियों में कोराना वायरस से संक्रमित रोगियों की तादाद में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस टेस्ंिटग, अस्पताल आदि पर व्यापक दिशा-निर्देश विभिन्न राज्यों को जारी किये हैं। राज्य सरकारें भी ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था करने में अब अपनी ओर से पहल कर रही हैं। ऑक्सीजन निर्माण करने के कारखाने सबसे ज़्यादा महाराष्ट्र और गुजरात में हैं। उनकी प्राथमिकता पहले अपने राज्य में पूर्ति की है फिर दूसरे प्रदेशों को भेजने की। आपात ज़रूरतों को ध्यान में रखकर कई राज्य सरकारों ने ऑक्सीजन प्लांट लगाने और पुराने प्लांट्स की उत्पादकता बढ़ाने पर अपना ध्यान लगाया है। उधर दिल्ली में वायु प्रदूषण को थामने के लिए दिल्ली सरकार ने भी कई कदम उठाये हैं। इसकी वजह यह है कि तापमान में कमी और हवा की गति घटने के साथ ही फिर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा का स्तर खराब पाया गया। अक्टूबर से इसे देखा-समझा गया। यह प्रायोगिक पड़ताल केंद्र सरकार के संस्थान एअर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (एक्यूआई) ने की है। रिपोर्ट के अनुसार, शहर का औसतन वायु गुणात्मक सूची (एक्यूआई) में एक सप्ताह से खासी बढ़ोतरी देखी जा रही। इसी साल दो अक्टूबर को से मॉडरेट पाया गया। क्योंकि जाँच सुई ने 180 की संख्या हुई। यह जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आँकड़ों में मिली। एसएएफआर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की वायु में लीड का प्रदूषण ज़्यादा मात्रा में है, जो खतरनाक है। दिल्ली सरकार ने यह तय किया है कि पाँच साल में यह वायु प्रदूषण काफी हद तक थाम लेगी। इसके लिए सडक़ यातायात दुरुस्त करने, कचरा जलाना रोकने के साथ-साथ कारखानों और बिजली संयंत्रों की साज-सँभाल करनी होगी। वायु प्रदूषण के लिहाज़ से दिल्ली की तुलना में मुम्बई और कोलकाता दूसरे ऐसे शहर हैं, जो वायु प्रदूषण के लिए भी जाने जाते हैं। इस शहरों में वायु प्रदूषण पर ध्यान नहीं दिया गया तो देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा साँस की तरह की बीमारियों का शिकार होगा। कोरोना वायरस ने सारी दुनिया में एक महामारी का रूप ले लिया है। इस कारण राज्यों और केंद्र सरकार और नागरिकों को प्रदूषण पर ध्यान देने का एक सुअवसर मिला है।