दोराहे पर नारायण राणे। बीजेपी के बाद कांग्रेस एनसीपी ही सहारा।

कभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और कांग्रेस में मुख्यमंत्री बनने की मंशा लिए शिवसेना से आए नारायण राणे का मन अब बीजेपी से भी उचट गया लग रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात की बातों पर विश्वास किया जाए तो नारायण राणे का कांग्रेस में फिर से आना तय माना जा रहा है।

दरअसल राणे को बीजेपी में वह इज्जत कभी नहीं मिल पाई जिसे पाने के लिए वह कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। शिवसेना में राणे का बड़ा कद था जिसके चलते ही वह मुख्यमंत्री तक बन गए थे लेकिन बाद में उन्होंने बाल ठाकरे पुत्र उद्धव ठाकरे के बढ़ते दबदबे के खिलाफ आवाज उठाई और शिवसेना से अलग हो गए। कांग्रेसमें आने के बाद उन्हें उन्हें लगा था कि बदलते समीकरणों के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद मिल जाएगा लेकिन वह एक सपना बनकर रह गया । अब राणे बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा सदस्य के तौर पर बीजेपी में एक्टिव हो गए । उद्धव ठाकरे से खार खाए राणे ने बीजेपी से यह भी कह दिया था कि यदि शिवसेना-बीजेपी  का गठबंधन होता है तो वह उनके साथ नहीं रह सकते। शिवसेना भी ऐसा कभी नहीं चाहेगी वह ऐसे गठबंधन का हिस्सा बने जिसमें राणे हों। यदि बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन होता है तो राणे के लिए एक ही विकल्प बचता है कि वह  बीजेपी राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दें और कांग्रेस या एनसीपी को चुने।
नारायण राणे की अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी शिवसेना के खिलाफ खुलकर बोलती रही है। हाल ही में नारायण राणे के पुत्र निलेश राणे ने उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे पर जमकर जुबानी हमला बोला इतना ही नहीं निलेश ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे पर सिंगर सोनू निगम की हत्या की साजिश रचने तक का आरोप लगाया था।
वैसे भी कोंकण में शिवसेना को टक्कर देने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के पास राणे से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है ।नारायण राणे का कोंकण के सिंधुदुर्ग रत्नागिरि इलाके में वर्चस्व है। फिलहाल 21 और 22 जनवरी को कांग्रेस अपनी जन संघर्ष यात्रा के चलते सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी में होगी‌। वहां पर राणे का कांग्रेस के प्रति रिस्पांस देखना दिलचस्प होगा और यही अगली रणनीति की नीति और दिशा भी तय करेगा। हालांकि एनसीपी नारायण राणे को लेकर आशान्वित है एन सी पी चीफ शरद पवार  कोंकण जाकर राणे से मिल चुके हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों के बीच आगामी चुनाव को लेकर रणनीति पर बातचीत हुई होगी। शिवसेना को फूटी आंख न सुहाने वाले नारायण राणे यदि बीजेपी के साथ रहते हैं तो शिवसेना कभी नहीं चाहेगी कि वह बीजेपी के साथ अपना गठबंधन बनाए रखें जो बीजेपी के ले महंगा सौदा साबित हो सकता है। ऐसे में नारायण राणे के राजनैतिक करियर पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है क्योंकि उनकी स्वाभिमान पार्टी फिलहाल इस स्थिति में नहीं है कि वह चुनाव लड़े और अपना वर्चस्व दिखाएं। नारायण राणे या तो कांग्रेस  या एनसीपी से जुड़ सकते हैं या फिर महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी को कांग्रेस एनसीपी गठबंधन का हिस्सा बना सकते हैं।