भारतीय समुद्र पर बन चुका एक और पुल

मुंबई वालों को घंटों के ट्रैफिक से मुक्ति दिलाएगा ‘मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक’

भारत का अब तक सबसे लम्बा समुद्री पुल मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) क़रीब-क़रीब बन चुका है। 25 मीटर ऊँचा, क़रीब 2,300 मीट्रिक टन भारी और 22 किलोमीटर लम्बा यह समुद्री पुल इस पर चलने वालों को न केवल समुद्र की विशालता के कुछ हिस्से के दर्शन कराएगा, बल्कि जाम के झाम से लोगों को राहत देने के अलावा समय तथा ईंधन की बचत कराएगा।

इस पुल की योजना पाँच साल पहले मुंबई में जाम से निपटने तथा नवी मुंबई और मुंबई के बीच की दूरी तय करने के लिए बर्बाद होने वाले समय को बचाने के उद्देश्य से बनी थी और अब इसे तक़रीबन पूरा कर लिया गया है। समुद्र पर पानी से इसकी ऊँचाई क़रीब 25 फुट है। इस पुल से मुंबई शहर का नज़ारा बड़ी आसानी से देखा जा सकेगा और मुंबई शहर में बने कंकरीट के जंगल को निहारा जा सकेगा। फोर लेन और टू-वे के आधार पर डिजाइन किये जाने वाला यह समुद्री पुल भारत के अब तक के सबसे लम्बे पुलों में से एक होगा। इस पुल का निर्माण तक़रीबन 97 फ़ीसदी पूरा हो चुका है। संभवत: साल 2024 के चुनाव से पहले इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करें!

मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक नाम के इस विशाल समुद्र का पुल का 16.5 किलोमीटर हिस्सा समुद्र पर बना है, जबकि बाक़ी का 5.5 किलोमीटर हिस्सा ज़मीन पर बना है। इस पुल में 180 मीटर लम्बा ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक (ओएसडी) स्थापित किया गया है। इस डेक की मदद से समुद्री जहाज़ों को पुल के नीचे से गुज़रने के दौरान नेविगेट किया जा सकेगा, ताकि समुद्री जहाज़ों पर किसी प्रकार का दबाव न पड़े और उनकी गति व दिशा में कोई परिवर्तन न हो सके। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पुल निर्माण की हरेक प्रक्रिया और गतिविधि पर नज़र रखे हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि साल 2024 के शुरू होने से पहले ही भारत के सबसे लम्बे इस समुद्री पुल को जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

बता दें कि यह देश का ऐसा पहला पुल होगा, जिसे ओपन रोड टोलिंग (ओआरटी) प्रणाली सुविधा से लैस किया गया है। 22 किलोमीटर लम्बे इस पुल के निर्माण को तेज़ी से पूरा किया जा रहा है, जिससे मुंबई का सेवरी इलाक़ा और रायगढ़ का चिर्ले इलाक़ा सीधे-सीधे जुड़ जाएगा। अब तक सेवरी से चिर्ले जाने में क़रीब 2.5 से 3 घंटे का समय लगता है; लेकिन पुल के ज़रिये यह समय केवल 20 मिनट का हो जाएगा। यानी इतनी लम्बी दूरी तय करने में सिर्फ़ 20 मिनट लगा करेंगे।

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) की मानें तो भारत में पहली बार इतना आधुनिक पुल बन रहा है। पुल में ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक (ओएसडी) का उपयोग भी पहली बार किसी पुल में किया जा रहा है। पूरे पुल में कुल 70 ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक असैंबर करके लगाये जा रहे हैं। ज़्यादातर ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक लग चुके हैं। ये ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और म्यांमार में बने हैं, जिन्हें समुद्र के रास्‍ते भारत के करंजा पोर्ट के असेंबली यार्ड तक लाया गया है।

इस पुल से गुज़रने वाले वाहनों को टोल सिस्टम से मुक्ति नहीं होगी, यानी गुज़रने वालों को टोल टैक्स भरना होगा, लेकिन राहत की बात यह है कि इस पुल पर ओपन टोलिंग सिस्टम लगाया जाएगा, जिसकी मदद से वाहन चालकों को टोल भरने के लिए कहीं रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि चलते-चलते टोल टैक्स कट जाएगा।

समुद्र पर बन रहे इस पुल को लेकर मुंबई के लोगों में काफ़ी उत्सुकता है। लोग इस पुल पर चलने के लिए उत्सुक हैं। मुंबई के निवासी दिनेश साठे नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि मुंबई के समुद्र पर पुल बनने से लोगों का टाइम और पैसा बचेगा। मुंबई में टाइम की क़ीमत बहुत है। यहाँ किसी के पास $फालतू टाइम नहीं है, लेकिन ट्रैफिक में न चाहते हुए भी बहुत टाइम ख़राब होता है, जिसकी बचत इस पुल पर चलने वालों के लिए एक बड़ी सहूलियत होगी। लेकिन अभी मुंबई में कई इलाक़े ऐसे हैं, जहाँ हर रोज़ जाम लगता है। मुंबई की लोकल ट्रेनों से लेकर सडक़ों तक पर जिधर देखो मुंडी ही मुंडी (लोगों के सिर ही सिर) नज़र आती है। सरकार इधर भी ध्यान दे।

बहरहाल, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पुल के निर्माण से मुंबई के एक हिस्से को बड़ी राहत मिलने वाली है। इससे मुंबई में पर्यटकों का आकर्षण भी और बढ़ेगा। पुल से समुद्र और मुंबई देखने का नज़ारा कौन नहीं देखना चाहेगा। लेकिन इस पुल पर गाड़ी रोककर रखने पर चालान और सज़ा का प्रावधान भी हो सकता है। इसलिए चलते-चलते ही समुद्र और मुंबई का नज़ारा कोई देख सकता है।

भारत में समुद्र पर बने अन्य पुल

भारत एक ओर अरब सागर से दूसरी ओर हिंद महासागर से और तीसरी ओर बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ देश है। अगर इतिहास की बात करें, दुनिया का और भारत का सबसे पहले समुद्री पुल के निर्माण का श्रेय त्रेता युग में भगवान राम के समय में नल और नील को जाता है। लेकिन भारत के दक्षिण स्थित रामेश्वरम् से लेकर श्रीलंका तक बने होने के इस समुद्री पुल के दावों पर अभी भी कई विवाद हैं। हालाँकि हाल के कुछ वर्षों में इस पुल के होने की बातों को कुछ वैज्ञानिकों और खोजी लोगों ने स्वीकार किया है; लेकिन कुछ लोग अभी भी नहीं मानते कि उस दौर में समुद्र पर कोई पुल बना होगा। लेकिन हिन्दू धर्म ग्रंथ वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के रामचरित मानस में इस पुल का ज़िक्र किया गया है। कहा जाता है कि इस पुल का नाम राम सेतु रखा गया था, जो आज भी इसी नाम से जाना जाता है। ये समुद्री पुल भारत के पंबन आइलैंड को श्रीलंका से जोड़ता था। इस राम सेतु के अतिरिक्त भारत में पिछले कुछ वर्षों में अन्य कई समुद्री पुल भी बने हैं।

पम्बन पुल

पम्बन पुल भारत के तमिलनाडु राज्य से लगे समुद्र के पम्बन द्वीप को मण्डपम् से जोडऩे वाला एक रेल पुल है। इसका निर्माण अगस्त, 1911 से शुरू हुआ था और पौने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद यह पुल 24 फरवरी 1914 को ट्रेनों के लिए खोला गया। रामसेतु के बाद यह भारत का एकमात्र समुद्री सेतु बना था, जिसकी लम्बाई 2.065 किलोमीटर है। साल 2010 में बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु के खुलने तक यह भारत का सबसे लम्बा समुद्री पुल बना रहा।

साल 1988 में इस रेल पुल के बराबर एक सडक़ पुल और बनाया गया, जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग 87 का हिस्सा है। पाम्बन पुल का मुख्य छोर 9ए 16′ 56.70″ नॉर्थ 79ए 11′ 20.12″ ईस्ट पर स्थित है। यह पुल पर चक्रवात-प्रवण उच्च वायु वेग क्षेत्र में आने के कारण फ्लोरिडा के बाद दुनिया के सबसे संवेदनशील और ज़्यादा रखरखाव की आवश्यकता वाला समुद्री पुल है। संक्षारक वातावरण में बना 143 खंभों पर बना यह रेलवे पुल समुद्र तल से क़रीब 41 फुट ऊँचा है। इसमें दो पतरे लगे हैं, जिसमें हर एक पतरे का वज़न 415 टन है।

बांद्रा-वर्ली सी लिंक

मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक यानी राजीव गाँधी सी लिंक नाम का समुद्री पुल भारत का अब तक का सबसे लम्बा पुल रहा है। इसकी लम्बाई 5.6 किलोमीटर है। लेकिन मुंबई के मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक के आगे ये बहुत छोटा पुल हो जाएगा। 8 लेन ट्रैफिक वाला यह पुल माहिम-वे पर बांद्रा को वर्ली से जोड़ता है। इस पुल को 30 जून, 2009 में उद्घाटन करके 1 जुलाई 2009 की आधी रात को जनता के लिए खोल दिया गया था। इस पुल के कारण पौन घंटे में तय होने वाली बांद्रा और वर्ली के बीच दूरी सिर्फ़ 8 मिनट के अंदर तय हो जाती है।

वाशी पुल

वाशी पुल भी मुंबई में ही बना है। इसे थाणे क्रीक ब्रिज भी कहते हैं। 1,837 मीटर लम्बा यह पुल मुंबई सिटी को थाणे खाड़ी से जोड़ता है। इस पुल को मुंबई में प्रवेश का चौथा एंट्री प्वाइंट माना जाता है। सन् 1973 में बना यह पुल मुंबई के उपनगर मानखुर्द को मुंबई के सेटेलाइट शहर नवी मुंबई के वाशी से जोड़ता है। लेकिन अब यह पुल बंद रहता है। कहा जाता है कि इस पुल को तकनीकी ख़राबी के चलते बंद किया गया है, ताकि कोई हादसा न हो जाए।

अतरौली पुल

अतरौली पुल भी मुंबई के ही समुद्र में स्थित है। अतरौली दूसरा समुद्री पुल है, जो मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ता है। 3.8 किलोमीटर लम्बा यह पुल थाणे, बेलापुर और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे को जोडऩे के लिए बनाया गया था। यह पुल ऐरोली में ठाणे-बेलापुर रोड पर एक जंक्शन बनाता है और मुलुंड को नवी मुंबई के विभिन्न व्यापारिक केंद्रों से जोड़ता है। इस पुल का उपयोग मुंबई में सर्वाधिक किया जाता है।