इंटीरियर डिजाइनर, खुद डिजाइन करें अपना करियर

आजकल शादी-पार्टियों में हर कोई सजावट को महत्त्व देने लगा है। इसके साथ ही महानगरों में ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों में भी लोग अपने घरों, दफ़्तरों सजाने में रुचि रखने लगे हैं। इसलिए यह काम एक बेहतर स्वरोजगार का माध्यम बनता जा रहा है।

आज इंटीरियर डिजाइनिंग के प्रति लोगों का रुझान इस हद तक बढ़ चुका है कि लोग खुद किसी स्पेस को डिजाइन करने की अपेक्षा प्रशिक्षित इंटीरियर डिजाइनर की मदद लेना पसंद करने लगे हैं। सजावट चाहे घर की हो, दफ्तर की हो, होटल की हो, भवन की या फिर शोरूम की, इंटीरियर डिजाइनर का काम उसे अच्छे से अच्छा लुक देना होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग में खासतौर से योजना, डिजाइन, निर्माण, पुनर्निर्माण, पुनरुद्धार और साज-सज्जा आदि पर ध्यान देना होता है। किसी भी स्थान की इंटीरियर डिजाइनिंग का मुख्य उद्देश्य सही बजट में सही वातावरण तैयार करना होता है।

इस क्षेत्र में यों तो बहुत से अवसर हैं। मगर यदि आप इंटीरियर डिजाइनर को स्वरोजगार के रूप में अपनाते हैं, तो यह क्षेत्र आपके लिए फायदे वाला साबित हो सकता है। इस काम में पढ़ाई से ज़्यादा काम आती है आपकी क्रिएटिविटी। एक इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए कलात्मकता, प्रबंधकीय दक्षता, कला, तार्किक बुद्धि, नई-नई सोच, तुरंत बदलाव करने की क्षमता और तकनीकी पारस्परिकता का मेल होना बहुत जरूरी है। इंटीरियर डिजाइनर को अपने विचारों, हुनर तथा काम से हर तरह के ग्राहक को संतुष्ट करना होता है। इसमें आप मॉडर्न आर्ट का काफी अच्छे से इस्तेमाल कर सकते हैं। जो कला में रुचि रखते हैं, वे इस क्षेत्र में अच्छा मुकाम पा सकते हैं। एक इंटीरियर डिजाइनर को बिल्डर्स, आर्किटेक्ट, कॉन्ट्रेक्टर, प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन से सामंजस्य बिठाना पड़ता है। इंटीरियर डिजाइनिंग में एक ही फील्ड में स्पेशल तौर पर भी किया जा सकता है। आप िफल्मों और थिएटर के अलावा अनेक मेलों में ठेके पर इंटीरियर के काम की तलाश कर सकते हैं। जो लोग बदलते ट्रेंड को अच्छी तरह समझते हैं और उसी हिसाब से अपने काम में बदलाव लाते रहते हैं, वे इस क्षेत्र में और भी अच्छा करियर बना सकते हैं।

जगह का चुनाव

इंटीरियर डिजाइनर का काम शुरू करने के लिए वैसे तो एक छोटे से ऑफिस टाइप कमरे की जरूरत होती है, लेकिन अगर आप सजावट का सामान भी रखना चाहते हैं तो एक गोदाम की ज़रूरत पड़ेगी। आप यह काम कहीं भी कर सकते हैं। बस इतना ध्यान रहे कि आप जहाँ भी बैठें, आपके पास ग्राहक आसानी से आ सकें और आप वहाँ से अपने काम का अच्छी तरह प्रचार कर सकें।

ज़रूरी उपकरण

आजकल डिजाइनिंग का काम तो कंप्यूटर द्वारा होने लगा है, अत: इस काम को शुरू करने के लिए सबसे पहली प्राथमिकता तो कम्प्यूटर ही है। इसके अलावा चित्रकला के काम आने वाली प्राथमिक चीों जैसे सादा कागा, पेंसिल, रबड़ आदि की ज़रूरत होगी। प्लास, पेचकस, कारपेंटर के उपकरण और बिल्डिंग मैटीरियल की भी ज़रूरत होती है।

लागत

इंटीरियर डिजाइनिंग का काम शुरू करने के लिए तकरीबन 50-60 हज़ार रुपये की ज़रूरत पड़ती है। इसके अलावा आपको ऑफिस बनाने के लिए अलग से पैसा लगाना पड़ेगा। इसके बाद आपको हर महीने ऑफिस खर्च की ज़रूरत पड़ेगी। अधिक पैसा लगाने की इस काम में सीमा नहीं है, फिर भी बड़े स्तर पर दो से पाँच लाख रुपए में आपका काम शुरू हो सकता है, जो आपके ऑफिस और गोदाम के खर्चे के अतिरिक्त भी हो सकता है।

आय

इंटीरियर का काम तकरीबन पाँच-छह महीने बाद बाज़ार पकड़ पाता है, यानी पाँच-छह महीने तक आपको बहुत कम आमदनी हो सकती है। हाँ, आपका ऑफिस और गोदाम खर्च आराम से निकल आएगा। अगर आप बाज़ार में जल्दी पकड़ बना लेते हैं, तो एक-दो महीने में ही आपको अच्छी आमदनी होने लगेगी। यह काम ऐसा है, जो एक बार जम गया, तो कभी ठप नहीं होगा। फिर भी कम लागत पर शुरुआत में आप 10 से 25 हाज़र रुपये कमा सकते हैं। अगर काम अच्छा चल गया तो हर महीने 50 हाज़र से एक लाख रुपए महीने तक आमदनी हो सकती है। बड़े स्तर पर काम करने पर आमदनी भी अधिक होगी, लेकिन यह आपके काम के चलने पर ही निर्भर करेगी।

कोर्स

इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स अधिकतर आर्ट स्कूल कराते हैं। भारत में इसके डिप्लोमा और डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। इन कोर्सेज में विद्यार्थी को बिल्डिंग में आंतरिक और बाहरी साज-सज्जा के अलावा उसकी बनावट के हिसाब से बेहतर से बेहतर लुक देना सिखाया जाता है। कुछ संस्थान बिल्डिंग बनाने और उसमें सज्जा के लिए बनाई जाने वाली चीज़ों का निर्माण करना भी सिखाते हैं।

योग्यता

इंटीरियर डिजाइनिंग का किसी भी कोर्स  के लिए गणित, कला, अंग्रेजी में कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना आवश्यक है। इसके अलावा आपकी कला में रुचि और चित्रकला का ज्ञान, कम्प्यूटर की प्राथमिक जानकारी और सृजन क्षमता का होना आवश्यक है।

दाखला

डिप्लोमा या डिग्री कोर्स करने के लिए प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी, जिसमें आपकी तार्किक, बौद्घिक और सृजन क्षमता की जाँच के अलावा गणित, हिंदी, अंग्रेजी, कला और विज्ञान के सामान्य ज्ञान की परख की जाती है। कुछ प्राइवेट संस्थान बिना प्रवेश परीक्षा के ही प्रवेश दे देते हैं।

फीस

इंटीरियर डिजाइनिंग के कोर्सेज की फीस डिप्लोमा कोर्सेज में समयावधि तथा संस्थान और डिग्री कोर्सेज में संस्थान के हिसाब से अलग-अलग है। सरकारी संस्थान जहाँ 5 से 20 हाज़र में एक साल के डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कराते हैं, वहीं प्राइवेट संस्थान 15 हजार रुपए महीने से लेकर एक-डेढ़ लाख रुपये साल तक वसूलते हैं।

लोन

इंटीरियर डिजाइनिंग का काम और इसकी पढ़ाई, दोनों के लिए ही बैंक से लोन मिल जाता है। पढ़ाई के लिए सभी बैंक लोन नहीं देते। काम शुरू करने के लिए लोन लेने पर आपको बैंक की प्राथमिक शर्तों का पालन करना होगा, जो अधिकतर आरबीआई द्वारा निर्धारित होती हैं। इसके अलावा आपको ज़रूरी दस्तावेज जमा कराने होंगे। लोन आप अपने स्तर पर बैंक से संपर्क करके सीधे लेने के अलावा प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत भी ले सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

मीराबाई पॉलिटेक्निक, महारानी बाग, नई दिल्ली

साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फॉर वुमन, नई दिल्ली

एमेटी स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

अकेडमी ऑफ आर्ट एंड डिजाइन, नवी मुंबई, महाराष्ट्र

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन, चंडीगढ़