ऑडियो क्लिप से पढ़ रहे ग्रामीण बच्चे

बिहार के जमुई ज़िले में सुविधाहीन बच्चों को ऑडियो क्लिप प्रसारित करके पढ़ा रहे समाजसेवी

टुपलाल दास की स्पष्ट हिन्दी में आवाज़ सुनायी देती है। अपने दर्शकों का अभिवादन करने के बाद वह खुद का परिचय बिहार के जमुई ज़िले में स्थित संथाली युवा क्लब लाहंती के सदस्य के रूप में देते हैं। दो मिनट से अधिक समय तक चलने वाले एक ऑडियो संदेश में वह स्कूल के छात्रों को समझाते हैं कि हाथ धोना अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने की कुंजी है; खासकर कोरोना के समय में। एक अन्य ऑडियो में दास भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में बात करते हैं।

इस तरह के छोटे सार्थक ऑडियो क्लिप छात्रों को स्कूल बन्द होने के दौरान लैपटॉप, इंटरनेट और स्मार्ट फोन जैसे सीखने के संसाधनों के अभाव में जमुई के चकाई ब्लॉक के गाँवों में पढ़ाई से जुड़े रहने में मदद कर रहे हैं। लाहंती के सदस्यों द्वारा रिकॉर्ड किये गये, इन ऑडियोज को एक समुदाय आधारित रेडियो पहल चिराग वाणी के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। चकाई निवासी दास चार महीने पहले ही लाहंती में शामिल हुए थे।

ऑडियो क्लिप, जो ज़्यादातर प्राथमिक विद्यालय संथाली के छात्रों को लाभान्वित कर रहे हैं; के बारे में दास कहते हैं कि शिक्षा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत जर्जर स्थिति में है और अक्सर शिक्षक छात्रों के साथ उचित तरीके से नहीं जुड़ते हैं। दास कहते हैं- ‘संथाली छात्रों को स्कूलों में उनके समुदाय की परम्परा, इतिहास और संस्कृति के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है। मैं उन्हें बहुमूल्य जानकारी देने और ऑडियो संदेशों को दिलचस्प बनाने की पूरी कोशिश करता हूँ।’

चिराग वाणी की अवधारणा सुनने के माध्यम से सीखने पर आधारित है। अधिकांश उपयोगकर्ता पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं। यह गैर-स्मार्ट फोन उपयोगकर्ताओं के लिए मिस्ड कॉल आधारित तकनीक है, जिसमें स्किप और फीडबैक जैसे विकल्प हैं।

संथाली और हिन्दी दोनों में प्रसारित होने वाली ऑडियो क्लिप को सुनने के लिए किसी भी बेसिक फोन से 9278702369 नम्बर पर मिस्ड कॉल देना होता है। रोज़ाना सुबह 10:00 से 12:00 बजे तक का समय शिक्षा को समर्पित होता है।

आईवीआरएस तकनीक का उपयोग

जैसा कि संथाल बच्चों को स्कूलों में हिन्दी सीखने और घर में अपनी मातृभाषा संथाली बोलने के लिए मजबूर किया जाता है; कई बार कक्षाओं में संचार का अंतराल उत्पन्न होता है। ऐसी स्थितियों में शिक्षक यह समझने में विफल रहते हैं कि छात्र क्या संदेश देना चाहते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए चकाई में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था सिंचन फाउंडेशन ने तालाबन्दी की घोषणा से पहले दो घंटे के लिए अतिरिक्त स्कूली कक्षाओं को व्यवस्थित करने में मदद की। इसके हिस्से के रूप में कुछ लाहंती क्लब के सदस्य संथाली बच्चों की भाषा की बाधा को दूर करने में मदद करते थे। चकाई के ज़बरदाहा और गोविंदपुर गाँवों में इन कक्षाओं को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पूरे सहयोग के साथ आयोजित किया जाता है और इनका मुख्य लक्ष्य प्राथमिक छात्र होते हैं।

सरकारी स्कूल के शिक्षक मनोज कुमार बर्नवाल ने कहा कि तालाबन्दी से पहले लाहंती क्लब स्कूल समाप्त होने के बाद कुछ समर्पित सदस्यों की मदद से छात्रों को संथाली सिखाने के लिए कक्षा लगाता है। वह कहते हैं- ‘यह सबसे ज़्यादा मददगार है। क्योंकि बच्चे माता-पिता के साथ घर पर संथाली बोलते हैं।’ मनोज कहते हैं कि भले उनका स्कूल संथाली क्षेत्र में है, लेकिन शिक्षक भाषा नहीं जानते हैं। सिंचन के संस्थापक गौतम बिष्ट ने बताया कि कई संथाली बच्चे हिन्दी के साथ संघर्ष करते हैं। कभी-कभी शिक्षक यह समझने में असफल रहते हैं कि छात्र क्या संदेश देना चाहते हैं। उदाहरण के लिए वॉशरूम जाने की अनुमति जैसी कुछ बुनियादी बातें। उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों की मदद के लिए संथाली से हिन्दी और संथाली से अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किये गये हैं। बिष्ट ने कहा कि हमने अतिरिक्त कक्षाओं के तहत चकाई के चार गाँवों में 180 छात्रों को शामिल किया।

हालाँकि कोरोना वायरस के कारण स्कूल बन्द होने के बाद इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम (आईवीआरएस) तकनीक को ऑडियो क्लिप की मदद से छात्रों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया और पहल के लिए लाहंती क्लब के सदस्यों को इससे जोड़ा गया। बिष्ट के अनुसार, संथाल शिक्षाशास्त्र रचनात्मक रूप से शिक्षण के लिए कविताओं, कहानियों, चुटकुलों, वार्तालाप, नृत्य, संगीत, गीत और दीवार चित्रों का उपयोग करता है। उनके मुताबिक, शुरुआत में हमने इतिहास को चुना; क्योंकि यह मूल रूप से कहानी है और इसे आसानी से ऑडियो क्लिप के माध्यम से सुनाया जा सकता है। अब इसमें भूगोल, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान के पाठों को शामिल किया गया है। हर हफ्ते छ: ऑडियो रिकॉर्ड किये जाते हैं। हम प्रत्येक ऑडियो के अन्त में प्रतिक्रिया भी माँगते हैं।

आईवीआरएस सिस्टम में प्रति सप्ताह लगभग 800 कॉल आती हैं। कक्षा 6 का छात्र समेल बेसरा नियमित रूप से इन क्लिपों को सुनता है। फितकोरिया गाँव के कक्षा 8 के छात्र पंकज किस्कू ने कहा कि यह क्लिप कई महत्त्वपूर्ण चीज़ों की जानकारी देती है, जो स्कूलों में नहीं पढ़ायी जाती हैं। कक्षा 4 की छात्रा काजल हांसदा को हिन्दी की कहानियों को संथाली में सुनना बहुत पसन्द है; जबकि कक्षा 3 की छात्रा अनीता मरांडी को समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले पर बनाया गया एक ऑडियो बहुत प्यारा लगा।  लाहंती की सदस्य कुसुम हांसदा ने कहा- ‘कोई भी किसी भी समय कॉल कर सकता है और निर्धारित छात्र समय के अलावा भी इन ऑडियो को सुन सकता है।’

तालाबन्दी के दौरान बच्चों को सीखने में मदद करने वाले सिंचन के सह-संस्थापक शुवाजीत चक्रवर्ती ने कहा कि ग्रामीण छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है; क्योंकि उनके पास पाठ (कक्षा) के सम्पर्क में रहने के लिए सीमित विकल्प हैं। इसलिए इस संकट की घड़ी में वे ऑडियो क्लिप की मदद लेना चाहते हैं। हम एक मॉडल विकसित कर रहे हैं, जो भविष्य में यदि सरकार चाहे तो वह इसका उपयोग कर सकती है। हमारा सपना इस मॉडल को अन्य संथाल बहुल क्षेत्रों के साथ-साथ झारखण्ड में संथाल परगना में भी पहुँचाना है। लेकिन हम उचित मूल्यांकन के बिना तुरन्त विस्तार नहीं कर रहे हैं। चकाई के अलावा पश्चिम बंगाल के समर्पित सदस्य, फेसबुक पर लाहंती से जुड़कर ऑडियो क्लिप भी रिकॉर्ड कर रहे हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं सिलीगुड़ी से बीटेक के छात्र बिश्वजीत हेम्ब्रोम। हेम्ब्रोम ने वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन पर एक ऑडियो बनाया है। वह बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ सार्थक योगदान देने के लिए खुद को सम्मानित महसूस करते हैं।

एडिसन के द्वारा आइजैक न्यूटन और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों पर बनाये ऑडियो की छात्रों ने सराहना की है। उन्होंने इतिहास पर ऑडियो संदेश मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य और सिंधु घाटी सभ्यता को भी छुआ है। बच्चों को सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू जैसे प्रमुख संथाल नेताओं के बारे में भी बताया जाता है; जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संथाल विद्रोह में भाग लिया था। इसके अलावा उन्हें फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू जैसी महिला नेताओं के बारे में भी बताया गया है। एक ऑडियो रिकॉर्ड करने के लिए लाहंती क्लब के सदस्य प्रेम बेसरा को तीन दिन तक का समय लगता है। इस तरह की पहल यह सुनिश्चित करती है कि संथाल छात्र आगे बढ़ें और समाज में आगे रहें। उन्होंने कहा कि जैसा कि मैंने खुद हिन्दी के खराब ज्ञान के कारण स्कूल में भाषा की बाधा का सामना किया; मैं समस्या को अच्छी तरह समझता हूँ।

कविता मरांडी, जिन्होंने ज़्यादातर इतिहास के पाठ रिकॉर्ड किये हैं और संथाली में हिन्दी कहानियाँ सुनायी हैं; ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में छात्र स्मार्ट फोन और इंटरनेट के माध्यम से सीख रहे हैं। लेकिन गाँवों में आर्थिक तंगी के कारण ज़्यादातर लोगों के पास इन सुविधाओं का अभाव है। इसलिए ये बच्चे ऑडियो पढ़ाई में रुचि लेते हैं, जब कक्षाएँ आयोजित नहीं की जाती हैं।

उन्होंने कहा कि हमें ध्यान से अपने विषयों को चुनना होगा; क्योंकि पाठ्य पुस्तकों में कई अध्याय होते हैं। यह भी सुनिश्चित करना है कि बच्चे ऊब न जाएँ; क्योंकि यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। रिकॉर्डिंग से पहले मैं विषय को पढ़ती हूँ, संथाली में अपना ऑडियो संदेश लिखती हूँ। फिर मैं इसे दिलचस्प तरीके से बताने के तरीकों के बारे में सोचती हूँ। मैंने अपने फोन पर रिकॉर्डिंग के दौरान बीच-बीच में गाने और संवाद भी डाले हैं।

मरांडी ने 10-15 ऑडियो क्लिप बनायी हैं; जो प्रसारण होने से पहले बिष्ट को भेजी जाती हैं। हांसदा अक्सर रिकॉर्डिंग करते समय अपनी खूबसूरत आवाज़ में गाती हैं और अब तक 25 से अधिक क्लिप बना चुकी हैं। एक ऑडियो में वह महात्मा गाँधी और संथाली में स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करती हैं और गीत के साथ शुरुआत करती हैं। मोबाइल वाणी, बाल अधिकार और लिंग की निदेशक स्योनी चटर्जी बताती हैं कि मोबाइल वाणी द्वारा चलाये जाने वाले चिराग वाणी के माध्यम से ग्रामीण भारत के लिए एक आवाज़-आधारित सामाजिक नेटवर्किंग है, जो रिकॉर्ड के साथ-साथ सुन सकता है। यह दो तरफा एक संचार प्रणाली है।

बिष्ट कहते हैं कि हालाँकि कॉल करने वाले एक टोल-फ्री नम्बर का उपयोग करते हैं, जिसमें मिस्ड कॉल सिस्टम भी तैयार किया गया है। क्योंकि गाँवों में ज़्यादातर लोगों को यह गलत धारणा है कि उनसे बाद में इस (टोल फ्री ) कॉल के पैसे वसूले जाएँगे। जबकि जून तक ऑडियो सुनने में पाँच मिनट का औसत समय लगा था, अब यह समय सात मिनट है। उधर चक्रवर्ती ने बताया कि करीब 400 छात्र नियमित रूप से चिराग वाणी के माध्यम से कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। इसके अलावा आईवीआरएस सर्वर हमें बताता है कि लगभग 4,000 बच्चों और उनके माता-पिता ने इस मंच पर कॉल की थी।