जस्टिस उदय ललित के अगले सीजेआई बनने संभावना, दो महीने रहेंगे पद पर

मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ प्रथा अवैध ठहराने सहित कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस उदय यू ललित देश के अगले प्रधान न्यायाधीश हो सकते हैं। ललित का कार्यकाल सिर्फ दो महीने का होगा लिहाजा इस साल नवंबर में तीसरे वरिष्ठतम जज डीवाई चंद्रचूड़ अगले प्रधान न्यायाधीश बन सकते हैं।

सरकार ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश का अनुरोध किया है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जो पत्र लिखा है वह पिछले कल देर शाम मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में प्राप्त हुआ है। सीजेआई एनवी रमना अब अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने बाद वरिष्ठतम जज जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश करेंगे।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की पिछले कल जो बैठक हुई थी उसमें जजों की नियुक्ति पर कोई सहमति नहीं बन पाई। तय किया गया कि नए प्रधान न्यायाधीश ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति पर फैसला करेंगे। जस्टिस रमना रमना 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे।

वर्तमान सीजेआई रमना का कार्यकाल काफी उपलब्धियों भरा रहा है और वे अपनी बात कहने में काफी मुखर भी रहे हैं। उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में एक साथ 9 जजों सहित सहित पहली बार एक साथ तीन महिला जजों ने शपथ ली। यही नहीं इनमें एक जस्टिस बीवी नागरत्ना भविष्य में देश की पहली महिला सीजेआई बनेंगी। रमना के कार्यकाल में ही देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों में 250 जजों की नियुक्तियां हुई।

जहाँ तक दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस उदय यू ललित की बात है वे मुसलमानों में तीन तलाक प्रथा ख़त्म करने वाले ऐतिहासिक फैसले सहित कई बड़े फैसलों का हिस्सा रहे हैं। यदि वह अगले सीजेआई बनते हैं तो बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में 1964 में जस्टिस एसएम सीकरी के बाद पदोन्नत किये जाने वाले दूसरे सीजीआई बनेंगे।

इसके अलावा जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय के त्वचा से त्वचा के संपर्क संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था। नौ नवंबर, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति ललित ने जून 1983 में एक वकील के रूप में नामांकन किया था और दिसंबर 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत की थी।

जनवरी 1986 में ललित दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में, उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।