कोरोना : यूरोप से क्यों बेहतर हैं एशिया के हालात

भारत और पूरे एशिया क्षेत्र में में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़े जरूर हैं, लेकिन यूरोप की तुलना में बेहद कम हैं। इसकी एक बड़ी वजह मौसम भी है। एशिया में गर्मी का असर दिखना शुरू हो गया है, जबकि यूरोप के ज्यादातर देशों में वायरस के अनुकूल कहा जाना वाला मौसम यानी 18 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दावा किया दिल्ली मरकज की वजह से मामलों में ज्यादा इजाफा हुआ है। हालांकि उन्होंने तैयारियों पर पर कहा कि देश के किसी भी कोने में स्वास्थ्य उपकरणों की कमी नहीं होने दी जाएगी। हम किसी भी स्थिति से निपटने को पूरी तरह तैयार हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा देश में संक्रमण के मामलों में तेजी जरूर आई है, फिर भी यहां की स्थिति यूरोपीय देशों के मुकाबले बेहतर है। बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों से यूरोप इस संकट का केंद्र बना हुआ है, लेकिन ऐसे संकेत मिले हैं कि यह महामारी वहां चरम पर पहुंच सकती है। स्पेन और ब्रिटेन में 24 घंटे के दौरान क्रमश: 950 और 569 लोगों की मौत हुई हैं।

यूरोपीय देशों की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन के साथ-साथ प्रिंस चार्ल्स तक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। प्रधानमंत्री जॉनसन ने ‘बड़ी संख्या में लोगों की जांच’ करने का आह्वान किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आने वाले हफ्तों में एक दिन में 1 लाख लोगों की जांच करने का लक्ष्य है। खुद संक्रमण की चपेट में आए जॉनसन की बड़े पैमाने पर जांच न कराने के लिए आलोचना की गई।

बेबस है सबसे ताकतवर अमेरिका
सबसे ताकतवर देश अमेरिका को ही ले लें, वहां बीते 24 घंटों में ही 1,169 लोगों की मौत हो गई। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक यह अपने आप में एक रेकॉर्ड है। इससे पहले इटली में 27 मार्च को 969 लोगों की मौत हो गई थी। व्हाइट हाउस के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से 1 लाख से 2.40 लाख अमेरिकी जान गंवा सकते हैं। वहां पर संक्रमितों का आंकड़ा 2.25 दो लाख को पार कर गया है।

अब इसी उदाहरण से भारत और दक्षिण कोरिया की तुलना कीजिए। भारत में अभी संक्रमितों का आंकड़ा 2,500 तक पहुंचा ही है। हालांकि, जब पहले ग्राफ को देखकर लगता है कि भारत के मुकाबले दक्षिण कोरिया की स्थिति बहुत खराब है। लेकिन, हकीकत दूसरा ग्राफ बताता है। इस ग्राफ से पता चलता है कि दक्षिण कोरिया में नए मामलों की रफ्तार में  तेजी से गिरावट दर्ज की गई है जबकि भारत में स्थिति उलट है। वहां बिना लॉकडाउन के जांच के जरिये नियंत्रण पाया गया है, जबकि भारत में बड़ी आबादी के बावजूद लॉकडाउन किया गया है और उसी से इस पर नियंत्रण पाने के प्रयास जारी हैं।