नागरिकता संशोधन कानून सियासी आग का खेल

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नॉर्थ-ईस्ट, बंगाल और उत्तर प्रदेश के बाद दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (विश्वविद्यालय) में छात्रों के विरोध-प्रदर्शन  के बाद राजधानी में एकबारगी ङ्क्षहसा की आग ही जल पड़ी। अगर इस सियासी आग पर गौर किया जाए, तो निश्चित तौर पर यह बात समझ आ रही है कि यह आग आसानी से बुझने वाली नहीं है। क्योंकि यह आन्दोलन और माँग कम, सा•िाश •यादा नज़र आ रही। तहलका संवाददाता ने जब जामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों से बात की, तो उन्होंने बताया कि सरकार पहले सभी पहलुओं पर गम्भीर विचार-मंत्रणा करती, ताकि सभी धर्मों के लोगों को लगता कि यह कानून सही है। पर ऐसा नहीं किया गया। इसके कारण छात्रों में गुस्सा है। उन्होंने कहा कि छात्र तो विरोध-प्रदर्शन के तौर-तरीके से वािकफ हैं। ऐसे में वे कैसे तोडफ़ोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। ज़रूर इसके पीछे राजनीति है। जबकि हॉस्टल में जो पुलिस वालों ने किया है, वो निन्दनीय, शर्मनाक के साथ-साथ दर्दनाक भी है। इन्हीं पहलुओं पर छात्रों और गैर भाजपा नेताओं से बात की तो उनका कहना है कि यह नागरिकता कानून पूरी तरह से देश को बाँटने वाला है। अगर समय रहते मुखालिफत नहीं की, तो निश्चित तौर यह विनाशक सिद्ध होगा। मुस्लिम समुदाय के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस विरोध क्रम में पुलिस की भूमिका की जो छवि उभरकर छात्रों के सामने आयी है, वह यह है कि पुलिस ने जामिया को बदनाम ही नहीं किया, बल्कि छात्रों को ‘अपराधी’ बनाने का अब तक प्रयास किया है। पुलिस द्वारा लाठी चार्ज आँसू गैस के गोले छोड़े जाने और लाइब्रेरी में घुसकर छात्र- छात्राओं को बुरी तरह पीटा गया। इस पिटाई में 200 के करीब छात्र-छात्राएँ घायल हुए हैं। पुलिसकर्मी को भी चोटें आयी हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस और छात्रों के बीच जो संघर्ष चला है, उसमें एक पक्ष पूरी तरह से दोषी है। पुलिस के भी अपने तर्क  हैं। पुलिस की ओर से कहा गया है कि पुलिस ने कई दफा छात्रों और उनके टीचर्स के मार्फत समझाने का प्रयास किया, फिर भी छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के कारण पुलिस ने कार्रवाई की है। प्रदर्शन में मीडियाकर्मियों के साथ तीखी नोकझोंक के साथ मीडिया वालों को भी खदेड़ा गया है। इस प्रदर्शन में सबसे चौंकाने और हैरान करने वाली बात यह सामने आयी है कि कुछ अराजक तत्त्वों के कारण और सोशल मीडिया की अफवाहों के चलते मामला काफी हिंसक हुआ है। जिसके कारण दक्षिणी दिल्ली में एक भय का माहौल बना है। पुलिस की जिस्पी और छ:-सात बसों के जलाये जाने को लेकर छात्राओं, पुलिस और बस चालकों के अपने-अपने तर्क  हैं, जो ये बताते हैं कि बस और सार्वजनिक सम्पत्ति को जो क्षति पहुँचायी गयी, वह ज़रूर सियासी लोगों से जुड़े लोगों की सोची-समझी सा•िाश हो सकती है।

जामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर का कहना है कि पुलिस के कारनामे से वे दु:खी हैं। क्योंकि पुलिस के कारण जामिया की सम्पत्ति को जो नुकसान पहुँचा है, वह अलग है; इसके साथ ही छात्रों के मनोबल पर गहरा असर पड़ा है। इसकी भरपाई आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि जामिया को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इस मामले की जाँच की माँग करती हैं। क्योंकि जितना मामला बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है, उतना है नहीं। उन्होंने इस बात की पुष्टि भी की है। किसी भी छात्र की इस मामले में कोई मृत्यु नहीं हुई है। यह सिर्फ अफवाह है, जिसका वह खंडन करती है। वह केन्द्रीय शिक्षा सचिव से मिलकर जामिया मामले में हुए घटनाक्रम की बात रखेगी। जामिया में 5 जनवरी तक छुट्टी घोषित की गयी है; ताकि आसानी से जो छात्र घर जाना चाहें, जा सकते हैं। अगर हालात फिर भी सामान्य नहीं हुए, तो छुट्टियों को आगे भी बढ़ाया जा सकता है।

छात्रों ने 15 दिसंबर को पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। जेएनयू, डीयू के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने जामिया परिसर में घुसने के विरोध में पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और पुलिस के िखलाफ नारेबाज़ी की और न्यायायिक जाँच की माँग की है। छात्र शहजाद और सलीम ने कहा कि केन्द्र सरकार और दिल्ली पुलिस हमारी माँगों को और आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है। पर उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी माँगों को मान नहीं लिया जाता है। क्योंकि नागरिकता कानून में एक सा•िाश की बू आ रही है, जिसको वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। चाहे उनको अपनी जान पर ही क्यों न खेलना पड़े।

ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान का कहना है कि केन्द्र सरकार की किसी भी प्रकार की मुस्लिम विरोधी चाल को सफल नहीं होने देंगे। क्योंकि हमारा भी देश को बनाने में योगदान है और हम भी भारतीय कानून को मानते हैं। संविधान को बचाना है। उन्होंने कहा कि अमित शाह समझते हैं कि हिन्दुस्तान का मुसलमान डरता है। उन्होंने कहा कि जब तीन तलाक कानून लाये, तब हम चुप रहे। फिर अनुच्छेद-370 लाये तब हम चुप रहे। लेकिन अब एनआरसी आर नागरिकता कानून लाकर जो छल मुस्लिमों के साथ किया जा रहा है, उसको मुस्लिम आसानी से समझते हैं। उन्होंने बस में आग लगने वाली घटना की वह निन्दा करते हैं। अमानतुल्ला ने कहा कि उन्होंने शान्तिपूर्वक प्रदर्शन किया है। आगजनी जैसी घटना के पीछे ज़रूर भाजपा की सा•िाश है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसक घटनाओं का कोई स्थान नहीं है। वह हिंसक घटनाओं की निन्दा करते हैं। उन्होंने कहा नागरिकता कानून का वह विरोध करते हैं। साथ ही वह अपील करते हैं कि आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन को शान्तिपूर्वक करें, ताकि देश की सम्पत्ति को नष्ट नहीं होना चाहिए।

इंडिया गेट पर दो घंटे के सांकेतिक धरने पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी बाड्रा ने कहा कि वह जामिया के छात्रों के साथ इस आंदोलन में शामिल हैं। क्योंकि इस देश में सरकार अन्याय को बल दे रही है और न्याय को दबा रही है। जिस प्रकार छात्रों को विश्वविद्यालय में घुसकर पुलिस ने भाजपा की शह पर पीटा है, उसकी कड़े शब्दों में वह निन्दा करती हैं। धरने में उनके साथ पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी सहित तमाम वरिष्ठ नेता मौज़ूद थे। प्रियंका गाँधी ने केन्द्र सरकार को तानाशाह करार देते हुए कहा कि कांग्रेस चुप बैठने वाली नहीं है। पूरे देश में नागरिकता कानून के विरोध में कांग्रेस आन्दोलन करेगी। क्योंकि देश का माहौल पूरी तरह से खराब किया जा रहा है।

 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि जामिया में पुलिस द्वारा छात्रों पर जिस प्रकार बर्बरता पूर्वक हमला किया गया, वह निन्दनीय है। क्योंकि देश-दुनिया में कोई भी यूनिवर्सिटी ऐसी नहीं है, जहाँ पर छात्र अपनी माँगों को लेकर प्रदर्शन न करते हों। लेकिन पुलिस ने हॉस्टल में जाकर छात्रों की बेरहमी से पिटाई के पीछे भाजपा की मोदी सरकार की सा•िाश है। इससे दिल्ली पुलिस ने बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के छात्रों को इस कदर पीटा है कि कई छात्र तो पिटाई के कारण ऑन द स्पोट बेहोश होकर गिर पड़े थे, तो कई छात्रों के शरीर से खून बह निकला। सर्दी में लाठियों की मार से छात्रों को बुरी तरह गुम चोटें आयी हैं। तमाम छात्र-छात्राओं का अस्पताल में उपचार चल रहा है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ङ्क्षहसक घटना की कड़े शब्दों में निन्दा की और कहा कि किसी प्रकार के हिंसक प्रदर्शन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वे इस घटना में शामिल लोगों के िखलाफ कानूनी कार्रवाई की माँग करते हैं। घटना की गहन जाँच होनी चाहिए, ताकि दोषी बच न पाएँ।  दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने कहा कि हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा उन्होंने शान्ति स्थापित करने के लिए पुलिस को आदेश दिया है और मौके पर जाने को कहा है कि ताकि कोई अप्रिय घटना दोबारा न घट पाए। सोशल मीडिया में जिस तरीके से दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा यह वीडियो जारी किया गया कि दिल्ली में भाजपा किस कदर हिंसा कर रही है और बसों व कारों में आग लगवा रही है। इसके बाद दिल्ली पुलिस द्वारा उस बस को ढूँढ निकाला गया, जिसकी मनीष सिसोदिया यह पुष्टि करते दिखे कि इस बस में आग लगायी गयी। जबकि वह बस क्षतिग्रस्त हालत में राजघाट डिपों में मिली। ऐसे में भाजपा ने मामले को देखते हुए आप पार्टी पर हमला की मुद्रा में आकर मनीष सिसोदिया और अमानतुल्लाह के िखलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराकर दिल्ली में हिंसा और झूठी अफवाह फैलाने के िखलाफ गिरफ्तारी की माँग की है। भाजपा के नताओं ने कहा कि छात्रों के आंदोलन के पीछे जिस प्रकार घिनौनी राजनीति की जा रही है। उसको दिल्ली की जनता माफ नहीं करेगी।

वहीं आप पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि दिल्ली में शांति बहाली के लिए उन्होंने लोगों से अपील की है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का समय माँगा है।

क्या कहती है पुलिस

साउथ दिल्ली के डीसीपी चिन्मय बिस्वाल का कहना है कि जिन लोगों ने भी बसों और पुलिस की जिस्पी में आग लगायी है, उनके िखलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। चाहे वो लोग कितने बड़े पद पर क्यों न हों। दिल्ली पुलिस प्रवक्ता मंदीप सिंह रंधावा का कहना है कि जामिया नगर और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गयी हैं। हिंसक घटनाओं में अभी तक 69 लोग घायल हुए हैं, जिसमें 30 पुलिस वाले भी शामिल हैं। बसों में आग लगाए जाने और सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट किये जाने की जाँच रिपोर्ट क्राइम ब्रांच को सौंपी गयी है, जिसकी जाँच शीघ्र ही आएगी। प्रदर्शन मेें 39 लोग जो घायल हुए उनकी एमएलसी बनी है।  प्रवक्ता का कहना है कि जो भी इस ङ्क्षहसक घटना और भय का माहौल बनाने में शामिल हैं उनके िखलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

भडक़ायी जा रही ङ्क्षहसा!

हकीकत में सच कुछ और ही है…

सच दबाया जा रहा और झूठ उछाला जा रहा है; हिंसा भडक़ायी जा रही है। राजनेता राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर बयानबाज़ी करके अपनी •िाम्मेदारी से बच रहे हैं। ऐसा माहौल बनता जा रहा है कि लोग भय में जीने को मजबूर हो रहे हैं। नये नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जो माहौल दिल्ली मेें बना है, उसको लेकर विरोध-प्रदर्शन इतने उग्र हो रहे हैं कि लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा है। सीलमपुर में पथराव-आगजनी में भयानक स्थिति देखने को मिली तीन बसें क्षतिग्रस्त की गयीं। पाँच मोटरसाइकिल तोड़ी गयीं और तीन को आग के हवाले कर दिया गया। इसके अलावा 20-22 लोग घायल हुए, जबकि 10-12 पुलिस वालों को चोटें आयीं। पत्थरबाज़ी से यमुनापार के लोगों में भय और तनाव का माहौल बना।  दिल्ली के यमुनापार और दरियागंज में जो भी हिंसक-प्रदर्शन और सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट किया गया, उससे यहाँ पर आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हुई। लोगों ने बताया कि हर रोज़ अपनी रोज़ी-रोटी के लिए वे आते-जाते हैं, 17 दिसंबर को वे ऐसे फँसे कि जान हलक में अटक गयी थी। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि उनको यह तक पता तक नहीं है कि यह कानून क्या है? अगर इस कानून से किसी को भी दिक्कत है। तो सीधे तौर पर सरकार से सवाल-जबाब करे, पर आम लोगों को परेशान न करे। वहीं दिल्ली में दिहाड़ी मज़दूरी करने वाले दिनेश सिंह, रामकुमार और जानकी लाल का कहना है कि सीलमपुर, जाफराबाद, ब्रिजपुरी और दरियागंज में जो कुछ भी सियासत हुई, उनसे उनको दिहाड़ी नहीं मिल रही और उनके घर रोज़ी-रोटी का संकट आ गया है। क्योंकि जहाँ पर वे काम करते हैं वहाँ मालिक ने िफलहाल काम रोक दिया है।

तहलका संवाददाता को जाफराबाद में देर शाम सुहेल और वसीम ने बताया कि सरकार द्वारा मुस्लिमों के साथ नागरिकता कानून पर ऐसा भेद किया जा रहा है, जैसे पड़ोसी देश के गैर-मुस्लिमों को हिन्दुस्तान में नागरिकता देने की बात की जा रही है। इसका मतलब यह है कि मुस्लिम समाज को हिन्दुस्तान की सुविधाओं से वंचित किये जाने का सरकार का प्लान है। उनका कहना है कि हिंसक-प्रदर्शन में मामले में जब जाँच आएगी तब उनके नाम नहीं आएँगे। क्योंकि सरकार की चाल मुस्लिमों को फँसाने वाली रही है। पर अब ऐसा नहीं होगा। छात्र व जाफराबाद में वस्त्र विक्रेता सुहेल ने बताया कि जो भी जामिया में छात्रों के साथ हुआ है, वह पूरी तरह से सरकार के इशारे में किया गया। छात्रा परवीन खान ने बताया कि देश में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं, उस पर सरकार कुछ नहीं कर रही है। वे वजह एक खास धर्म को परेशान किया जा रहा है। दरियागंज केन्द्र सरकार के नागरिकता कानून के विरोध में सैकड़ों लोगों के विशाल प्रदर्शन में पूर्व विधायक शोएब इकबाल ने कहा कि केन्द्र सरकार जानबूझकर मुस्लिमों को निशाना बना रही है। जैसे पहले तीन तलाक, अनुच्छेद-370 और अब नागरिकता कानून के बाद एनआरसी कानून को लाकर मुस्लिमों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, अब मुस्लिम समाज दबने वाला नहीं।

एम.सी. शर्मा का कहना है िफलहाल दिल्ली में जो भी सियासी आग लगायी जा रही है, उसमें दिल्ली के आम नागरिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि सदियों से लोग दिल्ली मेंं ही नहीं, पूरे देश में मिलजुलकर रहते आये हैं। पर अब ऐसा क्या हो रहा है, जहाँ देखा वहाँ मारो-भागो और पुलिस की झड़पों की आवा•ों आ रही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब देश में एक विभाजन की रेखा ङ्क्षखचती नज़र आएगी। सामाजिक कार्यकर्ता रवि रंजन का कहना है कि दिल्ली में अब आर-पार की लड़ाई वाली बातें हो रही है, जो किसी भी तरीके से सही नहीं है। उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस ने जैसे-तैसे जामिया मामले को शान्त किया था। अचानक यमुनापार में हिसंक झड़पें और आगजनी की घटनाओं ने उनको झझकोर रख दिया। जो स्वतंत्र लोकतंत्र के लिए सही नहीं ठहराया जा सकता है।

आखिर किसको झुलसा रहीं सियासी लपटें?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जो सियासी आग लगायी जा रही है, उसकी लपटों में नागरिक इस कदर झुलस रहे हैं कि उनके मन में सियासतदानों के प्रति नफरत और गुस्सा पनपने लगा है। ये नेता सिर्फ बयानबाजी कर बच रहे हैं। सच्चाई ये है कि जो भी हिंसक वारदात हो रही है, उसके पीछे निश्चित तौर पर राजनीतिक खेल चल रहा है। वे आम और भोले-भाले बेरोज़गार युवाओं को भटकाने में लगे हैं। तहलका ने अपनी पड़ताल में पाया कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के चलते मुख्य पार्टी के नेताओं ने सुनियोजित तरीके से हिंसा भडक़ायी है। जामिया के छात्र तो अपनी बात शान्तिपूर्वक तरीके से सलीके से रख रहे थे, लेकिन अचानक किसी सियासतदाँ ने रातोंरात ऐसी दस्तक दी कि वेे नागरिकता कानून के विरोध की आड़ में कुछ अराजक तत्त्व कानून को हाथों में लेने से भी नहीं चूके।

इसके बाद पूर्वी दिल्ली, जो छोटे-मोटे काम-धन्धे वालों और दिहाड़ी मज़दूरों का अड्डा माना जाता है; में जो हिंसक झड़पें हुईं। ये हिंसक झड़पें कुछ ही अराजक तत्त्वों द्वारा की गयीं। क्योंकि उनमें •यादातर युवाओं को तो यह भी मालूम नहीं है कि नागरिकता कानून है क्या और इससे किसे क्या फायदा या नुकसान हो सकता है? वे मानते हैं कि हिंसा व तोडफ़ोड़ सब बेकार है। 17 दिसंबर के हिंसक मंज़र से वे खुद दु:खी है।

 विश्वसीयनीय सूत्रों का कहना है कि इस वारदात के पहले पैसों का लालच दिया गया और उन्हें हिंसा के लिए उकसाया गया। सबसे गम्भीर बात यह सामने आयी कि यह नागरिकता कानून से तुम्हें खतरा है, जैसी मनगढ़ंत बातें की गयीं। नशे में धुत दर्जनों युवाओं ने हिंसक प्रदर्शन में भाग लिया। जब पुलिस की तरफ से प्रदर्शनकारियों का भगाया जा रहा था, तब वे लडख़ड़ाकर गिर पड़े। इसी दौरान हिन्दूवादी नेताओं का एक जमघट भी वहाँ पर मामले को भाँपने में लगा था और नागरिकता कानून •िान्दाबाद के नारे भी लगा रहा था।