ब्रिटिश पुलिस से सीख ले दिल्ली पुलिस : सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) कि खिलाफ और समर्थन में हिंसा, भडक़ाऊ बयानों पर रोक न लगाने में नाकाम रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। शाहीन बाग मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, दिल्ली की हिंसा में लोगों की मौत से हैरान हैं। इसे रोकने में पुलिस ने प्रोफेशनल तरीके से कार्रवाई नहीं की, हमें ब्रिटिश पुलिस से सीख लेनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, पुलिस की निष्क्रियता के बारे में कुछ कहना चाहेंगे। अगर, ऐसा नहीं कहा तो हम अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर पाएंगे। देश और संस्थान न के प्रति मेरी निष्ठा है। पुलिस की तरफ से इस मामले में निष्पक्षता और और प्रोफेशनलिज्म की कमी रही। 13 लोगों की मौत ने अदालत को भी हैरान किया, तभी एक वकील ने उन्हें बताया कि हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। जस्टिस जोसेफ ने कहा- पूरे मामले में दिल्ली पुलिस में प्रोफेशनलिज्म की कमी दिखाई दी। अगर समय से रहते पहले ही कार्रवाई की गई होती, तो ऐसे हालात पैदा नहीं होते।

शीर्ष अदालत ने कहा, आप देखिए ब्रिटेन की पुलिस कैसे कार्रवाई करती है। अगर कोई लोगों को भडक़ाने की कोशिश करता है, तो ब्रिटेन पुलिस तुरंत एक्शन लेती है। वह आदेश का इंतजार नहीं करती। ऐसे हालात में पुलिस को आदेश के लिए इधर-उधर नहीं देखना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, पुलिस पर सवाल उठाने का यह सही समय नहीं है। इससे पुलिसकर्मियों में हताशा बढ़ेगी। उन्होंने कहा- ‘डीसीपी को भीड़ ने मारा। वे अभी वेंटिलेटर पर हैं। हम जमीनी हालात से वाकिफ नहीं हैं। पुलिस किन हालात में काम करती है।’ उन्होंने पीठ से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसक घटनाओं की मीडिया रिपोर्टिंग रोकने की मांग की। साथ ही मीडिया को अदालत की टिप्पणियों को हेडलाइन न बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदेश दे कि जजों की टिप्पणी को मीडिया में हेडलाइन न बनाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग इलाके से प्रदर्शनकारियों को हटाने की याचिका पर बुधवार को कोई अहम आदेश नहीं दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि मध्यस्थों की रिपोर्ट देखकर लगता है कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली। ऐसे माहौल में सुनवाई करना ठीक नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी।