एनडीए 1 कार्यकाल में विज्ञापन पर कुल खर्च 5909 करोड़

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की एनडीए 1 सरकार में सभी प्रकार के विज्ञापनों पर 5909 करोड़ 39 लाख 51 हजार रुपये खर्च किए हैं। केंद्र सरकार के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन विभाग ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी

आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली के इस सवाल के जवाब में कि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 इन 5 वर्ष के कार्यकाल में एनडीए सरकार ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और आउटडोर मीडिया पर कुल कितने पैसे खर्च किए हैं? के जवाब में एनडीए 1 में पहले वर्ष यानी 2014-15 के वित्तीय वर्ष में 979 करोड़ 66 लाख रुपए , 2015-16 के वित्तीय वर्ष 1162 करोड़ 47 लाख रुपए , 2016-17 में 1258 करोड़ 32 लाख और 2017-18 के वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक 1313 करोड़ 57 लाख विज्ञापनों पर खर्च किए जाने की बात कही गई है। पांचवे और अंतिम वर्ष 2018-19 में विज्ञापन पर मचा बवाल के बाद मोदी सरकार ने खर्च पर कुछ हद तक लगाम लगाने की कोशिश की थी। तो भी यह खर्च 1195 करोड़ 37 लाख 51 हजार हो ही गया था।

समाजवादी पार्टी के नेता आबू असिम आज़मी इस खर्च पर सवाल उठाते हुए पूछते हैं जबकि देश में गरीबी बढ़ रही है। पिछले 45 साल में बेरोजगारी सबसे ज्यादा बढ़ी है इस दौरान।लाखों लोग रोजगार के लिए तरस रहे हैं तो इस खर्च का क्या औचित्य है? शहरों की हालत गांवों से भी खराब है।शहरों में बेरोजगारी की दर गांवों की तुलना में 2.5 फीसदी अधिक है. 7.8 फीसदी शहरी युवा बेरोजगार हैं, तो वहीं गांवों में यह आंकड़ा 5.3 फीसदी है। अन्नदाता किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं।नोटबंदी और जी एस टी ने व्यापारियों की कमर तोड़कर रख दी है आम आदमी के घर के पैसों में डाका डाल दिया है सरकार ने। ऐसे में जनता के पैसों का इस्तेमाल खुद की पब्लिसिटी में खर्च करने वाली सरकार को शर्म से डूब जाना चाहिए।

इस रिपोर्ट पर बीजेपी नेता और मीरा – भायंदर के डेप्युटी मेयर चंद्रकांत वैती अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं यदि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान विज्ञापनों पर हुए खर्च को आज के रेट से कैलकुलेट किया जाए तो यह दिए जा रहे आंकड़े से ज्यादा बैठेगा। वैसे भी हर चीज का रेट बढ़ गया है। एडवर्टाइजमेंट की दरें दुगनी चौगुनी हो गई हैं। तो इस खर्च ने ज्यादा दिखना ही है। इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि हर सरकार का यह अपना अधिकार है कि वह अपने अच्छे कार्यों का विज्ञापन करें और लोगों तक पहुंचाएं इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

हालांकि कांग्रेसी नेता मामले में कुछ बोलने के लिए उत्सुक नजर नहीं आए।