क्या भरोसे के लायक हैं आपराधिक आरोप वाले विधायक?

झारखंड में चुने गये अनेक विधायकों के िखलाफ चल रहे हैं आपराधिक मामले

दिसंबर, 2019 में हुए चुनाव में झारखंड विधानसभा के लिए चुने गये 54 फीसदी विधायकों के िखलाफ आपराधिक मामले लम्बित हैं। सवाल यह है कि क्या हम ऐसे विधायकों पर भरोसा कर सकते हैं, जो खुद आपराधिक मामलों में आरोपी हैं?

झारखंड में जिन विधायकों के िखलाफ आपराधिक मामले लम्बित हैं, उनकी संख्या 44 है। यह जानकारी और कहीं से नहीं खुद चुने गये 81 विधायकों की तरफ से झारखंड  विधानसभा चुनाव के लिए दायर हलफनामों से मिली है। इसके मुकाबले पिछले, यानी 2014 के राज्य विधानसभा के चुनाव के दौरान 68 फीसदी विधायकों के िखलाफ आपराधिक मामले लम्बित थे।

झारखंड इलेक्शन वॉच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स के राज्य समन्वयक सुधीर पाल ने बताया कि 44 विधायकों, जिनके िखलाफ आपराधिक मामले दर्ज किये गये थे, उनमें से कम-से-कम 34 (42 फीसदी) ऐसे थे, जिनके िखलाफ गम्भीर आपराधिक मामले लम्बित हैं। ये मामले बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के िखलाफ अपराधों से सम्बन्धित हैं।

विडंबना यह है कि दो विधायकों को दोषी ठहराया गया था, जबकि दो अन्य विधायकों ने उनके िखलाफ हत्या से सम्बन्धित आईपीसी की धारा-302 के तहत दर्ज होने की बात कही  है। यही नहीं दो और विधायकों ने आईपीसी की धारा-307 के तहत हत्या के प्रयास के मामले अपने शपथ-पत्र में बताये हैं।

पाँच विधायक ऐसे हैं, जिन पर महिलाओं के िखलाफ अपराध से जुड़े मामले दर्ज हैं और इन पाँच में से दो पर आईपीसी की धारा-376 के तहत बलात्कार से सम्बन्धित मामले दर्ज हुए हैं।

यदि दलों के हिसाब से देखें, तो भाजपा के 25 विधायकों में से 12 (48 फीसदी),  जेवीएम के तीन में तीन (100 फीसदी), जेएमएम के 30 विधायकों में से 17 (30 फीसदी), आजसू के दो में से एक विधायक (50 फीसदी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 16 में से आठ विधायक (50 फीसदी) और राकांपा, सीपीआई और राजद (100 फीसदी) के चुने क्रमश: एक-एक विधायक के िखलाफ उनके दायर हलफनामों के अनुसार आपराधिक मामले दर्ज हैं।

जब हम गम्भीर आपराधिक मामलों के बारे में बात करते हैं, तो 25 में से 9 विधायक या कुल 36 फीसदी विधायक भाजपा से हैं, जिनके िखलाफ गम्भीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी तरह तीन में से तीन अर्थात् 100 फीसदी जेवीएम से हैं। और 30 में से 12 विधायक यानी 40 फीसदी जेएमएम से हैं। कुल जीते 16 में से आठ विधायक यानी 50 फीसदी कांग्रेस से हैं जबकि राकांपा, भाकपा और आरजेडी का हर विधायक अर्थात् 100 फीसदी गम्भीर मामलों में फँसे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि झारखंड के चुनाव में जीते विधायकों में 69 फीसदी अर्थात् 81 में से 56 विधायक करोड़पति हैं। झारखंड विधानसभा के 2014 के चुनाव के दौरान 81 विधायकों ने जो जानकारी शपथ-पत्र में दी थी, उसके मुताबिक 41 (51 फीसदी) विधायक करोड़पति थे। पार्टी के करोड़पति विधायकों में भाजपा के 25 में से 18 (72 फीसदी), जेवीएम के 3 विधायकों में से 2 (67 फीसदी), जेएमएम के 30 विधायकों में से 22 (73 फीसदी), 2 (100 फीसदी) विधायक शामिल हैं। एजेएसयू के 16 विधायकों में से 9 (56 फीसदी) कांग्रेस और 2 (100 फीसदी) निर्दलीय विधायकों ने एक करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति घोषित की है।

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में जीते विधायकों की औसत सम्पत्ति 3.87 करोड़ रुपये है। झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में यह औसत 1.84 करोड़ रुपये था। प्रमुख दलों में, 30 जेएमएम विधायकों के लिए प्रति विधायकों की औसत सम्पत्ति 3.05 करोड़ रुपये है। भाजपा के 25 विधायकों की 4.79 करोड़ रुपये, तो कांग्रेस के 16 विधायकों की सम्पत्ति 4.27 करोड़ रुपये है। आजसू के दो विधायकों की औसत सम्पत्ति 10.26 करोड़ रुपये और जेवीएम के तीन विधायकों के पास 88.84 लाख रुपये की औसत सम्पत्ति है।

शैक्षिक योग्यता की बात करें, तो 30 (37 फीसदी) विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 8वीं और 12वीं पास के बीच होने की घोषणा की है। वहीं 49 (60 फीसदी) विधायकों ने स्नातक और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता होने की घोषणा की है। एक विधायक ने खुद को सिर्फ साक्षर घोषित किया है और एक विधायक डिप्लोमा होल्डर है। कुल 46 (57 फीसदी) विधायकों ने अपनी उम्र 25 से 50 साल के बीच बतायी है, जबकि 35 (43 फीसदी) विधायकों ने अपनी उम्र 51 से 80 साल के बीच बतायी है।

कुल 81 विधायकों में से 10 (यानी 12 फीसदी) विधायक महिलाएँ हैं। साल 2014 में 81 विधायकों में से केवल 8 (यानी 10 फीसदी) विधायक महिलाएँ थीं। विधायकों के अन्य विवरण भी दिलचस्प हैं। जैसे 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में फिर से चुने गये विधायकों की संख्या 36 है।

बड़ी देनदारी वाले निर्वाचित विधायक 16 अर्थात् कुल 20 फीसदी हैं। भाजपा के मनीष जायसवाल 5.38 करोड़ की देनदारियों के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं, जबकि उनके पास अपनी घोषणा के अनुसार 8.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त विवादित देनदारियाँ थीं। आजसू के सुदेश कुमार महतो को 3.42 करोड़ की देनदारियाँ थीं, जबकि एनसीपी के कमलेश कुमार सिंह को कुल 2.95 करोड़ रुपये की देनदारियाँ थीं। तीनों ने चुनाव में क्रमश: हज़ारीबाग, सिल्ली और हुसैनाबाद से जीत हासिल की थी।

साल 2014 में फिर से चुने गये विधायकों की औसत सम्पत्ति 2.07 करोड़ रुपये थी। 2019 में फिर से चुने गये विधायकों की औसत सम्पत्ति 3.73 करोड़ रुपये है। पुन: निर्वाचित विधायकों की औसत सम्पत्ति में वृद्धि 2014 से 2019 तक 1.65 करोड़ रुपये अर्थात् 80 फीसदी है। इन सभी में 36 विधायक ऐसे हैं, जो 2019 में पुन: चुनाव जीते हैं। फिर से चुने गये विधायकों की सम्पत्ति में आशातीत वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए फिर से चुने गये भाजपा विधायकों की सम्पत्ति में 2014 से 2019 तक 85.88 फीसदी की वृद्धि, झामुमो से पुन: निर्वाचित विधायकों के मामले में 99.54 फीसदी, कांग्रेस के मामले में 25.70 फीसदी और जेवीएम के मामले में 51.34 फीसदी की वृद्धि हुई। निर्दलीय उम्मीदवारों के मामले में यह वृद्धि 39 फीसदी बनती है।

सबसे कम सम्पत्ति वाले निर्वाचित विधायक मंगल कालिंदी हैं, जो झामुमो के टिकट पर जुगलई से जीते हैं। उन्होंने अपने दस्तावेज़ों में 30,000 रुपये की चल सम्पत्ति और शून्य अचल सम्पत्ति घोषित की है। बडक़ागाँव से जीतने वाले कांग्रेस के अम्बा प्रसाद के पास कुल 4.74 लाख की सम्पत्ति है। वहीं जेएमएम के टिकट पर बहरागोड़ा से जीतने वाले समीर कुमार मोहंती की घोषित सम्पत्ति 3.49 लाख रुपये की चल और 1.15 लाख रुपये की अचल सम्पत्ति है।

प्रमुख पार्टियों में 30 जेएमएम विधायकों की औसत सम्पत्ति 3.05 करोड़ रुपये है। 25 भाजपा विधायकों की 4.79 करोड़ रुपये, 16 कांग्रेस विधायकों की सम्पत्ति 4.27 करोड़ रुपये है। आजसू के दो विधायकों की औसत सम्पत्ति 10.26 करोड़ रुपये और 3 जेवीएम (पी) विधायकों के पास 88.84 लाख रुपये की औसत सम्पत्ति है।

कांग्रेस टिकट पर लोहरदगा (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले रामेश्वर उरांव के पास 28 करोड़ रुपये की कुल सम्पत्ति थी, जिसमें 27 करोड़ रुपये की अचल सम्पत्ति शामिल है। वहीं भाजपा के कुशवाहा शशि भूषण मेहता (पनकी से विजयी) और मनीष जायसवाल (हज़ारीबाग) की कुल सम्पत्ति प्रति विधायक 27 करोड़ रुपये से अधिक है।