मोसाद ने अलकायदा के नंबर दो सरगना को ईरान में घुसकर मारा

अमेरिका ने 1998 में केन्या और तंजानिया में अपने दूतावासों पर आतंकी संगठन अलकायदा के भीषण हमले का बदला 22 साल बाद पूरा कर लिया है। अमेरिका की ओर से इस्राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंटों ने ईरान की राजधानी तेहरान में छिपे अलकायदा के नंबर दो सरगना अबू मोहम्मद अल मस्री (58) को इस हमले की वर्षगांठ पर मार गिराया। इसी हमले में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की बहू भी मारी गई। 2015 से तेहरान के पसदरान जिले में रह रहे अबू मोहम्मद को अलकायदा के मौजूदा सरगना अयमान अल जवाहिरी का उत्तराधिकारी माना जा रहा था। इस बीच, ईरान ने इस्राइल के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। अलकायदा ने भी अभी अबू मोहम्मद की मौत का एलान नहीं किया है।

अबू मोहम्मद पर एफबीआई ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया था। अगस्त में इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद से अब तक न तो अमेरिका, न ईरान और न ही इस्राइल ने इसे सार्वजनिक रूप से माना था। ईरान के सरकारी मीडिया ने बताया था कि मारे जाने वालों का नाम हबीब दाउद और उसकी 27 साल की बेटी मरियम बताया था।

ईरानी मीडिया ने कहा कि हबीब दाउद लेबनान का इतिहास का प्रोफेसर था। हालांकि, दाऊद नामक शख्स वहां कोई नहीं था और नकली नाम से ईरान की खुफिया एजेंसी के अधिकारी उसकी मदद करते थे। ईरान के एजेंटों ने उसे शरण दे रखी थी। मरियम की शादी ओसामा बिना लादेन के बेटे हमजा बिन लादेन से हुई थी। हमजा की पहले ही मौत हो चुकी है।