गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन

रूपाणी के रहते नहीं थी भाजपा को दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीद

जाति आधारित राजनीति न करने का भाजपा का नारा गुजरात में तब ढकोसला साबित हो गया, जब राज्य के ताक़तवर समुदाय पटेल को साधने के लिए भाजपा ने गुजरात में विजय रूपाणी से मुख्यमंत्री की कुर्सी लेकर पहली बार के विधायक भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को कुर्सी थमा दी। कहने को उन्हें विधायक दल ने नेता चुना, लेकिन ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक, उनका चयन बाक़ायदा आलाकमान ने राज्य के जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किया। रूपाणी को हटाने का एक और बड़ा कारण यह रहा कि भाजपा के आंतरिक सर्वे उनके ख़िलाफ़ थे। यानी भाजपा उनका चेहरा लेकर चुनाव में जाती, तो हार का बड़ा ख़तरा उसके सामने था।

वैसे तो गुजरात को लेकर भाजपा में यही कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही वहाँ पार्टी का असली चेहरा होते हैं; लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए नतीजे चिन्ता भरे रहे थे और मुश्किल से उसने बहुमत जुटाया था। कोरोना प्रबन्धन में विजय रूपाणी नाकाम साबित हुए थे और गुजरात में जनता उनसे बहुत नाराज़ थी। जानकारी के मुताबिक, भाजपा के अपने सर्वे में जब यह बात सामने आयी, तो पार्टी ने उच्च स्तर पर इसे लेकर मंथन किया और उन्हें बदलने का फ़ैसला किया गया।

इसके अलावा भाजपा आलाकमान को यह भी इनपुट्स थे कि पटेल समुदाय भाजपा से नाराज़ है। ऐसे में मंथन के बाद भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया गया, जो भाजपा में पहली बार विधायक बने हैं। चूँकि उनके साथ कोई विवाद नहीं था, मोदी और शाह ने उनके नाम पर मुहर लगा दी। यह माना जाता है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कुछ समय पहले जब गुजरात के दौरे पर आये थे, तभी यह लगने लगा था कि विजय रूपाणी के मुख्यमंत्री के रूप में दिन पूरे हो गये हैं।

जानकारी के मुताबिक, गुजरात को लेकर भाजपा आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल से भी सलाह की थी। माना जाता है कि यह आनंदी ही थीं, जिन्होंने भूपेंद्र रजनीकांत पटेल का नाम मोदी-शाह को सुझाया था। हालाँकि उनसे कहीं वरिष्ठ विधायक भाजपा के पास थे; लेकिन उनका चयन किया गया। भूपेंद्र का चयन मीडिया के लिए भी हैरानी वाला रहा; क्योंकि उनके नाम की कोई चर्चा नहीं थी। लेकिन भाजपा ने वहीं किया, जो वह कुछ और राज्यों में कर रही थी- यानी एकदम ‘अनभ्यस्त’ (ऑफबीट) चेहरा। भाजपा की राजनीति का यह नया तरीक़ा है।

पटेल का मंत्री के रूप में कोई अनुभव नहीं रहा है। लिहाज़ा उन्हें अपनी पारी की एकदम नयी शुरुआत करनी है। यह तो तय है कि गुजरात भाजपा में कोई वरिष्ठ नेता उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाएगा, भले भीतर-ही-भीतर मुख्यमंत्री न बन पाने किये कारण कसमसा रहा हो। गुजरात पार्टी के दो सबसे ताक़तवरों- मोदी और शाह का गृह राज्य है। ऊपर से भूपेंद्र हैं भी इन दोनों की पसन्द। पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का भी उन्हें समर्थन है। हालाँकि यह भी सच है कि ख़ुद आनंदी का कभी प्रदेश भाजपा में विरोध रहा है। पटेल अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं।

जहाँ तक राजनीतिक अनुभव की बात है, भूपेंद्र पटेल ने नगर पालिका स्तर के नेता से सफर तय किया था। पटेल सन् 2017 के विधानसभा चुनाव में घाटलोडिया सीट से पहली बार चुनाव लड़े थे और जीते थे। घाटलोडिया सीट से उनसे पहले आनंदी बेन पटेल ही विधायक थीं। उनका नाम तब इसलिए चर्चा में आया था, क्योंकि उन्होंने चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के शशिकांत पटेल को एक लाख से ज़्यादा वोटों से हराया था। यह उस चुनाव में किसी विधायक की सबसे बड़े अन्तर की जीत थी। हालाँकि उसके बाद गुजरात की राजनीति में उनके नाम का कोई विशेष उल्लेख नहीं आया।

भूपेंद्र पटेल गुजरात के प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से हैं। भाजपा ने पाटीदारों में अपने प्रति नाराज़गी कम करने के लिए ही भूपेंद्र पटेल पर दाँव खेला है। एक और बड़ा कारण यह है कि कांग्रेस ने पाटीदारों में सबसे ज़्यादा असर रखने वाले युवा नेता हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगभग चौंका ही दिया था। हालाँकि कुछ अन्तर से भाजपा बहुमत बनाने में सफल रही थी।

अब गुजरात में अगले साल दिसंबर में विधानसभा के चुनाव हैं। हो सकता है कि वहाँ समय से पहले चुनाव करवाने का दाँव भाजपा चले। उत्तर प्रदेश के चुनाव के साथ वहाँ भी चुनाव करवाये जा सकते हैं। ज़ाहिर है भूपेंद्र पटेल के कन्धों पर बड़ी ज़िम्मेदारी रहेगी। उन्हें वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलना होगा। कोरोना वायरस महामारी के दौरान गुजरात की रूपाणी सरकार को लेकर ढेरों सवाल खड़े हुए थे। हाईकोर्ट तक से सरकार को लताड़ पड़ी थी और कई मुद्दों पर जनता में सरकार के प्रति नाराज़गी रही है।

गुजरात में भाजपा की चिन्ता के बड़े कारण हैं। सबसे बड़ा तो यह कि मोदी-शाह का गृह राज्य होने के कारण यदि भाजपा हार जाती है, तो पूरे देश में पार्टी को लेकर बुरा सन्देश जाएगा, जो राजनीतिक रूप से नुक़सान करेगा। दूसरे पिछले हर चुनाव में भाजपा और उसकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बीच मतों का अन्तर लगातार घटा है।

भाजपा इस घटते अन्तर से चिन्ता में है और उसे लगता है कि यदि समय रहते चीज़ें नहीं सँभाली गयीं, तो चुनाव में लेने के देने भी पड़ सकते हैं।

उदाहरण के लिए सन् 2002 के विधानसभा चुनाव दोनों दलों को मिले मतों में 10.04 फ़ीसदी का अन्तर था। इसके पाँच साल बाद सन् 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में यह अन्तर 9.49 फ़ीसदी रह गया। भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस अन्तर को घटाकर नौ फ़ीसदी कर दिया। पिछले (सन् 2017 के) विधानसभा चुनाव में तो दोनों दलों को मिलने वाले मतों का अन्तर 7.7 फ़ीसदी तक सिमट गया।

सन् 2017 के चुनाव में भाजपा के हिस्से 182 में से 99 सीटें आयी थीं; लेकिन कांग्रेस ने 22 साल के बाद पहली बार 77 सीटों का आँकड़ा छुआ। इस चुनाव में भाजपा को कुल मतों का 49.05 फ़ीसदी हासिल हुआ, जबकि कांग्रेस उससे कुछ ही पीछे रहकर 41.44 फ़ीसदी जनता के वोट लेने में सफल रही। यही नहीं, सन् 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरन्त बाद राज्य की छ: सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने तीन सीटें जीतकर भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी। ऐसी स्थिति में नये मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के लिए निश्चित ही अगले चुनाव से पहले यह बड़ी चुनौती सामने है।

 

“गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को इसलिए हटाया गया है, क्योंकि राज्य सरकार कोरोना वायरस के दौरान जनता को राहत देने में विफल रही। यह लोगों का ध्यान हटाने और प्रधानमंत्री पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भाजपा का चेहरा बचाने की क़वायद है, क्योंकि वह राज्य सरकार के प्रदर्शन के आधार पर चुनाव लडऩे का जोखिम नहीं उठा सकती है। कांग्रेस के पास जनता की नज़र में एक व्यवहार्य विकल्प बनने की चुनौती और अवसर है।”

                             भरत सिंह सोलंकी

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता

 

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह का आभारी हूँ, जिन्होंने मुझ पर इतना भरोसा जताया। निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल और अन्य नेताओं समेत गुजरात के नेतृत्व ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसके लिए भी आभारी हूँ। मुख्यमंत्री के रूप में मेरा काम गुजरात को और ऊँचाई पर ले जाना होगा।”

भूपेंद्र पटेल

मुख्यमंत्री, गुजरात