बिलकीस दोषियों की सजा रद्द न हो, सुप्रीम कोर्ट से प्रमुख लोगों की मांग

देश भर के 6000 से ज्यादा सामाजिक, महिला और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि 2002 के बिलकीस बानो मामले में दुष्कर्म और हत्या के 11 दोषियों के गुजरात सरकार के सजा माफ करने के निर्णय को रद्द करने का निर्देश दिया जाए। इन लोगों ने आशंका जताई है कि दुष्कर्म जैसे जघन्य जुर्म के दोषियों को छोड़ने से बहुत गलत सन्देश जाएगा और इससे इन अपरोधों की शिकार महिलाएँ निराश होंगी।

इन सभी लोगों ने एक साझे बयान में कहा कि सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषी लोगों की सजा माफ करने से उस प्रत्येक दुष्कर्म पीड़िताओं पर निराशाजनक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे न्याय व्यवस्था पर भरोसा करती हैं।

जिन प्रमुख हस्तियों ने इस बयान पर हस्ताक्षर किये हैं उनमें सहेली वूमन्स रिसोर्स सेंटर, गमन महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन, उत्तराखंड महिला मंच और अन्य सामजिक संगठनों के अलावा सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचना मुद्राबाईना, शबनम हाशमी जाइए प्रमुख अभियानकर्ता शामिल हैं।

इन लोगों ने मांग की है कि बिलकिस बानो मामले में सजा माफी का गुजरात सरकार का फैसला तुरंत वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि हत्या और रेप के इन दोषियों को सजा पूरी करने से पहले रिहा करने से महिलाओं के प्रति अत्याचार करने वाले सभी पुरूषों के मन में (दंडित किए जाने का) भय कम हो जाएगा।

उन्होंने बयान में कहा – ”हमारी मांग है कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के विश्वास को बहाल किया जाए। हम इन 11 दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को तत्काल वापस लेने और उन्हें सुनाई गई उम्र कैद की सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने की मांग करते हैं।