मध्यावधि चुनाव के नतीजों में घिरे ट्रंप

अमेरिका में छह नवंबर को मध्यावधि चुनाव हो गए। इस चुनाव से यह बात साफ हुई है कि अमेरिका में लोकतंत्र बहुत ही मज़बूत है। हालांकि एक-एक करके लोकतंत्र के तमाम प्रहरी संस्थानों को कमजोर करने की पुरजोर कोशिशें हुईं। ध्रुवीकरण की खूब चालें चली गई। दहशत फैलाई गई। यहां तक कि मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए भी खूब पहल हुई। समाज में चूंकि इस बदलाव के समर्थक नहीं है इसलिए आम जनता ने इसे जबरदस्त तरीके से नकार दिया।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संवाददाता सम्मेलन में गुरुवार (8नवंबर) को कहा कि जिन रिपब्लिकन उम्मीदवारों ने उनसे प्रचार के दौरान दूरी बनाए रखी वे अपनी ही सीट हार गए। उन्होंने मीडिया के उन संवाददाताओं का मज़ाक उड़ाया जिन्होंने उनकी बातों का उपहास किया। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में अब डेमोक्रेटस हावी हंै। हालांकि ट्रंप यह नही मानते। डेढ घंटे के अपने संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कुछ संवाददाताओं को अशिष्ट भी करार दिया। सीएनएन के व्हाइट हाउस संवाददाता जिम अकोस्टा का प्रेस पास भी निलंबित कर दिया गया।

अमेरिकी मध्यावधि चुनाव से आए नतीजों से यह साफ है कि 435 सीटों के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में डेमोक्रेट्स के पास फिलहाल 220 सीटें हैं। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की खसियत यह है कि राज्यों की जनसंख्या के अनुसार सीटें बढ़ती है। अब रिपब्लिकन पार्टी 51-49 की संख्या से सीनेट में 54-56 की स्थिति में है जो हर राज्य (बड़ा या छोटा) से दो प्रतिनिधि लेती है। दोनों ही पार्टियां अपनी जीत के दावे करने में जुटी हैं। हालांकि अब डेमोक्रेट्स के पास ज़्यादा अधिकार हैं। उन्होंने सदन में अपनी तादाद बढ़ा कर रिपब्लिकन को कमजोर किया है।

डेमोक्रेटस नेे भीड़ वाले तटीय इलाकों, शहरी, उदार, प्रगतिशील और आर्थिक तौर पर सक्रिय अमेरिकी क्षेत्रों से मत हासिल किए। जबकि राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी पार्टी को कम आबादी क्षेत्र, अशिक्षित, गंवई, दकियानूसी, श्वेत और आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों ने मत दिए। राष्ट्रपति ट्रंप ने चाहा था कि ‘रिपब्लिकनस’ को सुनामी विजय हासिल होगी जो संभव नहीं हो सकी।

जो नतीजे आए हैं उससे ट्रंप की विदेश नीति प्रभावित नहीं होती। लेकिन डेमोक्रेटस अब ट्रंप की घरेलू नीतियों में ज़रूर दखल दे सकते हैं। रिपब्लिकन ने भी डेमोक्रेटस की नीली लहर का सामना किया। इस नीली लहर की खासियत थी कि यह लेफ्ट ऑफ सेंटर थी और इसमें समाजवादी हनक थी। यह बात भी साफ हुई कि अब 2020 के अगले आम चुनाव में डेमोक्रेटस को ऐसे नेता की ज़रूरत होगी जो ट्रंप के समर्थकों को अपनी ओर खींच सके।

कुल मिला कर मध्यावधि चुनाव की मिली-जुली इस प्रतिक्रिया से यह बात ज़रूर साफ हुई है कि जनता चाहती है कि ट्रंप सरकार पर रोक-टोक रहे। शायद लोकतांत्रिक अमेरिका के लिए यह बेहतर हैं।