कौन हैं राजीव कुमार

राजीव कुमार विशेषज्ञ हैं इलेक्ट्रानिक खुफियागीरी के। वे आईआईटी रु ड़की के कंप्यूटर साइंस के इंजीनियर रहे हैं और इस क्षेत्र के स्कॉलर माने जाते हैं। खादिम शूज के प्रबंध निदेशक पार्थ प्रतिम राय बर्मन जब अपहृत हुए थे तो उनकी तलाश का काम एमएसपी(सीआईडी) के तौर पर राजीव ने ही किया था। वे कोलकाता पुलिस की एसटीएफ इकाई में भी रहे हैं जिन्होंने नक्सलियों की गतिविधियों पर काम किया।

राजीव कुमार कोलकाता के पुलिस कमिश्नर है जिन्हें केंद्र की सीबीआई पूछताछ के लिए अपने साथ ले जाने कोलकाता पहुुंची थी। वह भी रविवार की शाम। सीबीआई की यह टीम 20 लाडडन स्ट्रीट पर कमिश्नर आवास पहुंच गई। सीबीआई उनसे शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ करना चाहती थी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई के अचानक छापे के इस इरादे को संघीय गणराज्य के आधार के खिलाफ माना और वे तीन फरवरी से अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गईं। उनके इस प्रतिवाद का समर्थन किया आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, ओडिसा के नवीन पटनायक और दूसरे विपक्षी दलों ने।

राजीव कुमार कभी किसी पार्टी के साथ हमजोली नहीं कहे जा सकते। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई की कारस्तानी के विरोध में धरना इस बात पर दिया कि सीबीआई में स्थानीय प्रशासन को इस संबंध में जानकारी क्यों नहीं दी। अपनी जगह वे सही हैं क्योंकि उन्हें या उनके विभाग को एक ओहदेदार के संबंध में जानकारी दी ही जानी चाहिए। ममता बनर्जी तीन दिन तक धरने पर धर्मतला मेट्रो स्टेशन पर बैठीं। पूरे देश में चर्चा रही।

याद कीजिए 2011 में जब ममता बनर्जी 20 मई को प्रदेश में सत्ता संभाली तो वे कोलकाता पुलिस के ज्वाएट कमिश्नर राजीव कुमार को टेलिफोन कॉलस को इंटरपोट करने के आरोप में नाराज़ हुई थीं। हालांकि उस आरोप में वे फंस नहीं पाए। ममता को संदेह था कि वाममोर्चा के इशारे पर वे ऐसा कर रहे थे। इसलिए उन्हें हटाया जाए। वही राजीव कुमार उनके इतने करीब पहुंचे कि पूरे देश में उनका नाम गूंज उठा।

राजीव कुमार विशेषज्ञ हैं इलेक्ट्रानिक खुफियागीरी के। वे आईआईटी रु ड़की के कंप्यूटर साइंस के इंजीनियर रहे हैं और इस क्षेत्र के स्कॉलर माने जाते हैं। खादिम शूज के प्रबंध निदेशक पार्थ प्रतिम राय बर्मन जब अपहृत हुए थे तो उनकी तलाश का काम एमएसपी(सीआईडी) के तौर पर राजीव ने ही किया था। वे कोलकाता पुलिस की एसटीएफ इकाई में भी रहे हैं जिन्होंने नक्सलियों की गतिविधियों पर काम किया। यह टीम वाममोर्चा सरकार के दौरान गठित हुई थी।

शारदा घोटाले की शुरूआती जांच-पड़ताल का काम करते हुुए वे मुख्यमंत्री के करीबी हुए। तब वे विधानसभा के कमिश्नरी में थे। उनकी टीम ने ही शारदा समृह के प्रमोटर सुदिप्त सेन और उसकी सहयोगी देवयानी मुखर्जी को गिरफ्तार किया था। सीबीआई का कहना है कि इस चिटफंड घोटाले के साथ ही रोज वैली घोटाला भी हुआ था जिसकी सारी जांच-पड़ताल राजीव कुमार की जानकारी में होगी। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में यह आरोप लगाया था कि शारदा घोटाले में प्रमाणों को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट नेराजीव कुमार को शिलांग के सीबीआई ऑफिस में पूछताछ के लिए जाने का निर्देश दिया और सीबीआई को उन्हें गिरफ्तार करने से रोका।