कहीं भारत को युद्ध के लिए मजबूर तो नहीं कर रहा चीन!

29 और 30 अगस्‍त की रात को चीन की सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की दूसरी कोशिश की। इस घुसपैठ की कोशिश में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच झड़प हुई। हालाँकि इस झड़प में कोई घायल हुआ या नहीं, इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं मिली। रक्षा मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर यह भी कहा गया था कि चीनी सेना ने सैन्य गतिविधियाँ कीं, लेकिन भारतीय सेना ने उनकी इस गतिविधि का अंदाज़ा लगाते हुए उसे नाकाम कर दिया।

भारत-चीन सीमा पर गतिविधियों वाली कुछ खबरों के मुताबिक, चीनी सेना भारतीय सीमा पर नज़रें गड़ाये बैठी है और घुसपैठ की कोशिशें कर रही है। मगर इस बार भारतीय सेना ने चीन को मुँह की खिलाने की ठान ली है। अनेक जानकारों का कहना है कि चीन भारत को युद्ध के लिए उकसा रहा है। सवाल यह है कि क्या चीन से युद्ध की सम्भवानाएँ ठीक हैं? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लद्दाख की स्थिति को 1962 के संघर्ष के बाद सबसे गम्भीर बताया है।

बता दें कि कोर कमांडर लेवल पर चीन से भारत की 30 अगस्त तक करीब पाँच-छ: बार बातचीत हुई। हर बार की बातचीत में दोनों देश पहले जैसी स्थिति को वापस लाने पर राज़ी हुए; लेकिन चीन ने एक बार भी अपना वादा नहीं निभाया और सीमा पर सैन्य संख्या में लगातार बढ़ोतरी करता रहा है। इसी साल 15 जून को भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इस झड़प में हमारे 20 जवान शहीद हो गये थे, जबकि चीन के भी सैनिकों के मारे जाने की खबरें आयी थीं। झगड़ा चीन की सेना द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ का था। चीन के साथ सैन्य स्तर की बातचीत हो रही थी कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हालात बिगड़ गये। इसकी वजह चीनी सैनिकों द्वारा पैंगॉन्ग त्सो (झील) के दक्षिणी किनारे पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश थी। जब भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने हमला कर दिया। भारतीय सैनिक निहत्थे थे, मगर फिर भी पीछे नहीं हटे और शत्रु फौज का डटकर मुकाबला किया। हालाँकि केंद्र सरकार ने चीन की सेना द्वारा घुसपैठ से इन्कार किया और चीन ने भी शान्ति और बातचीत से विवाद सुलझाने की बात कही। मगर चीन एक शातिर शत्रु देश है, जिसकी नज़रें भारत के गलवान, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश आदि क्षेत्रों पर पूरी तरह टिकी हुई हैं।

बता दें कि चीन से भारत की सीमारेखा करीब 4057 किमी लम्बी है, जो पाँच भारतीय राज्यों से मिलती है। चीन चाहता है कि वह इन राज्यों में तबाही मचाकर रखे और भारत की वो भूमि अपने कब्ज़े में ले ले, जिसकी वजह से भारत पर आक्रमण करना आसान नहीं है। मगर इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि चीन खामोश बैठा है और शान्ति चाहता है। क्योंकि चीनी सेना लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश में है। अभी कुछ दिन से चीन की सेना सीमा पर लगातार हरकतें कर रही है।

भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने हाल ही में बताया था कि चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक बातचीत के ज़रिये बनी पिछली आम सहमति का उल्लंघन करके भारतीय सेना को उकसाने के लिए सैन्य अभियान चलाया। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय सेना बातचीत के माध्यम से शान्ति और स्थिरता बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन देश की रक्षा करने के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है। वहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने कहा है कि अगर सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर प्रयास नाकाम होते हैं, तो सेना का विकल्प खुला है। इसके संकेत भी साफ हैं कि अगर चीन भारत को युद्ध के लिए मजबूर करता है, तो वह पीछे नहीं हटेगा।

अँधेरे में घुसपैठ करते हैं चीनी सैनिक

भारतीय सेना की ओर जारी एक बयान में कहा गया है कि चीनी सैनिक अँधेरे का फायदा उठाकर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश करते हैं। हालाँकि उनकी हर कोशिश को भारतीय सैनिक नाकाम कर देते हैं। हाल ही में सैन्य सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली कि हाल ही में बड़ी संख्या में पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिक इकट्ठे हुए, वे पश्चिम की ओर बढ़ रहे थे। ऐसा कहा गया है कि वे इस भारतीय क्षेत्र पर कब्ज़ा करना चाहते थे। सूत्रों का तो यहाँ तक कहना है कि चीनी सेना की मौज़ूदगी इस क्षेत्र में बनी हुई है। हालाँकि भारतीय सेना बड़ी संख्या में यहाँ तैनात है।

सीमा पर चीन ने बनाये हेलीपैड

चीन के भारत के खिलाफ षड्यंत्रों का खुलासा सैटेलाइट से अब तक मिली तस्वीरों से भी हुआ है। वह आक्रामक तरीके से हर तरफ से भारत को घेरने की नीचतापूर्ण कोशिशों में जुटा है। ओपन सोर्स सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन की सेना चीन के दो विवादित और संवेदनशील सीमा क्षेत्रों- डोकलाम तथा सिक्किम सेक्टर्स के पास ट्राइ जंक्शन पर एक स्ट्रक्चर बना चुकी है, जो हेलीपैड जैसा लगता है। एक ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट ने अपने ञ्चस्रद्गह्लह्म्द्गह्यद्घड्ड नाम के ट्विटर पर इन तस्वीरों में दिखाया है, जिसमें ट्राई जंक्शन के नज़दीक संदिग्ध हेलीपैड का निर्माण करना दिख रहा है। यह नाकु ला (नाकु पास) और डोका ला (डोका पास) से केवल 100 किलोमीटर दूर है। इंटेलिजेंस एनालिस्ट ने ट्वीट किया है कि पीएलए का संदिग्ध हेलीपैड इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत, चीन, भूटान के ट्राई-जंक्शन डोकलाम क्षेत्र को लेकर जारी जाँच के दौरान दिखा। बताया जा रहा है कि चीनी सेना इन संदिग्ध हेलीपैड को ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को तैनात करने के लिए बना रही है।

चीन जानता है जाँबाज़ है भारतीय सेना

चीन इस बारे में अच्छी तरह जानता है कि भारतीय सेना बहुत ही जाँबाज़ है। पिछली बार जब चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के 20 निहत्थे सैनिकों पर हमला किया था, तब वे निहत्थे होकर भी उनसे भिड़ गये और चीन के तकरीबन 47 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। हालाँकि इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये। लेकिन भारतीय सेना ने कई बार चीन की घुसपैठ को नाकाम कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि चीनी सेना से भारतीय सैनिकों की जितनी बार भी झड़प हुई है, हर बार चीनी सेना ने ही अतिक्रमण की है, जबकि भारतीय सैनिकों ने आज तक चीन की सीमा में किसी भी तरह की घुसपैठ नहीं की है और न ही सीमा पर कोई आपत्तिजनक सैन्य गतिविधि चलायी है। इस बार खबरें हैं कि पूर्वी लद्दाख में जाँबाज़ भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के मंसूबों को विफल करते हुए पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर ऊँचाई वाले इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया है। निष्क्रिय पड़े इस क्षेत्र पर भारत के नियंत्रण से भारतीय सेना को यहाँ जंग का रणनीतिक लाभ मिलेगा।

लगातार धमकियाँ दे रहा चीन

हाल ही में छपे ग्लोबल टाइम्स के सम्पादकीय में अखबार के सम्पादक हू जिजिन ने भी भारत के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी है। हू ने इस सम्पादकीय में आरोप लगाया है कि भारत चीन के प्रति आक्रामक रुख अपना रहा है। हू ने चीनी सेना का हौसला बढ़ाते हुए भारत की जवाबी कार्रवाई को गुण्डों वाला व्यवहार बताया है। उसने चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को स्टंट बताते हुए ट्वीट करके लिखा है कि भारत को हमेशा लगता है कि चीन उकसावे पर समझौता करेगा। स्थिति को अब और गलतफहमी में न समझा जाए। यदि पैंगॉन्ग झील में संघर्ष होता है, तो इसका अन्त केवल भारतीय सेना की हार से ही होगा। हर बार

की तरह हूल देते हुए हू ने अपने सम्पादकीय में चीनी सेना को ताकतवर बताते हुए लिखा कि अगर भारत प्रतिस्पर्धा में शामिल होना चाहता है, तो चीन के पास उसकी तुलना में ज़्यादा हथियार और सैन्य क्षमता है। हू ने धमकी दी है कि अगर भारत सैन्य प्रदर्शन करता है, तो चीन उसे 1962 में हुए नुकसान की तुलना में ज़्यादा नुकसान पहुँचाने को मजबूर होगा। हू ने यह भी लिखा है कि अगर भारत चीन से युद्ध करता है, तो अमेरिका भी उसकी कोई मदद नहीं करेगा। इतना ही नहीं हू ने कम्युनिस्ट पार्टी की चीनी सरकार से अनुरोध किया है कि वह चीन की ओर से भी सैन्य कार्रवाई करे। वैसे बता दें कि चीन भारत को कई महीनों से गीदड़ भभकी दे रहा है और लगातार धृष्टता करने के बावजूद धमकियाँ दे रहा है। जबकि भारत एक ताकतवर शेर की तरह शान्त है।

रूस और तेहरान गये थे राजनाथ

इधर सीमा पर चीनी सेना के फिज़ूल की अनैतिक गतिविधियों और चीन से लगातार बढ़ रहे तनाव के मद्देनज़र देश के रक्षा मंत्री राजनाथ 4 सितंबर को रूस से लौटकर तेहरान भी गये थे। उनके दोनों देशों के दौरे का मकसद चीन और पाकिस्तान को उनकी नापाक हरकतों के खिलाफ सबक सिखाना माना जा रहा है। रक्षामंत्री की इस यात्रा से बौखला गया है।

हालाँकि भारत कभी भी सीमा विवाद पर गलतियाँ नहीं करता, इस बात का परिचय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही से रूस में बातचीत करके दिया है। लेकिन चीन ने इसके बाद जारी बयान में कहा है कि वह अपनी एक इंच ज़मीन नहीं छोड़ेगा। उसने भारत पर झूठा आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि भारत सीमा पर विवाद बढ़ाना

चाहता है। इधर राजनाथ सिंह ने फ्रांस को भारत में रक्षा क्षेत्र में निवेश का सौदा दिया है।

क्या युद्ध चाहते हैं शी जिनपिंग

आये दिन भारतीय सेना को हूल देने की कोशिश करने और भारतीय सैनिकों से मुँह की खाने पर चीनी सेना को जिस तरह से उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना का शिकार होना पड़ा, उससे तो यही लगता है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत से युद्ध चाहते हैं। बताया जा रहा है कि शी जिनपिंग चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के उस कमांडर से बहुत नाराज़ हैं, जिसने पैंगांग के दक्षिणी इलाके में अपनी सेना का नेतृत्व किया था। जिनपिंग चीनी सेना से इतने नाराज़ हैं कि जल्द ही सेना में बड़े बदलाव कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो सेना के साथ ही अन्य कानून प्रवर्तक एजेंसियाँ भी उनके निशाने पर हैं। बता दें कि शी जिनपिंग कभी हार नहीं मानने वाले ज़िद्दी नेता के तौर पर उभरे हैं। शी जिनपिंग की कूटनीति भी बहुत शातिराना िकस्म की है। वह एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने एक तरफ अपने देश में हमेशा के लिए सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया है, तो दूसरी तरफ दूसरे देशों को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया है।

युद्ध हुआ तो क्या होगा?

इधर, चीन से हर दिन तनाव बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि अब युद्ध की सम्भावनाएँ बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों के सामने हथियारों से लैस होकर आ गये और उन्हें धमकाने लगे। लेकिन भारतीय सैनिकों ने इस तनाव को बहुत बढऩे नहीं दिया। सवाल यह हैं कि अगर चीन से युद्ध होता है, तो क्या होगा? क्या भारत का चीन से अधिक

नुकसान होगा?

चीन की ताकत को देखें, तो भारत उससे कई तरह से कमज़ोर है। क्योंकि इस समय कमज़ोर अर्थ-व्यवस्था और कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा भारत परमाणु और दूसरे हथियारों में भी चीन से कमज़ोर है। दूसरा चीन के पास जैविक हथियार होने की सम्भावना है। इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों को अपने पक्ष में कर रखा है। अमेरिका द्वारा भारत की मदद की उम्मीद भी उतनी नहीं की जा सकती, क्योंकि अमेरिका ने परदे के पीछे से भारत को हमेशा दबाये रखने की कोशिशें की हैं। रूस ने भी मध्यस्था करने से साफ इन्कार कर दिया है। हालाँकि इससे भारत का पक्ष कमज़ोर नहीं होता, क्योंकि अभी बहुत से देश हैं, जो भारत के पक्ष में खुलकर भले ही नहीं खड़े हैं; लेकिन अगर युद्ध हुआ तो भारत के पक्ष में मैदान में होंगे। लेकिन फिर भी यही कहना उचित होगा कि अगर युद्ध होता है, तो भारत को अपने दम पर इसे जीतना होगा। और इसके लिए केंद्र सरकार को मज़बूती से देश-रक्षा पर ध्यान देना चाहिए, न कि राजनीतिक दाँवपेच में उलझना या देशवासियों को उलझाना चाहिए। क्योंकि भारतीय सेना बहुत मज़बूत है, पर उसे स्वायत्तता मिलनी चाहिए, तो वह दुश्मन को धूल चटा सकती है।

भारत-चीन भिड़े, तो छिड़ सकता है विश्व युद्ध!

यह तय है कि अगर भारत और चीन में युद्ध होता है, तो विश्व युद्ध छिड़ सकता है। इसके कई कारण हैं। एक कारण यह है कि चीन से कई देश खार खाये बैठे हैं और उसे व्यापार में पछाडऩा चाहते हैं। दूसरा कारण यह है कि चीन ने कई देशों के खिलाफ षड्यंत्र रचने का काम किया है। उसने लक्षद्वीप से मात्र 600 किलोमीटर की दूरी पर एक कृत्रिम द्वीप का निर्माण किया है। इतना ही नहीं, चीन दक्षिण सागर में ऐसे कई कृत्रिम द्वीप बना चुका है। वैश्विक नियमों के मुताबिक, किसी देश की समुद्री सीमा उसकी ज़मीनी सीमा के बाद समुद्र में 200 नॉटिकल मील तक मानी जाती है। लेकिन चीन ने कई पड़ोसी देशों के बीच स्थित समुद्र पर कब्ज़ा करने किया है। चीन ने काफी समय से समुद्र के बीच नकली द्वीपों का निर्माण शुरू कर दिया है। उसने इन द्वीपों को बनाने का आसान तरीका चुना है। इस तरह समुद्र पर कब्ज़ा करने के पीछे चीन की मंशा दुनिया की सबसे ताकतवर देश बनने की है। चीन की ताकत बढ़ी भी है। ऐसा नहीं है कि चीन ने यह ताकत दो-चार साल में हासिल की है, ऐसा करने के लिए उसे तकरीबन दो से ढाई दशक लगे हैं। शायद यही वज़ह है कि वह भारत के खिलाफ लगातार हरकतें और शाज़िशें कर रहा है।

‘आये दिन भारत की संप्रभुता पर हमला हो रहा है। आये दिन हमारी सरजमीं पर कब्ज़े का दुस्साहस और देश की धरती पर चीनी घुसपैठ की खबरें आ रही हैं। देश की सेना तो देश की रक्षा कर रही है। सीमा पर सीना ताने खड़ी है। लेकिन देश के प्रधानमंत्री मोदी कहाँ हैं? वह लाल आँख दिखाकर चीन से कब बात करेंगे? चीन को कब करारा जवाब देंगे? देश की ज़मीन से कब्ज़ा कब छुड़वाएँगे? मोदी जी! लाल आँख कहाँ है? चीन की आँखों में आँखें कब डाली जाएँगी?’

रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता

‘चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सन् 1962 के बाद निश्चित तौर पर यह सबसे गम्भीर स्थिति है। यहाँ तक कि 45 साल बाद चीन के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिक हताहत हुए हैं। सीमा पर दोनों तरफ से सैनिकों की तैनाती भी अप्रत्याशित है। अगर हम पिछले तीन दशकों से देखें, तो विवादों का निपटारा राजनयिक संवाद के ज़रिये ही हुआ है और हम अब भी यही कोशिश कर रहे हैं। भारत ने चीन से कह दिया है कि सीमा पर शान्ति की स्थापना दोनों देशों में बराबरी के सम्बन्धों पर ही सम्भव है।’

एस जयशंकर, विदेश मंत्री, भारत सरकार

भारत में चीन के खिलाफ पोस्टर वॉर

इधर, भारत के लोगों में चीन के खिलाफ विकट गुस्सा है। कई महीनों से भारत के विभिन्न हिस्सों में चीन के खिलाफ तरह-तरह के अभियान चलाये जा रहे हैं। इसी विरोध के तहत जून में दिल्ली में पंचशील मार्ग पर बने चीनी दूतावास के सामने बोर्ड पर और आस-पास लोगों ने पोस्टर लगाये गये थे। हालाँकि कहा जा रहा है कि चीनी दूतावास के बोर्ड पर से पोस्टर को हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि चीनी दूतावास के आगे हिंदू सेना कार्यकर्ताओं पोस्टर लगाये थे। इसमें एक पोस्टर पर लिखा था- ‘हिंदी-चीनी बाय-बाय’। इसके अलावा भी देश भर में पहले से ही काफी विरोध हो रहा है। इसमें चीन के सामान से लेकर वहाँ के राष्ट्रपति तक के पुतले फूँके गये। भारत में अब भी लोग चीन और चीन के सामान का जमकर विरोध दिखें।

विदेश मंत्री का महत्त्वपूर्ण दौरा

इधर, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को का दौरा किया है। उन्होंने मॉस्को में चल रही शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (एससीओ) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। मॉस्को में उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वाँग यी से बातचीत की। हालाँकि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच क्या बातचीत हुई? इसका ब्यौरा अभी नहीं मिल सका है। एक तरफ मॉस्को में जहाँ दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई, वहीं दूसरी तरफ एलएसी पर सैन्य बातचीत में दोनों सेनाओं के बीच ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत हुई। इससे पहले दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल या कोर कमांडर स्तर की कई राउंड बातचीत हो चुकी है; लेकिन तनाव कम करने में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी है।