आयुष्मान योजना शुरू पर रूपरेखा साफ नहीं

बड़ी ही अजीब सी बात लगती है जब कोई सरकारी योजना लागू होती है जब केन्द्र में किसी दल की सरकार हो तो राज्य में किसी और दल की। ऐसे में अच्छी खासी योजना को पलीता ही नहीं लगता बल्कि उस प्रदेश की जनता भी योजना के लाभ से वंचित रह जाती है। कहीं योजना का नाम पसंद न आने के कारण तो कहीं विरोधी दल होने के कारण विरोध करने के कारण योजना का लाभ जनता को नहीं मिल पाता है।

और तो और केन्द्र सरकार के अधीन आने वाली संस्था योजना को मानने में आना कानी करने से नहीं चूकती है। ऐसी ही बात दिल्ली में सामने आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत को शुरू तो कर दिया है पर दिल्ली सरकार और एम्स में इस योजना के तहत तमाम बारीकियों मसलन धन और बीमा कंपनियों के चयन का सिलसिला लागू ही नहीं किया गया। इससे तमाम तरह से अड़चनें सामने आ रही हैं। दिल्ली सरकार आयुष्मान योजना को लागू नहीं कर रही वह इस नाम को अड़चन मान रही है, वह यूनिवर्सल स्वास्थ्य योजना लाने पर विचार कर रही है।

फिलहाल दिल्ली के निजी अस्पताल आयुष्मान योजना का स्वागत कर रहे हैं और मान रहे हैं कि इससे गरीब मरीज़ों को सही मायने में लाभ होगा जो धन अभाव के कारण अपना इलाज नहीं करा पाते थे। वहीं दिल्ली में विपक्ष दिल्ली सरकार को कोस रहा है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को तानाशाह बता रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र ने कहा कि देश में पिछली सरकारों ने गरीबों के नाम पर राजनीति की है, आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ की नारेबाजी की है पर किया कुछ नहीं है। इस सरकार में गरीबों और अमीरों के बीच इलाज को लेकर अब कोई भेद भाव नही होगा गरीब भी अब अपना इलाज करा सकेगा। उन्होंने कहा कि 1300 से अधिक बीमारियों का इलाज इस योजना के तहत बड़ी आसानी से होगा जिसमें हृदय किडनी और लीवर की बीमारी का इलाज शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा इस योजना से देश स्वस्थ होगा।

प्रधानमंत्री की आयुष्मान योजना को विपक्ष  आगामी लोकसभा चुनाव के लिये बड़ा दांव मान रहा है। केन्द्र सरकार मुफ्त इलाज के नाम पर जनता को लुभा रही है। दिल्ली सरकार ने इसे लागू करने के लिये केन्द्र सरकार के साथ अभी तक एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं किये हंै। दिल्ली स्वास्थ्य के महानिदेशालय और केन्द्र के बीच पत्र व्यवहार तो हुआ है पर मामला अभी आगे नहीं बढ़ा है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि आयुष्मान नाम को लेकर सरकार अभी स्पष्ट नहीं। दिल्ली सरकार यूनिवर्सल स्वास्थ्य योजना पर विचार कर रही है क्योंकि दिल्ली सरकार इस योजना में कोई रुचि ही नहीं ले रही है।

आयुष्मान योजना में सिर्फ पांच लाख तक का ही स्वास्थ्य बीमा है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल बंसल ने कहा कि सरकार तमाम योजना स्वास्थ्य योजना के नाम पर ला रही है जबकि सरकारी अस्पताल में तो मुफ्त इलाज होता ही है तो सरकार को कोई ऐसा सिस्टम बनाना चाहिये कि सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवायें मिल सकें।

मैक्स अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ विवेका कुमार ने बताया कि सही मायने में यह योजना गरीब मरीज़ों के लिये है जो हृदय की बीमारी का इलाज पैसे के अभाव के कारण समय पर नहीं करवा पाते थे। उनके लिये यह योजना काफी लाभकारी होगी। मैक्स अस्पताल के हार्ट सर्जन डॉ रजनीश मल्होत्रा ने कहा कि आयुष्मान योजना आने के बाद बाइपास सर्जरी जैसी बीमारी का गरीब मरीज़ अब आसानी से इलाज करवा सकेंगे। दिल्ली में आयुष्मान योजना के लागू न होने से विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि यदि यह योजना दिल्ली में लागू हो जाती तो आर्थिक रूप से कमज़ोर लोग जो लगभग 35 लाख हैं उनको लाभ पहुंचता पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की राजनीति के कारण इस योजना को लागू नहीं किया जा रहा है। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि केन्द्र ने ऐतिहासिक पहल आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना से भारत के 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ पहुचांने की कोशिश की है। फिलहाल इस योजना को जनता के लिये लाभकारी मानते हुए चार हजार से अधिक अस्पताल इस योजना का हिस्सा बच चुके हैं।

आगामी 2019 चुनाव को देखते हए यह बड़ा चुनावी दांव माना जा रहा है क्योंकि देश के गरीब वंचित ग्रामीण और शहरी मजदूरों के लिये मुफ्त इलाज वो भी  बड़े अस्पतालों मे लोकसभा चुनाव का बड़ा दांव साबित होगा। यह माना भी जा रहा है तमाम तरह की जाति -पांति की राजनीति के दौर में भाजपा उन वोटों तक पहुंचने का प्रयास करेगी जो धन अभाव में इलाज के लिये भटकते रहे हैं। ऐसे में आयुष्मान भव का आर्शीवाद प्राप्त करेंगी।