मान्यताओं-प्रथाओं का चक्कर

पुजारी महिलाओं की पीठ पर चलकर उन्हें बच्चा होने का देते हैं आशीर्वाद

हमारे देश में कुछ विचित्र मान्यताएँ-प्रथाएँ हैं, जिन्हें अन्धविश्वास कहा जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इनमें से एक सबसे अजीब प्रथा छत्तीसगढ़ में ‘मढ़ई मेले’ के दौरान देखी जाती है। वहाँ पुजारी बच्चा होने का आशीर्वाद देने के लिए फर्श पर पट लेटी विवाहित महिलाओं की पीठ (कटि भाग) पर चलते हैं।

इस बार दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में यह विचित्र अनुष्ठान हुआ। एक दर्ज़न से अधिक पुजारी और तथाकथित चुड़ैल व्याधि से छुटकारा दिलाने वाले ओझा बच्चा होने का आशीर्वाद देने के बहाने महिलाओं की पीठ पर चले। वहाँ एक पुरानी मान्यता के अनुसार, देवी अंगारमोती मन्दिर में दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को मढ़ई मेला आयोजित किया जाता है।

मुख्य बातें

इस साल 50 से अधिक गाँवों की 200 महिलाएँ ज़मीन पर पट लेट गयीं और बाकी गाँववासी यह प्रक्रिया देखने के लिए वहाँ जमा रहे। दर्ज़नों पुजारी और ओझा ने इन महिलाओं को बच्चा होने का आशीर्वाद देने के नाम पर इनकी की पीठ पर चढक़र मंदिर में प्रवेश किया। सभी महिलाएँ ज़मीन पर दण्डवत लेटी रहीं और ये पुजारी तथा ओझा धार्मिक ध्वज लहराते हुए महिलाओं की पीठ पर से होते हुए मन्दिर में पहुँचे। महिलाएँ बच्चे की चाह में खुद को एक साथ कई पुरुषों द्वारा पैरों से रौंदने के लिए तैयार थीं।

मान्यता के चक्कर में हर साल छत्तीसगढ़ के धमतरी में सैकड़ों लोग एक अनुष्ठान करते हैं, जिसके दौरान पुजारी और ओझा बच्चों का आशीर्वाद देने के लिए महिलाओं की पीठ पर चढक़र गुजरते हैं। इस वर्ष अनुष्ठान के दौरान कोरोना वायरस के बावजूद उपस्थित लोगों ने मास्क नहीं पहने थे और न ही आपसी दूरी के नियम का पालन किया। इस प्रथा पर कोई आपत्ति नहीं जताते हुए जनजातियों के हज़ारों लोग, जिनमें हमेशा की तरह पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हुए; मन्दिर पहुँचे और मधाई मेले के गवाह बने। माँ बनने की इच्छा रखने वाली नि:संतान महिलाएँ अपने पेट के बल लेटी हुई दिखायी दीं और आदिवासी पुजारी उनकी पीठ पर चढक़र मंत्रों का जाप करते हुए चल रहे थे। उनके हाथों में ध्वज थे और उत्सुक ग्रामीण इस अनुष्ठान को देखकर प्रसन्न हो रहे थे।

मेले की तस्वीरों और वीडियो आदि मेंं लोग बिना मास्क के एक-दूसरे के निकट खड़े देखे जा सकते थे। आदि शक्ति माँ अंगारमोती ट्रस्ट के सचिव आर.एन. ध्रुव कहते हैं- ‘मधाई मेला पिछले 500 साल से हो रहा है। हम उसी परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। लोग अनुष्ठान में दृढ़ विश्वास के साथ शामिल होते हैं, जिसका गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। पूर्व में मेले में भाग लेने के बाद कई विवाहित महिलाओं को पुजारियों-ओझाओं के आशीर्वाद से बच्चे होना चमत्कार ही है।’

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन किरणमयी नायक ने  कहा- ‘इसके लिए बहुत जागरूकता की आवश्यकता है। मैं अपनी टीम के साथ उस जगह का दौरा करूँगी और स्थानीय लोगों की मदद से इस प्रथा को हतोत्साहित करने और महिलाओं को आसान गर्भाधान और माता का आशीर्वाद लेने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में जागरूक करूँगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुँचे।’