महाराष्ट्र पर तकरीबन पौने पांच लाख करोड़ का कर्ज!

ठाकरे सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती

महाराष्ट्र की नई सरकार ने जनता से बहुत सारे लोकलुभावन वादे तो कर लिए हैं लेकिन अब वक्त उन्हें मूर्त रूप देने का आ गया है। सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या राज्य की तिजोरी की है इस वक्त कर्ज में डूबी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस वक्त राज्य पर पौने पांच लाख करोड़ का कर्ज है।

महाविकास आघाड़ी सरकार के सामने और सबसे बड़ी समस्या कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को संभाल कर, जैसा कि आघाडी का दावा है,राज्य को विकास की दिशामे ले जाना है।

पुरानी सरकार के कार्यकाल के दौरान बहुत सारे बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स को आनन-फानन में हरी झंडी दिखा दी गई थी जिसके चलते ‘आमदनी अट्ठनी खर्चा रुपैया’ वाली स्थिति पैदा हो गई। अब नई सरकार, पुरानी अर्थव्यवस्था की समीक्षा कर नई अर्थव्यवस्था के मद्देनजर ‘व्हाइट पेपर’ जारी करेगी।

हालांकि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की मिली जुली सरकार ने भी जो वादे किए हैं उन्हें पूरा करने के लिए भारी भरकम बजट की जरूरत है।इसलिए महाविकास आघाडी, चाहती है कि जनता के सामने पुरानी सरकार की असलियत जाहिर हो।

राज्य पर पौने पांच लाख करोड़ का कर्ज

पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस के ड्रीम प्रोजेक्ट्स बुलेट ट्रेन, समृद्धि महामार्ग और मुंबई, पुणे, नागपुर की मेट्रो रेल परियोजनाएं काफी खर्चीली रही। बुलेट ट्रेन का खर्च एक लाख करोड़, समृद्धि महामार्ग का खर्च 48हजार करोड़ और मेट्रो परियोजनाओं में लगभग 30 हजार करोड़ का खर्च। इन सभी परियोजनाओं के चलते महाराष्ट्र की तिजोरी पर भरकम खर्च का भार बढ़ता चला गया और साथ ही कर्ज का बोझ भी। खर्च बढ़ने के साथ-साथ राजस्व भी घटता चला गया। सरकार हर बार घाटे का बजटपेश करती चली गई। इन सभी के चलते महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है जिसे पटरी पर लाना ठाकरे की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

महा विकास आघाड़ी ने महाराष्ट्र के किसानों का कर्ज माफ करने व बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की तुरंत भरपाई करने का वचन दिया है। अपने इस वादे पर खरा उतरना नयी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

फडणवीस के कार्यकाल में राज्य सरकार पर 7,38,114 करोड़ का कर्ज़ बढ़ा। जिसमें से 2, 66, 472 कर्ज चुका दिया गया। फिलवक्त राज्य पर 4,71, 642 करोड़ का कर्ज़ बाकी है। यानी महाराष्ट्र पर तकरीबन पौने पांच लाख करोड़ का कर्ज है।

यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि नई सरकार अपने वादों को पूरा करने की चुनौती किस तरह से जामा पहनाती है, जो उसके लिए बहुत ही जरूरी है, या फिर तिजोरी खाली होने व कर्ज़ का बहाना बनाकर वक्त निकालती है।