कांग्रेस भी राम के रंग में

भारत की आज़ादी के बाद यह माना गया था कि देश अब विकास की राह पर तेज़ी से दौड़ेगा। यह दौर वह था, जब भारत एक गरीब देश की तरह लुटा-पिटा सा बँटवारे का दर्द सीने में दबाये बैलगाड़ी और साइकिल पर उन्नति के रास्ते पर चला था। पंडित जवाहरलाल नेहरू इसके वाहक बने। धीरे-धीरे उद्योग और कृषि पैदावार बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया और एक दिन वह भी आया, जब भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि वह किसी से पीछे नहीं है। लेकिन कुछ गलतियों ने लोगों के मन में विकास कार्यों की अमिट छाप नहीं छोड़ी, या यूँ कहें कि धार्मिक मानसिकता ने लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर धर्म से ज़्यादा किसी अन्य चीज़ को अंकित ही नहीं होने दिया, जिसके चलते लोग रोज़गार, विकास से पहले धर्म को प्राथमिकता देते रहे। आज जब हम 21वीं सदी के अत्याधुनिक युग में आगे बढ़ रहे हैं, भारत में धर्म और राम नाम की राजनीति हावी होती दिख रही है। पहले भाजपा इसे लेकर राजनीति करती थी और अब कांग्रेस समेत दूसरे दल भी इसी ओर बढ़ रहे हैं।

भारत की राजनीति अब धर्म पर आकर टिक गयी है। यह बात राम मन्दिर के मुद्दे पर जीत के बाद भाजपा के पक्ष में जन समर्थन से तय हो गयी है। एक दौर था, जब कांग्रेस पार्टी राम नाम की राजनीति करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वालों पर देश को बाँटने का आरोप लगाती थी। कांग्रेस ने कोई भी मौका ऐसा नहीं छोड़ा, जिसमें सीधे तौर पर भाजपा पर यह आरोप न लगाया हो कि भाजपा राम के नाम पर साम्प्रदायिकता की राजनीति करके समाज में भेदभाव का माहौल पैदा कर रही है। पर आज के माहौल को भाँपते हुए मौज़ूदा वक्त में कांग्रेस पार्टी समझ गयी है कि अब ज़्यादा दिनों तक तुष्टिकरण की राजनीति नहीं की जा सकती है। यही वजह रही कि इस बार अयोध्या में राम मन्दिर के भूमि पूजन से पहले ही कांग्रेस राम के रंग में रंग गयी और खुलकर हिन्दुओं के हितों की बात करने लगी। बताते चले सन् 2014 में जब कांग्रेस पार्टी लोकसभा का चुनाव हार गयी, तो पार्टी के अन्दर इस बात पर सहमति बनी कि तुष्टिकरण के आरोपों को छुड़ाने की कोशिश करने का समय आ गया है। तहलका संवाददाता को कांग्रेस नेताओं और पार्टी समर्थकों ने बताया कि कांग्रेस तो भगवान राम को मानती रही है और मानती रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा भाजपा द्वारा राम पर की जा रही राजनीति का विरोध किया है; भगवान राम का नहीं।

कहते हैं कि राजनीति में अवसर देखकर पाला बलदने और बयान से पलटने में देर नहीं लगती है। ऐसा ही कांग्रेस के नेताओं ने अयोध्या में भूमि पूजन से पहले सियाराम, रामधुन गाकर और हनुमान चालीसा का पाठ कराकर बता दिया कि कांग्रेस का भी काम राम ही बनाएँगे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने एक तीर से कई निशाने साधते हुए कहा कि अयोध्या में यह सारा कार्यक्रम भगवान राम की कृपा से हो रहा है। इसका सीधा और साफ सियासी मतलब है कि कांग्रेस राम मन्दिर के नाम पर किसी भी विवाद में नहीं पडऩा चाहती और वो भी सरलता के साथ हिन्दुत्व की राजनीति करना चाहती है। प्रियंका गाँधी वाड्रा ने कहा कि भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हज़ारों साल से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाशपुंज है। यानी राम सबके हैं। गाँधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सनमति देने वाले हैं।

वहीं, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भूमि-पूजन पर देशवासियों को बधाई देते हुए एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें वह रघुपति राघव राजा राम गा रहे हैं। राम भक्ति से कांग्रेस में मनीष तिवारी ने खुद का समर्पण भी दिखाया है। क्योंकि मनीष ने पहले चार सवाल करके पार्टी में जो बवाल किया था, उससे कांग्रेस सकते में आ गयी थी। हालाँकि कांग्रेस के किसी भी नेता ने इसका विरोध नहीं किया; क्योंकि आज कांग्रेस बड़े ही नाज़ुक दौर से गुज़र रही है।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल में अपने निवास पर हनुमान चालीसा का पाठ किया और कहा कि 5 अगस्त का दिन ऐतिहासिक दिन है, जिसका पूरा देश को इंतज़ार था। वह चाँदी की 11 ईंटें अयोध्या भेज रहे हैं। बताते चले कि मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव 2018 में कमलनाथ ने कथित तौर पर तुष्टिकरण की राजनीति को बल देते हुए हिन्दुत्व की उपेक्षा की थी। तब कमलनाथ की छवि और साख को बट्टा लगा था। माहौल बिगड़ता देख और जनता की मनोदशा को भाँपते हुए कमलनाथ हिन्दुत्व की बात करने लगे और मन्दिर के नाम पर ही सही, पर हिन्दुत्व को गति देने लगे।

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप हैं। वे हमारे दिल की गहराइयों में बसी मानवता की मूल भावना हैं। राम प्रेम हैं। वे कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते हैं।

कांग्रेस नेता अमरीष सिंह ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 से अब तक हार का कारण यही रहा है कि जब कांग्रेस का प्रत्याशी मतदाता के पास वोट माँगने जाता था, तब मतदाता खुले तौर पर कहता था कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गयी है। अब तो उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव आने वाले हैं, और अयोध्या मन्दिर का मामला वहीं से है। ऐसे में कांग्रेस को भी राम के भरोसे राजनीति करने से परहेज़ नहीं करना चाहिए। क्योंकि आज का दौर विध्वंस की राजनीति का नहीं, बल्कि निर्माण की राजनीति का है।

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए बनी ए.के. एंटनी कमेटी की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने आत्ममन्थन करके खुद को बदलने का काम शुरू किया था। कमेटी ने कहा था कि हार का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस का हिन्दू मतदाता से दूर जाना है। उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने नरम हिन्दुत्व का सहारा लिया, जिसका उसको फायदा भी मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जितने भी चुनाव हुए, उनमें कांग्रेस ने हिन्दुत्व को धार दी है। गुज़रात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने हिन्दुओं को जमकर लुभाया भी है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि देश में आज कोरोना वायरस के संक्रमण-काल में जो काम सत्ताधारी पार्टी कर सकती है, वो विपक्ष नहीं कर सकता। ऐसे में जनता के बीच जाकर जनता के हित का काम करने में भलाई है। वहीं, अगर बिना विवाद के काम करना है, तो राम मन्दिर के नाम पर विवाद से या विवादित बयानबाज़ी से कांग्रेस को बचकर रहना होगा।

सम्भवत: इसी साल बिहार में और 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस अब राम मन्दिर के सहारे और भगवान श्रीराम के जीवन आदर्शों को साथ लेकर इस अभियान को और गति देना चाहती है। क्योंकि कांग्रेस भली-भाँति जान चुकी है कि मौज़ूदा वक्त में हिन्दी भाषी राज्यों में तुष्टिकरण के सहारे राजनीति नहीं की जा सकती है। इसलिए नरम हिन्दुत्व को अपनाना होगा। कांग्रेस के समर्थक व जानकार हरिश्चंद्र पाठक का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने सदैव धर्म-निरपेक्ष की राजनीति की है और तुष्टिकरण को कभी बढ़ावा नहीं दिया है। इतना ज़रूर रहा है कि तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं। कांग्रेस अब भली-भाँति जानती है कि पार्टी ने जिनके चलते तुष्टिकरण का आरोप भी सहा है, वे आज अन्य दलों के पाले में बैठे हैं। ऐसे में अब क्यों न कांग्रेस ही हिन्दुत्व को अपनी राजनीति में गति दें। वैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं का इस बात पर ज़ोर रहा है कि कांग्रेस पार्टी में जब हिन्दू नेताओं की भरमार है, तो क्यों न हिन्दुत्व को कांग्रेस में शामिल किया जाए? कांग्रेस का कहना है कि सन्

1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने राम जन्मभूमि का ताला खुलवाया था।

वहीं, भाजपा नेता राजकुमार सिंह का कहना है कि राम मन्दिर निर्माण में जिन लोगों ने अड़ंगा लगाया है, वे आज समझ गये हैं कि देश की राजनीति का अस्तित्व बिना राम के नहीं है।